नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली ने खुलासा किया कि वह 2014 में इंग्लैंड दौरे के दौरान डिप्रेशन से गुजरे थे। उन्होंने कहा कि दिग्गज भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत ने उनकी काफी मदद की।
कोहली ने कहा कि सचिन ने उन्हें नकारात्मक भावनाओं से नहीं लड़ने की सलाह दी और इसके बजाय उन्हें गुजरने देने की सलाह दी क्योंकि लड़ाई केवल उन भावनाओं को मजबूत बनाती है।
कोहली ने प्रसिद्ध कॉमेंटेटर मार्क निकोलस के 'नॉट जस्ट क्रिकेट' पॉडकास्ट पर बताया, "मैंने उनके साथ चीजों के मानसिक पक्ष के बारे में की, क्रिकेट में उन्होंने जो अनुभव किया वह यह था कि यदि आपके दिमागी सिस्टम में नियमित रूप से कोई विचार बार-बार आ रहा है आप एक मजबूत नकारात्मक भावना से गुजर रहे हैं। यदि आप उस भावना से लड़ना शुरू करते हैं, तो यह मजबूत होता है। इसलिए, यही सलाह मैंने ली और मेरी मानसिकता तब से खुल गई।"
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कोहली ने 2009 से 2013 के बीच सचिन तेंदुलकर के साथ 31 वनडे (2011 एकदिवसीय विश्व कप सहित) और 17 टेस्ट खेले हैं।
भारत के कप्तान ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि इंग्लैंड दौरे के दौरान नकारात्मक भावनाओं पर कैसे काबू पाया जाए, जिसमें उन्होंने टेस्ट सीरीज में 13.50 के औसत से रन बनाए थे। कोहली ने बताया कि उस दौरान उनको लगता था रन अब नहीं बनेंगे। वह खुद को अकेला महसूस करने लगे थे। कई बार सुबह उठने का भी मन नहीं होता था। यह वह समय था जब विराट कोहली को महसूस हुआ कि ऐसी चीजों के लिए खिलाड़ियों के पास कोई पेशेवर सलाहकार होना जरूरी है।
बता दें कि कोहली माइंडसेट जैसी चीजों पर काफी यकीन करते हैं। उनकी फिटनेस और माइंडसेट दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। अपने डिप्रेशन के अनुभव पर बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि मानसिक हेल्थ पर बात होनी और ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि ये चीजें किसी खिलाड़ी का पूरा करियर तबाह कर सकती हैं।
आज विराट कोहली इन सब चीजों से उभरकर काफी आगे बढ़ चुके हैं। दबाव को झेलने के उनके अपने तरीके हैं। वे अब इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में भारत का नेतृत्व करेंगे, जो 24 फरवरी से अहमदाबाद में एक दिन-रात गुलाबी गेंद टेस्ट होगा।