क्रिकेटर बनने से पहले इंजीनियरिंग के रास्ते पर जाना चाहते थे
रजनीश का एक ही सपना है कि वह इंडियन नेशनल टीम के लिए खेलें। रजनीश गुरबानी क्रिकेटर बनने से पहले इंजीनियरिंग के रास्ते पर जाना चाहते थे और इसके लिए वो पूरी तैयारी में जुट गये। लेकिन अंतत: उन्होंने क्रिकेट को तवज्जो दी। गुरबानी का कहना है कि वो बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे। उन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर की क्रिकेट एकडमी ज्वॉइन कर ली। लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्हें यह छोड़नी पड़ी, क्यों कि उनके पिता नरेश गुरबानी का ट्रांसफर नागपुर हो गया।
ये गेंद फेकनी भी नहीं आती थी
अपनी जिस इनस्विंगर से दिल्ली को पस्त करने वाले रजनीश गुरबानी तीन महीने पहले तक ये भी नहीं जानते थे कि इनस्विंगर गेंद डाली कैसे जाती है। तीन महीने पहले उन्हें फॉलो-थ्रू में काफी दिक्कत होती थी। तीन महीने पहले, टीम मैनेजमेंट और कुछ सीनियर खिलाड़ियों का मानना था कि वे ट्रॉफी जीत सकते हैं।
गुरबानी ने रनिंग में गोल्ड मेडल जीता है
कई मायनों में गुरबानी विदर्भ टीम के परिवर्तन का चेहरा रहे। एक 24 वर्षीय सिविल इंजीनियर पहले से ही स्पोर्ट्सपर्सन रहे हैं। गुरबानी ने रनिंग में गोल्ड मेडल जीता है। वे शानदार बैडमिंटन प्लेयर, बास्केटबॉल में भी रहे हैं। जब विदर्भ के लिए गुरबानी का चयन हुआ तो तब एक चयनकर्ता ने कहा था कि 'ये क्या तेज गेंदबाजी करेगा' लेकिन आज अपने गेदंबाजी आंकड़ों से गुरबानी ने शानदार अंदाज में जवाब दिया है।
इस सीजन 39 विकेट झटके
गुरबानी ने इस सीजन 39 विकेट झटके जोकि इस सीजन में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। वहीं बतौर तेज गेंजबाज इस सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। हालांकि गुरबानी के लिए ये सफलता रातों-रात नहीं आई है। इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है।
कर्नाटक के खिलाफ 12 विकेट झटककर टीम की जीत में महत्वपू्र्ण योगदान दिया
24 वर्ष के इस युवा खिलाड़ी ने 10 दिसंबर 2015 को फर्स्ट क्लास क्रिकेट विजय हजारे ट्रॉफी में डेब्यू किया। इसके बाद 27 अक्टूबर 2016 में विदर्भ की ओर से उन्हें खेलने का मौका मिला। इस मौके को गुरबानी ने हाथ से नहीं जाने दिया। उन्होंने मौजूदा रणजी ट्रॉफी में बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए कर्नाटक के खिलाफ 12 विकेट झटककर टीम की जीत में महत्वपू्र्ण योगदान दिया।