स्लिप में कैच लपकने से मिलेगी जीत :
क्रिकेट में एक कहावत बहुत प्रचलित है, 'Catches Win Matches' और टेस्ट मैच में यह कथन किसी भी टीम को बेस्ट बनाती है। साल 2013-14 में टीम इंडिया में न सिर्फ कई खिलाड़ियों के लिए जगह खाली हुई और मैदान में भी एक जगह खाली हुई थी 'स्लिप कॉर्डन'। लंबे समय तक राहुल द्रविड़ सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं बल्कि इस पोजिशन पर भी दीवार थे। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि "मुझे मैदान पर सबसे अधिक दुख एक कैच ड्रॉप करने पर होता था, कोई गेंदबाज पूरी गर्मी में दिनभर गेंदबाजी करता है और आप अगर अपनी ओर आया एक कैच ड्रॉप कर देते हैं तो उनका एक विकेट मिस हो जाता है इसलिए मैं हमेशा कैच लेने के लिए हमेशा अपना बेस्ट देने की कोशिश करता था '. पिछले साल दिसंबर दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर गई टीम इंडिया ने तेज गेंदबाजों पर पिछले 4 सालों में 32 कैच पकड़े और 45 कैच ड्रॉप कर दिए थे। टीम इंडिया ने पहले ही टेस्ट में केशव महाराज का कैच ड्रॉप किया और ऐसे कई मौके इस दौरे पर गंवाए, परिणाम स्वरूप 2-1 से श्रृंखला गंवानी पड़ी। जिस मैच में टीम इंडिया को जीत मिली उसमें दक्षिण अफ्रीका ने विराट का कैच दो बार ड्रॉप किया और दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाफ सभी कैच लपके थे।
मुरली और पुजारा का द आर्ट ऑफ leaving :
टीम इंडिया के दो खिलाड़ियों की भूमिका टेस्ट में बेस्ट बनने में काफी अहम मानी जा रही है। टेस्ट में डिफेंसिव क्रिकेट की परिभाषा को भारतीय टीम के मॉन्क (मुरली विजय) और चे पु (चेतेश्वर पुजारा) ने एक अलग अंदाज में परिभाषित किया है। इन दो खिलाड़ियों की पहली प्राथमिकता विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे को इंग्लैंड की पिचों पर नई गेंदों से बचाकर रखना होगा। भारतीय टीम को टेस्ट में मिली जीत में इन दोनों खिलाड़ियों ने डिफेंसिव क्रिकेट खेला और टीम को जीत मिली। दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर भी एक मैच में जीत सिर्फ इनके डिफेंसिव क्रिकेट से मिली। मुरली विजय के पास टेस्ट का बेस्ट टेम्प्रामेंट है अगर आर्ट ऑफ leaving की बात करें तो उन्होंने पिछले चार सालों में सबसे अधिक गेंदें छोड़ कई शानदार पारियां खेल भारतीय टीम को जीत दिलाई है। मुरली विजय के शानदार कूल हेड और कंसंट्रेशन के लिए क्रिकेट पंडित उनकी तुलना बुद्धिस्ट मॉन्क से करते हैं जो एक बार ध्यान पर बैठते हैं तो फिर उनक ध्यान तोड़ना मुश्किल होता है।
क्या फिरकी में फंसेंगे अंग्रेज बल्लेबाज :
टीम इंडिया विदेशी सरजमीं पर दो तरीके से टेस्ट मैच जीतती हैं। पहला या तो लो स्कोर वाले मैच जिस पर पिच सिम और स्विंग की मददगार हो जिसमें रन बोर्ड पर हों और बाद में स्पिन गेंदबाजी कहर बनकर बरसे। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के समय वहां बहुत गर्मी है, ऐसा कहा जाता है कि इस मौसम में यहां की पिचें अत्यधिक गर्मी की वजह से टूटती हैं और स्पिन गेंदबाजी के लिए मददगार साबित होती हैं। ऐसी स्थिति में एक रिस्ट स्पिन्नर (कुलदीप यादव) और एक फिंगर स्पिनर (आर अश्विन) टीम में शामिल किए जा सकते हैं। ये दोनों खिलाड़ी बल्लेबाजी में भी अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं खासकर अश्विन को इस मामले में वरीयता दी जा सकती है। तेज गेंदबाजों ने पिछले 18 सालों में 26.18 की औसत से विकेट झटके हैं जबकि स्पिन गेंदबाजों ने 23.98 की औसत से विकेट झटके हैं। दिलचस्प यह देखना होग कि टीम इंडिया में किसे स्पिन डुओ में शामिल किया जा सकता है।
रहाणे को मिले भरपूर मौका :
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर टीम इंडिया को टेस्ट में मिली हार के बाद जिस खिलाड़ी की सबसे अधिक चर्चा हुई वो थे अजिंक्य रहाणे। ये एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने टीम इंडिया को इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में मिली टेस्ट जीत में अहम भूमिका निभाई थी। लॉर्ड्स पर साल 2014 में खेली गई इनकी शतकीय पारी और गेंदबाजी में ईशांत शर्मा के शानदार प्रदर्शन को भला कौन भूल सकता है जिसने ऐतिहासिक टेस्ट जीत की नींव रखी थी। वांडरर्स की असमान उछाल भरी पिच पर रहाणे ने 48 रनों की शानदार पारी खेली थी जो टीम इंडिया की जीत में निर्णायक साबित हुआ था। दूसरी पारी में जहां सभी खिलाड़ी रन बनाने के लिए जूझते दिखे वहीं रहाणे अपनी इस पारी से टीम के लिए टॉप स्कोरर साबित हुए थे।
विकेटकीपर की होगी अहम भूमिका :
धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद यह सवाल उठ रहा था कि टीम इंडिया के लिए सबसे फिट विकेटकीपर कौन होगा। रिद्धिमान साहा और कमोबेश पार्थिव पटेल ने उनके जगह की भरपाई की है। दोनों खिलाड़ियों ने घरेलू पिचों पर मिले मौके पर जमकर रन भी बनाए हैं। साहा के चोटिल होने के बाद दिनेश कार्तिक को लोअर मिड्डल ऑर्डर में एक बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। ऋषभ पंत को भी बैकअप विकेटकीपर के रूप में चुना गया है। अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या बेंच पर लंबे समय से बैठे कार्तिक इन मौकों का फायदा उठा पाते हैं या फिर पंत को फॉर्म के आधार पर वरीयता दी जा सकती है।
नाम की जगह फॉर्म को मिले तरजीह :
टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर टेस्ट टीम में रोहित के फ्लॉप शो की जमकर चर्चा हुई थी। व्हाइट जर्सी में वो विदेशी पिचों पर उछाल और स्विंग को भांपने में नाकाम रहे। टीम इंडिया की हार में इस खिलाड़ी की विफलता को सबसे बड़ा कारण माना जाने लगा। विराट ने तब कहा था "वो ODI में फॉर्म में थे इसलिए टेस्ट में भी तरजीह दी गई वहीं विदेशी पिचों पर इनफॉर्म रहे रहाणे को एक मैच में बैठना पड़ा था, अगर अफ्रीकी दौरे पर रहाणे को सभी टेस्ट मैचों में मौका मिलता तो परिणाम कुछ और हो सकता था लेकिन क्रिकेट में अगर-मगर से रिजल्ट तय नहीं होते। इंग्लैंड दौरे पर ODI और टी-20 में दो शतक जड़ने वाले रोहित को टेस्ट टीम में इस बार जगह नहीं मिली अब रहाणे और लोकेश राहुल के कंधों पर मध्यम क्रम की बड़ी जिम्मेदारी होगी। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि विराट की स्कीम ऑफ थिंकिंग में कौन-कौन से खिलाड़ी फॉर्म के आधार पर फिट बैठते हैं।
कोहली का फॉर्म और फिटनेस :
टेस्ट क्रिकेट में कोहली ने हाल के दिनों में शानदार प्रदर्शन कर पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी लेकिन साल 2014 के इंग्लैंड दौरे का 'भूत' इस विराट बल्लेबाज का अब भी पीछा नहीं छोड़ पा रहा है। हाल के इंग्लैंड दौरे पर इन्होंने सतर्क होकर शुरुआत की और टीम के लिए दो दो अर्धशतक बनाए हैं। इंग्लैंड के पिछले दौरे में कोहली 4 टेस्ट में 6 बार ऑफ से बाहर जाती गेंदों पर कैच थमा बैठे थे और किसी भी मैच में दमदार पारी खेलने में नाकाम रहे थे। इंग्लैंड जिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा प्लान तैयार कर रहा होगा वो हैं विराट।पिछले चार सालों में कोहली के खेल में बड़ा बदलाव आया है लेकिन क्या वो इंग्लैंड की उछाल और घास वाली पिचों पर अपनी पुरानी गलतियां दुहराने से बचेंगे। अगर वो ऐसा करने में सफल साबित होते हैं तो यह टीम इंडिया की इंग्लैंड में टेस्ट जीत में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। गर्दन की चोट से हाल में उबरे कोहली के लिए इस लंबे दौरे में अपने फॉर्म और फिटनेस को बरकरार रखना भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी।