कौन है रघु, जिसकी इतनी चर्चा हो रही हैः
32 साल के रघु कर्नाटक में उत्तरी कन्नड़ के एक छोटे से गांव कुमटा के रहने वाले हैं। बचपन से ही उनका मन क्रिकेट में ही लगता था। घर वाले पढ़ाई करने को कहते तो रघु ने स्कूल और घर दोनों छोड़ दिया। सपना था मुंबई जाकर सचिन के कोच रहे रमाकांत अचरेकर से क्रिकेट के गुर सीखने का। मगर यहां कई क्लबों में कोशिश की और तीन साल तक मुंबई में रहने के बाद जब कुछ नहीं बना तो बंगलुरु पहुंच गए। यहां नेशनल क्रिकेट अकेडमी में थ्रोडाउन का काम करने लगे, और बस यहीं से शुरू हुई इनकी सफलता की कहानी।
द्रविड़ को भाए और सचिन ने दिलाई टीम में एंट्रीः
इसी कैंप में रघु को मौका मिला कि वो द्रविड़ जैसे दिग्गज को भी गेंदबाजी कर सकें, और फिर प्रतिभा को तो सिर्फ एक मौके की तलाश होती है, फिर क्या था द्रविड़ को रघु भा गए। रघु की मेहनत और टैलेंट से प्रभावित द्रविड़ के कहने पर उसे 2008 में नेशनल टीम के खिलाड़ियों के साथ नेट्स में थ्रोडाउन का काम मिल गया। वहीं फिर उनकी मुलाकात हुई क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले तेंदुलकर से जहां उन्होंने सचिन को घंटों गेंदबाजी की, बस फिर क्या था अब द्रविड़ और सचिन के इस पॉजिटिव फीडबैक से रघु को दिसंबर 2011 में टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ में अतिरिक्त मेंबर के रूप में शामिल कर लिया गया। तब से रघु लगातार टीम के साथ हर जगह ट्रैवेल करते हैं।
ऐसे कराते हैं बल्लेबाजों को प्रैक्टिसः
32 साल के इस क्रिकेट के दीवाने ने खिलाड़ियों को फास्ट बॉलिंग की प्रैक्टिस कराने की वो स्किल हासिल की है जिसके दम पर इंडिया हर टीम के खिलाफ बेहतरीन परफॉर्म कर रही है। खास बात यह है कि रघु टीम के हर खिलाड़ी को नेट्स के दौरान पिच की लंबाई की आधी दूरी से फास्ट बॉलिंग फेस करने की गजब की प्रैक्टिस कराते हैं, इससे हर खिलाड़ी को उछाल वाली गेंद की प्रैक्टिस में भी मदद मिलती है। रघु के इस काम को क्रिकेट की भाषा में ‘थ्रोडाउन' कहा जाता है। वहीं उनकी इस स्पेशियलटी को एशिया कप में भी काफी सराहा जा रहा है।
कई देशों ने दिया मौका लेकिन रघु को प्यारी अपनी टीमः
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जब आपकी प्रतिभा का डंका पूरी दुनिया में बजता है तो कई लोग उसे पैसे, इज्जत के दम पर तोलने की कोशिश करते हैं, यही हुआ रघु के साथ भी। उनकी प्रतिभा के कायल कई देशों ने उन्हें अपनी टीम में शामिल करने की कोशिश की लेकिन फिर भी वो देश छोड़ के नहीं गए। आईपीएल में भी उनको कई ऑफर मिले लेकिन वो भारतीय क्रिकेट टीम के ही होकर रह गए। विराट ने अभी हाल ही में शतक जड़कर रघु को अपनी बल्लेबाजी का क्रेडिट भी दिया था।
इस तरह भी करते हैं मददः
कहते हैं न अच्छा साथी सिर्फ वो नहीं जो आपकी खूबियां गिनाए बल्कि सच्चा साथी वो है जो आपकी कमियों से आपको रुबरू करवाए, यही है रघु के साथ भी वो हर खिलाड़ी पर पैनी नजर रखते हैं और सभी की कमियों को बिना किसी संकोच के कह देते हैं। वहीं इसके साथ ही खिलाड़ियों के सामान आदि की भी सारी जिम्मेदारी रघु के पास ही है। वहीं, कोहली से लेकर रहाणे तक के रघु चहेते भी हैं।