क्लियर प्लान, क्लीन हिटिंग-
दरअसल केएल राहुल को इतना तेज खेलने का शौक नहीं था लेकिन वक्त की दरकार ही ऐसी थी कि प्लेऑफ में रहने बचे रहने की उम्मीदों की खातिर किसी एक को तो सामने आकर मोर्चा संभालना ही था और ऐसे में कप्तान राहुल से बेहतर कौन उम्मीदवार हो सकता था। राहुल इस बात से खुद इत्तेफाक जताते हैं और मैच के बाद बताते हैं कि उनसे कहा गया था कि अगर हमारी टीम 14 ओवर से पहले मुकाबला खत्म करने में कामयाब रहती है तो उनके पास प्ले ऑफ के लिए अभी भी अच्छे चांस बचे रह सकते हैं।
राहुल कहते हैं, "हमारी योजना बिल्कुल स्पष्ट थी कि पहली गेंद से ही आक्रमण करना है। हमारे दिमाग में बिल्कुल स्पष्टता थी।"
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बल्ले के हैंडल से निकल रही हैं अजीब आवाजें- राहुल
इस दौरान राहुल ने गगनचुंबी 8 छक्के लगाए और वह कहते हैं कि उनका पसंदीदा छक्का वह था जो जोश हेजलवुड गेंद पर स्क्वायर लेग के ऊपर लगाया गया। राहुल आगे कहते हैं, "मैं पुल शॉट को खेलना पसंद करता हूं, खासकर जब आपका सिर टकरा गया हो और उसके बाद आपने अच्छा रिस्पांस दिया हो।"
इसी बीच केएल राहुल एक दिलचस्प बात बताते हैं कि उनके बल्ले से कुछ मजेदार आवाजें आ रही हैं और इसका हैंडल ठीक नहीं लग रहा है जिसके चलते वे थोड़े चिंतित है। राहुल कहते हैं, "वर्ल्ड कप आ रहा है और मैं इस बल्ले को फिट रखना चाहता हूं तो मैं कमरे में वापस जाऊंगा और बैठ को ठीक कर लूंगा।"
'लोग 3-4 साल से मेरे धीमेपन पर बात करते हैं'
अपने स्ट्राइक रेट पर बात करते हुए राहुल का कहना है कि पिछले 3 या 4 साल में लोगों ने उनके धीमे खेलने पर काफी बातें की है लेकिन केवल टीम और वे ही जानते हैं कि कितनी जिम्मेदारियां हैं और उनको किस तरीके से निभाना होता है। राहुल कहते हैं, "मैं अगर अपने हिसाब से खेलने लगा तो मुझे लगता है मैं अपनी टीम के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा। टीम हमेशा पहले आती है। मैं इसी तरीके से विकसित हुआ हूं और इसी तरीके से खेलता रहूंगा। आज टीम की ऐसी जरूरत थी तो मैंने खेल दिखा दिया। मैं खुश हूं कि मैं इस तरह की पारी खेल पाया।"
राहुल यह भी कहते हैं कि जब आप इस तरह की विध्वनशक पारी खेलते हो तो ऐसा लगता है कि जैसे हर गेंद को आप हिट कर सकते हो। तो जरूरी है कि आप अपनी शेप को होल्ड करके रखो और यही बात अपने आपको बताते रहो।
राहुल ने कहा- मैं पॉवरहिटर नहीं, टाइमर हूं
राहुल ने यहां एक महत्वपूर्ण बात बताई और कहा- "मैं अपने आपको केवल एक ही बात बता रहा था कि मैं कोई पावर हीटर नहीं हूं मैं अभी भी अपनी टाइमिंग के ऊपर ही निर्भर करता हूं और अपनी बॉडी की पोजीशन को सही जगह पर रखना चाहता हूं। तो मुझे लगातार यही कहना था और ताकतवर बने रहना था, गेंद को देखना था और फिर अपने भरोसे पर पूरा भरोसा रखना था कि मैं सही शॉट खेलने जा रहा हूं। मैंने नेट्स में अपने दिमाग को उसी हिसाब से ट्रेन किया है कि जब बैटिंग करने जाऊं तो सही फैसला लूं।"
राहुल आगे कहते हैं कि गेंद को बल्ले के बीचो-बीच प्रहार करके भेजने से बेहतर कुछ और फीलिंग नहीं होती और जब आप देखते हैं कि वह छक्के के लिए बाहर जा रही है तो मन ही झूम उठता है।