नई दिल्ली। खिलाड़ियों के मैदानी व्यवहार की बात की जाए तो बीता साल क्रिकेट के लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा। हालांकि यह बात भी उतनी ही सच है कि खिलाड़ियों की आपसी बातें अब स्टंप माइक्रोफोन के चलते कहीं ज्यादा मुखरता के साथ दर्शकों को सुनाई देने लगी हैं। अगर ताजातरीन घटनाक्रमों की बात करें भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी टेस्ट सीरीज में दोनों ही ओर के खिलाड़ियों की ओर से चले शब्दबाणों ने लोगों का खूब ध्यान खींचा था। खासकर ऋषभ पंत के लिए बेबीसीटर और टिम पेन के लिए टंपरेरी कैप्टन जैसे शब्द दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए थे।
ऐसे में आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव रिचर्डसन ने स्टंप माइक्रोफोन का बचाव करते हुए कहा है कि इससे 'माहौल' दिलचस्प बना रहता है और विश्व कप में आपको इसका प्रयोग देखने में मिलता रहेगा। डेव ने कहा, 'हमने खिलाड़ियों को कहा है कि आप चाहते हो कि आपकी कोई बात किसी के द्वारा ना सुनी जाए तो उस बात को कहो ही मत। स्टंप माइक्रोफोन कई बार अहम जानकारियां देने वाली बातचीत को भी रिकॉर्ड करता है।'
यह खास उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनीं मिताली राज
इसके अलावा डेव ने हाल ही में क्रिकेट जगत में मची कुछ विवादित बातों का जिक्र किया। रिचर्डसन ने कहा, 'मुझे लगता है हम बुरे दौर से गुजरे। लेकिन हमने आचार संहिता का पालन का कड़ाई से पालन किया। हार्दिक पांड्या का मामला मैदान से बाहर का था ऐसे में हमने इसको घरेलू बोर्ड के ऊपर छोड़ दिया है।' रिचर्डसन ने इसके अलावा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई टेस्ट सीरीज का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान दोनों ही टीम के खिलाड़ियों ने शानदार तरीके से खुद को प्रस्तुत किया।
इसके अलावा रिचर्डसन ने यह भी बताया की आईसीसी बीसीसीआई और वाडा के बीच में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है जिससे बीसीसीआई भारतीय डोपिंग एंजेसी की मानकों के हिसाब से खुद को ढाल सके। बता दें कि यह सब कवायदें 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स को ध्यान में रखकर की जा रही हैं जिससे की महिला क्रिकेट को इन खेलों में जगह दी जा सके। हालांकि अभी इस मामले पर कोई खास प्रगति नहीं हुई है।