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"अकेला पिंक बॉल टेस्ट नहीं है समाधान", द्रविड़ ने बताया कैसे हो सकता है टेस्ट क्रिकेट में सुधार

नई दिल्ली: एशियाई मुल्कों में जिस तेजी से टेस्ट क्रिकेट के गिरते ग्राफ की स्थिति के बीच बाकी क्रिकेट दुनिया में भी अब टेस्ट पहले जैसा प्राथमिक क्रिकेट नहीं रह गया है। इसके कई कारण हैं जिनमें सबसे अहम है बदलते हुए समय के साथ पांच दिन तक क्रिकेट देखने के लिए ना मिलने वाला वक्त। इसके अलावा टी-20 क्रिकेट ने अपने आपको समय के बदलाव के नतीजे के तौर इजाद किया है जिसके चलते भी युवा पीढ़ी टेस्ट से दूर हुई है। आईसीसी ने बहुत सारे कारणों पर विचार करते हुए गुलाबी गेंद टेस्ट की संकल्पना को अमली जामा तब पहनाया जब उसको लगा कि कॉलेज और ऑफिस जाने वाले लोगों के पास शाम के समय टेस्ट क्रिकेट देखने का मौका होना चाहिए।

"गुलाबी गेंद टेस्ट सही कदम है लेकिन.."

इन्ही सब परिस्थितियों के बीच डे-नाइट टेस्ट काफी कुछ साल पुराना हो गया है लेकिन भारत में यह 22 नवंबर से अब पहली बार तब होने जा रहा है जब सौरव गांगुली बीसीसीआई के नए अध्यक्ष बने। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या डे-नाइट टेस्ट भारत में लगातार कम होती टेस्ट मैचों की भीढ़ खींचने में कामयाब साबित हो जाएगा? इसके कई पहलू हैं जिनके जवाब राहुल द्रविड़ ने देने की कोशिश की है। भारत के पूर्व कप्तान और नेशनल क्रिकेट अकादमी के प्रमुख राहुल द्रविड़ को लगता है कि गुलाबी गेंद से क्रिकेट भारतीय क्रिकेट के लिए सही रास्ता है, लेकिन यह अकेला ही टेस्ट क्रिकेट देखने के लिए भीड़ को स्टेडियम में वापस लाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

भारत में है टेस्ट सुधार की काफी गुंजाइश-

भारत में है टेस्ट सुधार की काफी गुंजाइश-

उन्होंने कहा, 'यह टेस्ट क्रिकेट का कायाकल्प करने का एकमात्र समाधान नहीं है, बल्कि यह उन चीजों में से एक है जिन्हें हमें करने की जरूरत है। अगर हम ओस को नियंत्रित करने में सक्षम हैं, तो गुलाबी गेंद टेस्ट भारत में साल में हर बार होने वाला आयोजन हो सकता है, "द्रविड़ ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया। इसके साथ ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में प्रशंसकों को स्टेडियम में आने और मैच देखने के लिए बेहतर सुविधाओं की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "ओस से गेंदबाजों के लिए कठिन हालात बनते हैं जब गेंद गीली हो जाती है और स्विंग गायब हो जाती है ... यह (गुलाबी गेंद) एक ऐसी चीज है जो लोगों को स्टेडियम में आकर्षित करेगी और कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही शौचालय, बैठने, कार पार्किंग जैसी बुनियादी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है, ये ऐसी चीजें हैं जो लोगों को और भी आकर्षित करेंगी।"

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टेस्ट कैलेंडर बनाने पर दिया जोर-

टेस्ट कैलेंडर बनाने पर दिया जोर-

द्रविड़ ने इंटरनेट और टेलीविजन के बारे में भी बात की है जिसके कारण दर्शक घर या मोबाइल फोन पर मैच देख रहे हैं और स्टेडियम में आने की जरूरत महसूस नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "जब हम कहते हैं कि 2001 में ईडन गार्डन में 1,00,000 लोग थे, तो हम इस बिंदु पर ध्यान नहीं कर रहे हैं। उस समय, कोई एचडी टेलीविजन नहीं था जो आपको घर पर एक बेहतर अनुभव की गारंटी दे सकता था, मोबाइल पर कोई क्रिकेट नहीं था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के विपरीत, भारत में टेस्ट क्रिकेट कैलेंडर नहीं है। द्रविड़ ने कहा कि आप यह तर्क दे सकते हैं कि एशेज हमेशा भरे रहते हैं और इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट क्रिकेट अच्छी स्थिति में है, लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास टेस्ट क्रिकेट कैलेंडर है और हमारे पास नहीं है। उन्होंने कहा, "लोग दिसंबर में एक बॉक्सिंग डे टेस्ट और एक साल आगे जुलाई में लॉर्ड्स टेस्ट की योजना बना सकते हैं। हमें भारतीय क्रिकेट में ऐसा करने की जरूरत है। इसके अलावा, स्टेडियमों में बेहतर सुविधाओं की जरूरत है, क्योंकि खेल में वापस आने के लिए प्रशंसकों बेहद जरूरी है। "

Story first published: Wednesday, November 20, 2019, 9:45 [IST]
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