बेमिसाल पारियों ने बनाया लाजवाबः
हर खिलाड़ी की अपनी एक खास क्वालिटी होती है, लेकिन बड़ी बात औऱ कला होती है उस विशेषता में निरंतरता बनाए रखना। मयंक अग्रवाल के करियर पर अगर नजर डालेंगे तो एक बात बिल्कुल साफ है कि मुकाबले दर मुकाबले इस खिलाड़ी ने न सिर्फ खुद को निखारा है बल्कि लोगों के भरोसों को भी जीता है। 27 साल के कर्नाटक के इस बल्लेबाज ने रणजी ट्रॉफी में 105.45 के स्ट्राइक रेट से 1160 रन बनाए हैं जिसमें उन्होंने 5 शतक भी जमाए हैं। वहीं सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 145 के स्ट्राइक रेट से 258 रन बनाकर 3 अर्धशतक जड़े हैं। वहीं, विजय हजारे ट्रॉफी की अगर बात करें तो इस युवा खिलाड़ी ने 3 शतक और 4 अर्धशतक जड़कर 723 रन बटोरे हैं। कुल आंकड़ों में अगर 30 पारियों की बात करें तो मयंक ने 2141 रन के साथ 8 शतक जड़कर सेलेक्शन कमेटी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वो उन्हें टीम इंडिया में मौका दें।
सभी की जुबान पर था मयंक का नामः
अपने देश की धरती हो या फिर विदेशी सरजमीं मयंक का बल्ला हर जगह बोला, इसकी परिणाम ये निकला कि उन्हें टीम में शामिल करने के लिए हरभजन से लेकर द्रविड़ तक ने अपनी आवाज बुलंद की, और उम्मीद है कि वेस्टइंडीज के साथ होने वाले मुकाबले में उन्हें सलामी बल्लेबाज के रूप में टीम में मौका मिले। वहीं उनके साथ ओपनिंग करते पृथ्वी शॉ नजर आ सकते हैं। दोनों ने ही इस सीरीज से टीम में अपनी शुरुआत की है।
धवन पर इस वजह से भारी पड़े मयंकः
वनडे क्रिकेट की अगर बात करें तो शिखर धवन एक अलग अंदाज में नजर आते हैं लेकिन लाल गेंद के साथ वो उतने सहज नजर नहीं आते हैं, इंग्लैंड दौरे पर हुए टेस्ट मुकाबले में 5 टेस्ट मुकाबले में उनका बल्ला खामोश ही रहा और वो कोई भी बड़ी इनिंग खेलने में नाकाम रहे वहीं मयंक की अगर बात करें तो वो टेस्ट में मंझे हुए खिलाड़ी नजर आते हैं। ऐसे में उनके घरेलू प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए सेलेक्टर्स ने उन्हें मौका देने की बात कही है। वहीं मयंक खुद भी मानते हैं कि उन्हें क्रिकेट के गुर सिखाने में द्रविड़ का बड़ा हांथ है। ऐसे में उनकी यह दावेदारी और मजबूत हो जाती है।