पंत को तराशने में कोच तारक सिन्हा का है बड़ा हाथ
हालांकि ऋषभ पंत ने हार नहीं मानी और 7-8 महीनों तक जमकर मेहनत की और जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे पर दूसरे टेस्ट मैच में मौका मिला तो दोनों हाथ से लपका और लगातार मैच जिताऊ प्रदर्शन कर एक बार फिर से तीनों प्रारूप में वापसी कर ली है। ऋषभ पंत के करियर का यह उतार-चढ़ाव उनकी मानसिक मजबूती के बारे में दर्शाता है जिसमें उनके बचपन के कोच तारक सिन्हा का भी अहम योगदान है।
तारक सिन्हा वो कोच हैं जिन्होंने ऋषभ पंत से पहले दिल्ली के सोनेट क्लब में शिखर धवन, आशीष नेहरा और आकाश चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों को तराशने का काम किया है।
आधी रात को माफी मांगने पहुंचे थे ऋषभ पंत
जब पंत को लेकर कोच तारक सिन्हा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह शुरू से ही काफी मेहनती खिलाड़ी रहे हैं और अपने खेल के प्रति उन्हें इतना प्यार है कि आधी रात को घंटो ड्राइव कर के माफी मांगने में भी उन्हें कोई तकलीफ नहीं है। इसको लेकर कोच तारक सिन्हा ने क्रिकेट नेक्सट डॉट कॉम से बात करते हुए बचपन का एक किस्सा भी सुनाया।
उन्होंने कहा,'जब पंत साउथ दिल्ली में स्थित मेरे सोनेट क्लब में सीखने के लिये आते थे तो नेट सेशन के दौरान मैं किसी बात को लेकर उनसे नाराज हो गया था। पंत को यह बात बुरी लगी और वो रात भर सो नहीं पाया। रात के साढ़े 3 बजे वैशाली स्थित मेरे घर की घंटी बजती है और मैं देखता हूं कि पंत मेरे दरवाजे पर खड़ा है। मैंने दरवाजा खोलकर पंत को इतनी रात को आने की वजह पूछी तो उसने कहा कि माफी मांगने आया हूं।'
मानसिक रूप से बेहद मजबूत हैं ऋषभ पंत
कोच तारक सिन्हा ने कहा कि मैं हैरान था कि पंत इतनी रात को डेढ़ घंटे की ड्राइव कर के मेरे पास आया है वो भी सिर्फ माफी मांगने। उन्होंने आगे बताया कि पंत ने मुझसे कहा कि उसने मुझे इतना नाराज पहले कभी नहीं देखा था और वो माफी मांगने आया है। मेरे लिये यह घटना दिल छू लेने वाली और परेशान करने वाली दोनों थी क्योंकि वो इतनी रात को इतनी दूर आया था। यहां तक कि मेरा परिवार यह देखकर मुझसे नाराज हो गया कि मैं इस बच्चे पर इतना ज्यादा सख्त क्यों हूं।
वहीं पंत की वापसी को लेकर कोच तारक सिन्हा ने कहा कि वो हमेशा से मानसिक रूप से मजबूत रहा है। वो क्रिकेट खेलने के लिये रुढ़की से दिल्ली आया और हमेशा बेस्ट प्लेयर बनना चाहता था। मुझे हमेशा लगता था कि अगर मौका मिला तो पंत कुछ विस्फोटक करके दिखायेगा।