धोनी ने करवाया था दोबारा टाॅस
संगकारा ने कहा, ''जब पहली बार धोनी ने सिक्का उछाला मैंने हेड कहा लेकिन धोनी को सुनाई नहीं दिया। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आपने टेल कहा कहा था। तो मैंने कहा, नहीं, मैंने हेड पुकारा था। लेकिन इस दाैरान मैच रैफरी ने कह दिया था कि श्रीलंका ने टाॅस जीता है, पर इतने में धोनी ने अंपायर से कहा कि नहीं, कुछ उलझन है। फिर से टॉस करते हैं। हालांकि, दोबारा भी मैं ही टॉस जीता।''
शोर के कारण कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था
उन्होंने आगे कहा, ''मुझे नहीं पता कि मैं किस्मत की वजह से दूसरी बार भी टॉस जीता। मुझे पूरा यकीन है कि अगर धोनी टॉस जीतते तो वो भी पहले बल्लेबाजी ही करते।'' उन्होंने आगे कहा कि यह दर्शकों के कारण हुआ। श्रीलंका में मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ। ऐसा मेरे साथ भारत में ही हुआ था। एक बार ईडन गार्डन्स में दर्शकों के शोर की वजह से मैं पहली स्लिप में फील्डिंग कर रहे खिलाड़ी को जो बोल रहा था, वो मुझे ही सुनाई नहीं दे रहा था। फाइनल हारने के बाद भी मुस्कुराने से जुड़े सवाल पर संगकारा ने कहा कि हम जीते या हारें। हमें पता है कि कैसे इन बातों का सामना करना है। हंसी ने मुझे निराशाओं के पलों को छुपाने में मदद की। 1996 के बाद हमारे पास 2007, 2011( वनडे वर्ल्ड कप) और 2009, 2012( टी-20 वर्ल्ड कप) का खिताब जीतने का मौका था। लेकिन हम नाकाम रहे।
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दुखों से निकलता है श्रीलंका
संगकारा ने आगे कहा, ''मेरी जिंदगी में श्रीलंका में ऐसी कई चीजें हुईं, जो हमें पीछे ले जाती हैं। हमारे यहां 30 साल गृहयुद्ध चला। 2005 में देश ने प्राकृतिक आपदा का सामना किया। हालांकि, हमारे देश की सबसे बड़ी खासियत है कि वह हर बार दुखों से बाहर निकलता है।'' बता दें कि भारत ने 2011 में 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीता था। फाइनल में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महेला जयवर्धने की शतक की बदौलत 50 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 274 रन बनाए थे जीत के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही। वीरेंद्र सहवाग शून्य पर आउट हो गए। जल्दी ही सचिन तेंदुलकर भी 18 रन बनाकर आउट हो गए। हालांकि, गंभीर ने एक छोर संभाले रखा। उन्होंने पहले विराट और फिर महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिलकर साझेदारी की और टीम की जीत तय कर दी। गंभीर ने 97 रन बनाए थे। आखिर में धोनी ने नुवान कुलशेखरा की गेंद पर छक्का मारकर टीम को जीत दिलाई