परिस्थितियों में खुद को ढालने की चुनौती लेता हूं- रोहित
रोहित शर्मा का कहना यह है कि वह बल्लेबाजी की परिस्थितियों को देखते हुए अपने आप को ढाल लेते हैं और वह इसको एक चुनौती की तरह से लेते हैं। यह रोहित शर्मा का विदेशों में लगाया गया पहला शतक था जिसमें उन्होंने केएल राहुल और चेतेश्वर पुजारा के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी की। भारत के लिए शार्दुल ठाकुर ने निचले क्रम पर बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया और फिर गेंदबाजों ने अपना काम बखूबी निभाया जिसके दम पर टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ चौथा टेस्ट मैच 157 रनों से जीतने में कामयाब रही क्योंकि इंग्लैंड की टीम को दूसरी पारी में केवल 210 रनों पर समेट दिया गया था।
पहले ओवरसीज शतक को अपना बेस्ट बताया-
रोहित शर्मा को मैन ऑफ द मैच चुना गया है और वे कहते हैं, "मैं मैदान पर होना चाहता था लेकिन यह शतक काफी स्पेशल था। हम जानते थे कि पहली पारी में काफी रनों से पीछे हैं और उनको 370 के करीब का लक्ष्य देना कितना महत्वपूर्ण था। बैटिंग यूनिट ने वाकई में एक बेहतरीन प्रयास किया है। यह मेरा पहला ओवरसीज हंड्रेड है और निश्चित तौर पर मेरा अब तक का बेस्ट शतक भी है। मेरे दिमाग में शतक लगाने का नहीं था हम जानते थे बैटिंग यूनिट पर प्रेशर है लेकिन हमने अपना दिमाग ठंडा रखा और परिस्थितियों के हिसाब से बल्लेबाजी की।"
WTC के बाद का गैप गेम चेंजर साबित हुआ-
रोहित यह भी कहते हैं कि न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप हारने के बाद जो समय मिला उसने उनकी स्किल को और धारधार करने में भूमिका निभाई है। वे कहते हैं, "मैं दिमागी तौर पर ज्यादा नहीं सोच रहा था मैं बस टीम के साथ अच्छी स्थिति में होना चाहता था। मैं मध्यक्रम का बल्लेबाज था लेकिन ओपनर की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी जानता हूं। जब आप एक बार टिक जाते हैं तो फिर आपको रन बनाने पड़ते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप चुनौतियों को लें। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के बाद हमारे पास 20 से 25 दिन थे और हमने डरहम में ट्रेनिंग की, यह गेमचेंजर साबित हुआ। हमने बैटिंग अच्छी की क्योंकि हमको चुनौती दी गई, खासकर लीड्स बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन ऐसा हो हो सकता है।"
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