नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग की कप्तानी में साल 2003 और 2007 में लगातार दो विश्व कप भी जीते। उन्होंने टीम को 2006 चैंपियंस ट्रॉफी भी दिलाई। पोंटिंग ने साल 2011 में कप्तानी छोड़ दी थी। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के इस बेहतरीन खिलाड़ी ने अब खुलासा किया है कि आखिर क्यों अचानक उन्होंने कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने तो यहां तक कहा कि इस फैसले से उन्हें काफी दुख पहुंचा था।
पोंटिंग ने कहा है कि कप्तानी छोड़ने के फैसले से मुझे तकलीफ तो हुई थी, लेकिन मैंने महसूस किया कि वो ऐसा करने के लिए बिल्कुल सही समय था। मैं अगले कप्तान को समय देना चाहता था ताकि वो अगले बड़े टूर्नामेंट के लिए तैयार हो सके।मैं चाहता था कि माइकल क्लार्क के पास पर्याप्त समय हो. रिकी पोंटिंग ने हाल ही में बुशफायर चैरिटी मैच में हिस्सा लिया था। पूर्व कप्तान ने कहा कि मैंने 2011 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में शतक लगाया था। और मैं तब अच्छा खेल रहा था। जब मैंने कहा कि मैं खेलना जारी रखना चाहता हूं तो कुछ लोगों ने इस पर सवाल भी उठाए। मगर मैंने ये फैसला इसलिए किया था ताकि टीम में आने वाले युवा खिलाड़ियों की मदद कर सकूं। विश्व कप का वो क्वार्टर फाइनल मुकाबला भारत के खिलाफ था, जिसमें पोंटिंग की टीम को हार मिली थी और उसके बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था।
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रिकी पोंटिंग ने कहा, 'मेरे पास तब इस खेल में हासिल करने के लिए कुछ नहीं रह गया था। मैं सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के हित में खेलना चाहता था।' पोंटिंग ने साल 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। वह इंडियन प्रीमियर लीग में 2014 से लेकर 2016 तक मुंबई इंडियंस के कोच भी रहे। इसके बाद उन्होंने साल 2018 में आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के कोच पद की जिम्मेदारी संभाली। पोंटिंग ने 77 टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की, जिसमें से टीम ने 48 मुकाबले जीते। जहां तक वनडे की बात है तो इस प्रारूप में पोंटिंग ने 228 मैचों में कप्तानी करते हुए 162 मुकाबलों में टीम को जीत दिलाई।
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