नई दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड के बीच आयोजित की गई 2 मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में खेला जा रहा है, जहां पर चौथे दिन का खेल समाप्त होने के बाद भारतीय टीम काफी मजबूत स्थिति में पहुंच गई है। भारतीय टीम को मैच के आखिरी दिन जीत के लिये 9 विकेट की दरकार है तो वहीं पर कीवी टीम को जीत के लिये 280 रन बनाने होंगे या फिर पूरा दिन खेलकर मैच को ड्रॉ की ओर धकेलना होगा। हालांकि स्पिन फ्रेंडली पिच पर कीवी टीम के लिये दोनों ही काम करना आसान नहीं होगा। मैच के चौथे दिन की शुरुआत कीवी टीम के पक्ष में रही, जहां पर उसने पहले सेशन में 4 विकेट झटक कर भारतीय टीम को बैकफुट पर धकेल दिया था।
हालांकि दूसरे और तीसरे सेशन में भारतीय टीम ने श्रेयस अय्यर (65), ऋद्धिमान साहा (61*), आर अश्विन (32) और अक्षर पटेल (28*) की पारियों के दम पर दूसरी पारी में 7 विकेट खोकर 234 रन बना डाले। भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली पारी में 49 रनों की बढ़त भी मिली हुई थी जिसके चलते चौथी पारी में उसने कीवी टीम के सामने कुल 284 रनों का लक्ष्य रखा।
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पारी घोषित करने के बाद जब भारतीय टीम ने कीवी टीम को बल्लेबाजी के लिये बुलाया तो खराब रोशनी के चलते मैच रोकने से पहले सिर्फ 4 ओवर का ही खेल हो सका, जिसमें खराब अंपायरिंग और बुरी किस्मत के चलते कीवी टीम के सलामी बल्लेबाज को नुकसान उठाना पड़ा और वो रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर एलबीडब्लयू करार दिये गये। दरअसल तीसरे ओवर की आखिरी गेंद को अश्विन ने फ्लाइट के साथ फेंका जो कि विल यंग के फ्रंट पैड पर जाकर लगी।
अश्विन ने जोर से अपील की और अंपायर वीरेंदर शर्मा ने आउट करार दिया। विल यंग ने दूसरे छोर पर खड़े टॉम लैथम के साथ डीआरएस लेने को लेकर काफी देकर बात की लेकिन जब उन्होंने डीआरएस का इशारा किया तबतक अनिवार्य 15 सेकेंडस का समय बीत चुका था। इसके चलते विल यंग को वापस लौटना पड़ा। उल्लेखनीय है कि जब रिप्ले में देखा गया तो गेंद विकेट को करीब 2 स्टंप की दूरी से मिस कर रही थी और अगर विल यंग यहां पर रिव्यू लेते तो अपना विकेट बचा सकते थे।
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गौरतलब है कि कानपुर में खेले जा रहे इस टेस्ट में यह पहली बार नहीं है जब खिलाड़ियों को खराब अंपायरिंग का शिकार होना पड़ा है। इस मैच में अंपायरिंग कर रहे वीरेंदर शर्मा और नितिन मेनन के लिये यह मैच बिल्कुल भी अच्छा नहीं गुजरा है। जहां पर उनके दिये गये निर्णय पर 7 बार डीआरएस लेना सफल रहा है और अंपायर को नतीजा बदलना पड़ा है तो वहीं पर 4 निर्णय ऐसे रहे हैं जिन पर डीआरएस नहीं लेने की वजह से खिलाड़ी को खराब निर्णय से जूझना पड़ा है।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के चलते आईसीसी ने सभी अंतर्राष्ट्रीय मैचों में स्थानीय अंपायर्स को खड़ा करने का नियम बनाया हुआ है और खराब निर्णय से बचने के लिये 2 के बजाय 3 डीआरएस लेने का मौका दिया है। हालांकि कानपुर टेस्ट में जिस स्तर की अंपायरिंग हुई है उसे देखकर यही लग रहा है कि निर्णय मैदानी अंपायर की बजाय पूरी तरह से थर्ड अंपायर को सुपुर्द कर देना चाहिये।