पहले सेलेक्शन ट्रॉयल में फेल हो गए थे सचिन
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘जब मैं छात्र था तो मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही चीज थी, भारत के लिए खेलना। मेरी यात्रा 11 साल की उम्र में शुरू हुई थी।'
उन्होंने कहा, ‘मुझे यहां तक याद है कि जब मैं अपने पहले चयन ट्रायल के लिए गया था तो मुझे चयनकर्ताओं ने चुना नहीं था। उन्होंने कहा था कि मुझे और कड़ी मेहनत करके खेल में सुधार करने की जरूरत है।'
फेल होने पर बुरा लगा पर फिर भी नहीं मानी हार
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘उस समय मैं निराश था, क्योंकि मुझे लगा कि मैं अच्छी बल्लेबाजी करता था, लेकिन नतीजा उम्मीदों के अनुरूप नहीं था और मुझे नहीं चुना गया था।'
उन्होंने आगे कहा, 'इसके बाद मेरा ध्यान, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत करने की क्षमता और ज्यादा बढ़ गई। अगर आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हो तो ‘शॉर्ट-कट' से मदद नहीं मिलती।'
कोच रमाकांत आचरेकर की वजह से मिली सफलता
सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर के दौरान टेस्ट में 15,921 और वनडे में 18,426 रन बनाए हैं। करियर में इस सफलता और सहयोग के लिए सचिन तेंदुलकर ने अपने परिवार और कोच रमाकांत अचरेकर को श्रेय दिया।
उन्होंने कहा, ‘मेरी सफलता मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों की मदद से मिली। मैं अपने माता पिता से शुरुआत करूंगा, जिनके बाद मेरे भाई अजीत और बड़े भाई नितिन ने सहयोग किया।'
परिवार ने हर कदम पर दिया साथ
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘मेरी बड़ी बहन (जो शादी के बाद पुणे में हैं) ने मेरी मदद की। बल्कि मेरी बहन ने मुझे मेरी जिंदगी का पहला क्रिकेट बल्ला भेंट किया था।'
उन्होंने कहा, ‘शादी के बाद पत्नी अंजलि और बच्चे सारा और अर्जुन तथा अंजलि के माता-पिता ने मेरा सहयोग किया। मेरे अंकल और आंटी और कई अन्य लोग भी इसके लिए मौजूद रहे और अंत में निश्चित रूप से रमाकांत अचरेकर सर।'