किया था ये खास कारनामाः
वाडेकर ने अपने बल्ले और कप्तानी दोनों का जलवा बिखेरा था, उनकी गिनती भारत के सफल कप्तानों में होती है। वाडेकर बाएं हाथ के बल्लेबाज और शानदार फील्डर भी थे। अपने करीब 8 वर्ष के अंतरराष्ट्रीय करियर में वाडेकर ने भारत को क्रिकेट में एक नई पहचान दिलाई। वहीं वो भारतीय क्रिकेट टीम के एकमात्र ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने लगातार तीन सीरीज में टीम को जीत दिलाई।
ऐसा रहा करियरः
वाडेकर ने 37 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 31.07 की औसत से 2113 रन बनाए। उन्होंने एकमात्र शतक (143 रन) 1967-68 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध लगाया था। वहीं वाडेकर चार बार 90 या अधिक रन बनाकर आउट हुए,।. वह भारतीय एकदिवसीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान थे। उन्होंने हालांकि दो मैच ही खेले. दो वनडे में एक अर्धशतक की बदौलत 73 रन बनाए। इसके साथ-साथ वाडेकर 1990 के दशक में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी के दौरान भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे थे। वह बाद में चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे। वाडेकर को भारत सरकार ने 1967 में अर्जुन अवॉर्ड और 1972 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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प्रधानमंत्री ने जताया शोकः
इस महान खिलाड़ी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘अजित वाडेकर को भारतीय क्रिकेट में उनके महान योगदान के लिए याद किया जाएगा। महान बल्लेबाज और शानदार कप्तान जिन्होंने हमारी टीम को क्रिकेट के इतिहास की कुछ सबसे यादगार जीत दिलाईं। वह प्रभावी क्रिकेट प्रशासक भी थे. उनके जाने का दुख है।
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भारत के कोच शास्त्री ने भी जताया दुखः
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री ने इस महान खिलाड़ी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि एक भारत के सफल कप्तानों में से एक वाडेकर को खोने पर पूरा परिवार काफी दुखी है।