अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट हैं दर्ज
आपको यह भूलना नहीं चाहिए कि अच्छी बल्लेबाजी के अलावा सचिन अच्छे गेंदबाज भी थे। सचिन एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन वो आस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर डेनिस लिली ही थी जिन्होंने एक युवा सचिन को अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था, जब वह अपने शुरुआती दिनों में एमआरएफ पेस फाउंडेशन गए थे। हालांकि तेंदुलकर ने लिली की सलाह को पूरी गंभीरता से लिया, लेकिन उन्होंने कभी भी गेंदबाजी के लिए अपनी प्रवृत्ति को पूरी तरह से वापस नहीं लिया। वह एक सक्षम गेंदबाज से अधिक थे। उन्होंने वो काम किए जो कभी-कभी टीम में नामित गेंदबाज भी नहीं कर सके। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके नाम 200 विकेट दर्ज हैं जो दिखाता है कि उनकी दिलचस्पी गेंदबाजी में कितनी रही। सचिन ने टेस्ट में 154 तो वनडे में 45 विकेट लिए हैं।
गेंदबाजी के दम पर 1993 में दिलाई थी जीत
बल्ले से, तेंदुलकर की महारत ने सभी को हैरान कर दिया। लेकिन उन्होंने गेंद से भी कई बार कामयाबी हासिल की। वह एकमात्र ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने खेल के अंतिम ओवर में एक से अधिक बार सफलतापूर्वक छह या उससे कम रनों का बचाव किया है। इस तरह का पहला उदाहरण ईडन गार्डन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 1993 का हीरो कप सेमीफाइनल में देखने को मिला था। 196 रनों का पीछा करते हुए, प्रोटियाज को अंतिम ओवर में छह की जरूरत थी। भारत के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने फैनी डिविलियर्स और ब्रायन मैकुलम का सामना करने के लिए तेंदुलकर को गेंद सौंपी। एक रन चुराने की कोशिश में, डिविलियर्स ओवर की पहली गेंद पर रन आउट हो गए। फिर क्रीज पर आए एलन डोनाल्ड।
दक्षिण अफ्रीका के 9 विकेट गिर चुके थे, ऐसे में उनपर अधिक दवाब था। वहीं सचिन भी डोनाल्ड और ब्रायन को रोकने में सफल हो गए। सचिन ने सिर्फ 3 रन दिए और टीम को 2 रन से जीत दिलाकर फाइनल का टिकट दिलवाया। सचिन इस मैच में बल्ले से 31 गेंदों में 15 रन ही बना सके थे, लेकिन उन्होंने सिर्फ एक ही ओवर में सुर्खियां बटोर लीं। वह इस मैच में इस्तेमाल किए गए 7वें गेंदबाज थे।
जब सचिन की एक गेंद जीत के लिए साबित हुई अहम
फिर इस तरह का एक और उदाहरण तीन साल बाद आया जब ऑस्ट्रेलिया टाइटन कप, 1996 के दौरान 290 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहा था। भारत के सभी गेंदबाजी विकल्प समाप्त होने के बाद, अजहरुद्दीन ने एक बार फिर तेंदुलकर की ओर रुख किया, जिसमें विपक्ष के पास एक विकेट बचा था जबकि जीत के लिए 6 रन चाहिए थे। सचिन फिर लकी साबित हुए जैसे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए थे। उनकी पहली ही गेंद पर ब्रैड हाॅग ने एक रन चुराने का प्रयास किया लेकिन वो रन आउट हो गए। इसी के साथ भारत को 5 रन से जीत मिल गई। इस मैच में सचिन की एक गेंद मैच को जितवाने में अहम साबित हो गई।