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शशि थरूर बोले- मैं धोनी और सचिन की इस बात को लेकर काफी निराश था

Shashi Tharoor was upset with MS Dhoni and Sachin Tendulkar on DRS decision | Oneindia Sports

नई दिल्ली। वर्तमान में कांग्रेस सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री शशि थरूर भी खेल में काफी रूचि रखते हैं। आए दिन वह दिग्गजों को लेकर बयान देते रहते हैं। फिलहाल उन्होंने उस बात का जिक्र किया जब वे खुद महेंद्र सिंह धोनी और सचिन तेंदुलकर की एक प्रतिक्रिया को देख निराश हो गए थे। दरअसल, 2009 में डिसीजन रिव्यू सिस्टम(डीआरएस) की शुरूआत हुई थी तो कई क्रिकेटरों ने इसकी आलोचना की। उनमें धोनी और सचिन भी थे। ऐसे में शशिर थरूर का कहना है कि जब इन दोनों खिलाड़ियों ने डीआरएस का विरोध किया था तो उन्हें काफी निराशा हुई थी।

वो 5 खिलाड़ी, जिन्होंने IPL में सबसे ज्यादा बार एक पारी में 50 से अधिक रन बनाएवो 5 खिलाड़ी, जिन्होंने IPL में सबसे ज्यादा बार एक पारी में 50 से अधिक रन बनाए

अंपायर के लिए फैसला लेना रहता था मुश्किल

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थरूर ने स्पोर्ट्स्कीडा से बात करते हुए कहा, ''मैं टेक्नॉलॉजी का बहुत बड़ा फैन हूं। शुरुआत से ही मैं डीआरएस को सपोर्ट करता आया हूं। जब धोनी और सचिन ने इसके लिए मना किया था तो मैं बेहद निराश हुआ था। मैंने जब भी कोई मैच देखा तो महसूस किया कि कोई फैसला लेना अंपायर के लिए बेहद मुश्किल रहता है।'' उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही डीआरएस के एक प्रशंसक रहे हैं और कभी नहीं समझ पाए कि भारतीय क्रिकेट टीम शुरुआती दिनों में इस तकनीक का उपयोग करने के लिए क्यों आशंकित थी।

फिर धोनी माने गए DRS के मास्टर

फिर धोनी माने गए DRS के मास्टर

विशेष रूप से, यह तकनीक-आधारित प्रणाली, जिसका उपयोग क्रिकेट में मैच अधिकारियों को अपने निर्णय लेने में सहायता के लिए किया गया था, पहली बार 2008 में भारत बनाम श्रीलंका मैच के दौरान खेला गया था। तब इसे आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा लॉन्च किया गया था। 24 नवंबर 2009 को डुनेडिन में यूनिवर्सिटी ओवल में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच पहले टेस्ट के दौरान इसका इस्तेमाल हुआ।

हालांकि एमएस धोनी के नेतृत्व वाली भारतीय टीम डीआरएस का उपयोग करने वाली पहली टीमों में से एक थी, धोनी इस तकनीक को अक्सर खेलने में लाने में अनिच्छुक थे। यह पिछले दशक के मध्य में ही था जब भारतीय टीम ने पूरे दिल से इसे अपनाया और सभी मैचों का उपयोग करना शुरू कर दिया। दिलचस्प है, बाद में एमएस को सही समय पर इस तकनीक का उपयोग करने के मास्टर के रूप में सम्मानित किया गया।

बिना DRS के मैच देखना नहीं चाहते थरूर

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बातचीत में आगे कहा गया है, 64-वर्षीय ने इस आधुनिक युग के सज्जनों के खेल में DRS के महत्व और परिणाम पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। राजनेता ने यह भी कहा कि वह कभी भी क्रिकेट को डीआरएस में शामिल किए बिना नहीं देखना चाहेंगे। उन्होने कहा, "DRS इस तरह का एक प्रमुख नवाचार है। मैं कभी भी डीआरएस के बिना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कभी नहीं देखना चाहता। यह बहुत अपरिहार्य है और इतने सारे बुरे निर्णयों को समाप्त करता है, और यह दर्शक के लिए एक अतिरिक्त उत्साह पैदा करता है।'' शशि थरूर ने कहा कि यह भूखंड में तनाव का एक अतिरिक्त तत्व है और यह बहुत ही स्वागत योग्य है।

Story first published: Friday, September 4, 2020, 12:56 [IST]
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