नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट में इतिहास रचने के बाद 12 जनवरी को भारतीय टीम वनडे सीरीज का पहला मुकाबला खेलेगी। इससे पहले टेस्ट सीरीज में भारत ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराते हुए 71 साल बाद सीरीज अपने नाम की है।इससे पहले भारतीय टीम ने नवंबर में ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत करते हुए टी-20 सीरीज खेली थी। यह सीरीज 1-1 से बराबर रही थी। सिडनी में खेला गया अंतिम टी-20 मैच बारिश के कारण रद्द हो गया था।
तैयारी पूरी परीक्षा की बारी:
टीम इंडिया के बैटिंग लाइन अप की बात करें तो शुरुआत में ओपनिंग जोड़ी की समस्या से जूझ रही भारतीय टीम के पास रोहित और शिखर धवन जैसे बल्लेबाज है ं जो किसी भी टीम की गेंदबाजी की लाइन खराब कर सकते हैं। इसके अलावा टीम में सबसे बड़ी समस्या नंबर चार पर बल्लेबाजी की थी जो पिछले दिनों अंबाती रायूडु के शानदार प्रदर्श के दम पर खत्म होती नजर आ रही है। ऐसे में भारतीय टीम के सामने बेहतरीन प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा भारत काम सामना ऑस्ट्रेलिया के बाद न्यूजीलैंड से होना है। तीन मैचों की वनडे सीरीज खेलने के बाद भारतीय टीम न्यूजीलैंड का दौरा करेगी।
धोनी पर होगी नजर:
वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कुछ मैचों में टीम से बाहर रहने के बाद धोनी वापसी कर रहे हैं। इस दौरान उनके प्रदर्शन पर खासा ध्यान रहेगा क्योंकि विश्व कप की योजना में चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने ऋषभ पंत का नाम सुझाया था। बीते साल धोनी का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। इस दौरान 20 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 25 की औसत से 275 रन ही बना सके। यह विकेटकीपर बल्लेबाज इस दौरान एक भी अर्धशतक नहीं जड़ पाया। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट भी 71.42 रहा जो 87.89 के उनके करियर स्ट्राइक रेट से काफी कम है।
ऐन वक्त पर बदलाव: भारतीय टीम में ऐन मौके पर बदलाव करना पड़ा है।विवाद में पड़े हार्दिक पांड्या और केएल राहुल पर फिलहाल संस्पेंशन का आदेश है और दोनों पहले वनडे मैच से बाहर हैं। ऐसे में विराट कोहली ने उनकी जगह रविंद्र जडेजा को खिलाने की बात कही है। ऐसी स्थिति में जडेजा बायें हाथ के कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव के साथ स्पिन आक्रमण का हिस्सा होंगे जबकि जरूरत पड़ने पर केदार जाधव कामचलाऊ गेंदबाज की भूमिका निभा सकते हैं।
वार्नर और स्मिथ की गैर मौजूदगी का फायदा:
भारत को हालांकि डेविड वार्नर (2016 की श्रृंखला में तीन मैचों में 220 रन) और स्टीव स्मिथ (2016 में पांच मैचों में 315 रन) की गैरमौजूदगी का फायदा मिल सकता है। भारत का रिकॉर्ड भी ऑस्ट्रेलिया में अच्छा नहीं रहा है। विश्व चैंपियनशिप 1985 और सीबी सीरीज 2008 की जीत के अलावा भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसकी धरती पर 48 में से 35 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है