जब दिनेश कार्तिक क्रीज़ पर उतरे तो बड़ी इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर जो लक्ष्य दिख रहा था, वो दर्शकों के साथ-साथ खिलाड़ियों की धड़कनें बढ़ाने के लिए भी काफ़ी था.
एक गेंद पहले आउट होकर पवेलियन लौटे मनीष पांडे (27 गेंद पर 28 रन) और सामने खड़े विजय शंकर (15 गेंद पर 12 रन) की पारियों ने आसान दिख रही जीत को काफ़ी दूर पहुंचा दिया था.
और मैदान में मौजूद ज़्यादातर लोगों ने शायद मान लिया था कि बांग्लादेश पहली बार भारतीय टीम को हराकर ख़िताब ढाका ले जाएगी. क्योंकि भारतीय टीम और निदहास ट्रॉफ़ी के बीच 12 गेंद पर 34 रन खड़े थे.
लेकिन दिनेश कार्तिक किसी और ही मूड से उतरे थे. पहली गेंद पर छक्का, दूसरी पर चौक्का, तीसरी पर फिर छ्क्का, चौथी पर कोई रन नहीं, पांचवीं पर दो रन और छठी पर फिर चौक्का. रुबेल हुसैन के ओवर में कार्तिक का बल्ला तलवार की माफ़िक चल रहा था.
12 पर 34 अचानक 6 पर 12 रन हो गया. आख़िरी ओवर में सामने फिर वही विजय शंकर थे. अगर भारत ये मैच हारता तो शंकर और उन्हें दिनेश से पहले उतारने वाले रोहित शर्मा को ज़िम्मेदार ठहराया जाता.
आख़िरी ओवर की पहली गेंद वाइड, इसके बाद आई गेंद फिर खाली. एक बार फिर लगा कि मैच गया. लेकिन अगली पर शंकर ने जैसे-तैसे रन लिया. दिनेश सामने. लगा कि एक-दो बड़े शॉट और मैच ख़त्म. लेकिन नहीं. फिर मोड़ आया. तीसरी गेंद पर कार्तिक को एक रन लेना पड़ा.
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अब तीन गेंद बची थी और नौ रन चाहिए थे. हार फिर क़रीब दिखने लगी. विजय शंकर की क़िस्मत पलटी और सौम्य सरकार की गेंद पर वो चौक्का बटोर ले गए.
अगली गेंद पर ग्लोरी शॉट खेलने के चक्कर में हवा में टांग बैठे. अब जीत के लिए 1 गेंद पर 5 रन चाहिए थे.
दिनेश कार्तिक को पता था कि अगर चौक्का आया तो मैच सुपर ओवर में जाएगा और कम आए तो बांग्लादेश की टीम काफ़ी देर तक मैदान में नागिन डांस करेगी.
लेकिन कार्तिक के साथ कल कोई अलग ही ताक़त काम कर रही थी. ऑफ़ साइड से बाहर लंबी गेंद को उन्होंने कवर के ऊपर मारा और बाउंड्री पार!
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डगआउट में बैठी भारतीय टीम दौड़ने लगी और खचाखच भरे मैदान में बैठे श्रीलंकाई प्रशंसकों में ऐसी बिजली कौंधी जैसे उनकी अपनी टीम ने कोई वर्ल्ड कप जीत लिया हो. ये पिछले मैच में बांग्लादेशी टीम से हुई लड़ाई का नतीजा था.
लेकिन जिस शख़्स ने नौ गेंद में सारी कहानी पलट दी, उसके चेहरे पर मामूली सी मुस्कान थी. जो लोग महेंद्र सिंह धोनी के वो दिन याद करते हैं, उन्हें कार्तिक ने सारे दिन भुला दिए.
मैच के बाद भी वो संयमी दिखे. बिना उत्साहित हुए उन्होंने कहा, ''इस परफ़ॉर्मेंस से बहुत ख़ुश हूं. टीम के लिए भी काफ़ी ख़ुशी है. हम इस टूर्नामेंट में काफ़ी अच्छा खेले हैं और फ़ाइनल न जीतना काफ़ी दुर्भाग्यपूर्ण होता.''
''मुझे क्रीज़ पर जाकर गेंद पर प्रहार करना था. मैं इसी का अभ्यास कर रहा था. और आज क़िस्मत ने भी साथ दिया.''
लेकिन कार्तिक ने मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड लेते वक़्त एक ऐसी बात कही, जिसमें उनकी ख़ुशी के भीतर छिपी निराशा भी झलकी.
उन्होंने कहा, ''भारतीय टीम में मौक़े बड़ी मुश्किल से मिलते हैं और जब आपको ऐसा अवसर मिलता है तो आपको उसका पूरा फ़ायदा उठाना होता है.''
और ये सच भी है कि दिनेश कार्तिक को उतने मौक़े नहीं मिले, जितने मिलने चाहिए थे. वो ऐसे खिलाड़ी के रूप में देखे जाते रहे हैं, जो चपल हैं लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा.
लेकिन इन दिनों उनमें एक ठहराव दिख रहा है. और इस ठहराव के साथ नाज़ुक मौकों पर मैच बदलने की कला भी दिखने लगी है. इसे शायद फ़िनिशर कहा जाता है.
हाल तक ये महेंद्र सिंह धोनी के बारे में कहा जाता था और उनसे पहले युवराज सिंह को. वनडे में ये तमग़ा विराट कोहली को भी कई बार दिया गया.
जब दो सितारे एकसाथ आसमान में चमकते हैं तो एक की चमक अक्सर दूसरे की चमक में कहीं खो जाती है. दिनेश के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है.
उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत धोनी से पहले की थी. लेकिन शुरुआत में धोनी के बालों का स्टाइल और आक्रामक बल्लेबाज़ी मशहूर हुई और बाद में उनकी कप्तानी.
ये दोनों चीज़ें थीं लेकिन कार्तिक फिर भी टीम में जगह बना सकते हैं, लेकिन धोनी का विकेटकीपर होना कार्तिक पर भारी पड़ गया.
बीच-बीच में कई अच्छी पारियां खेलने और विकेटकीपिंग के बढ़िया नमूने दिखाने के बावजूद धोनी के रहते वो टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे.
लेकिन कार्तिक की कुछ हालिया पारियों ने अब दावा पेश किया है. 23 टेस्ट मैचों में उन्होंने एक हज़ार रन बनाए हैं और औसत है 28 के क़रीब. 79 वनडे में 1496 रन हैं और 19 टी20 मैचों में उन्होंने 269 रन बनाए हैं.
दूसरी तरफ़ धोनी हैं. जिन्होंने 90 टेस्ट में 4876 रन, 318 वनडे में 9967 रन और 89 टी20 मैचों में 1444 रन बनाएं हैं.
लेकिन असल में दोनों के बीच बल्लेबाज़ी या विकेटकीपिंग की कोई तुलना नहीं. मैचों का अंतर ही इतना है. दरअसल, धोनी का जलवा ही ऐसा रहा कि किसी और विकल्प के बारे में विचार करने की बारी ही नहीं आई.
लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है. धोनी के बल्ले में पुरानी चमक नहीं रही है और कप्तानी भी अब कोहली संभाल रहे हैं.
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ऐसे में आने वाले समय में अगर ख़ालिस परफ़ॉर्मेंस के आधार पर आंका जाए, तो दिनेश कार्तिक धोनी को कड़ी टक्कर देते नज़र आएंगे.
लेकिन ये फ़ैसला विराट कोहली को करना है. और फ़िलहाल ऐसा लग रहा है कि कप्तान फिलहाल धोनी पर एतबार कर रहे हैं.
लेकिन रविवार रात खेली पारी अगर उन्होंने देखी होगी तो ज़रूर दिनेश पर वो दोबारा विचार करेंगे.
क्योंकि कोहली को इस बात पर भी विचार करना होगा कि 11 साल में कार्तिक को महज़ 19 टी20 मैच मिले जबकि 14 साल में महज़ 79 वनडे. और ये तो तय है कि वो इससे ज़्यादा डिज़र्व करते हैं.
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