क मजेदार इंसान जो ईमानदार था और कभी अपनी टीम को झुकने नहीं देता था
युवराज सिंह ने ‘Resilience of Mr Ashish Nehra' टाइटल से फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी। उन्होंने लिखा- ‘अपने भाई आशू के बारे में पहली चीज यही कहूंगा कि वो एक बेहद ईमानदार इंसान हैं...वो दिल का बहुत साफ आदमी है। पब्लिक फिगर्स को कई पैरामीटर्स पर जज किया जाता है। उस मामले में आशू दो-टूक था और उसकी वजह से उसे परेशानी भी हुई। लेकिन मेरे लिए वह हमेशा आशू या नेहरा जी रहा, एक मजेदार इंसान जो ईमानदार था और कभी अपनी टीम को झुकने नहीं देता था।'
लगा जैसे किसी ने उनकी पैन्ट में चीटियां छोड़ दी हैं
युवराज सिंह ने आगे लिखा- मैं पहली बार नेहरा से कब मिला, जब हम अंडर-19 के लिए खेला करते थे और उनका सिलेक्शन टीम इंडिया के लिए हो गया था। वो हरभजन सिंह के साथ अपना रूम शेयर कर रहे थे। मैं भज्जी से मिलने उनके कमरे में गया और एक लंबे, पतले लड़के को देखा, जो बिना हिले खड़ा नहीं रह पा रहा था। वो एक ऐसी बिल्ली की तरह थे जिसे बेहद गर्म छत के नीचे छोड़ दिया हो। वो थोड़ी देर चुपचाप बैठेगा लेकिन दूसरे ही पल स्ट्रेचिंग या फिर अपना मुंह मरोड़ने लगेगा या आंखे घुमाने लगेगा। मुझे नेहरा को पहली बार देखकर बहुत हंसी आई और लगा जैसे किसी ने उनकी पैन्ट में चीटियां छोड़ दी हैं। बाद में जब हमने भारत के लिए खेला जब मैंने जाना की आशू ऐसे ही हैं। जहां तक चीटियों की बात है, वो उनकी कड़ी मेहनत का हिस्सा हैं जिसके बारे में मैं बाद में बताउंगा।"
सौरव गांगुली ने आशू को ‘पोपट' नाम दिया
युवराज ने लिखा, "सौरव गांगुली ने आशू को ‘पोपट' नाम दिया था क्योंकि वह बात बहुत करता था। मतलब कि वह पानी के भीतर भी बात कर सकता है, ऊपर से वो मजेदार है। उसकी बॉडी लैंग्वेज ही ऐसी है कि मजा आ जाता है। अगर आप आशीष नेहरा के साथ हो तो आप का दिन खराब नहीं जा सकता। नो चांस, वो बंदा आपको हंसा-हंसा के गिरा देगा। मैंने ये बात आशू से कभी नहीं कही कि मुझे उनसे ही प्रेरणा मिली। मैंने देखा कि अगर आशू 38 की उम्र में कई इंजरी और सर्जरी के बाद भी बॉलिंग कर सकता है तो मैं भी 36 की उम्र में ये सब कर सकता हूं। सच्चाई यही है कि ये बात मुझे आज भी कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।"
उन्होंने 30-40 बार अपने टखने पर बर्फ से सिकाई की और पेन किलर खाए
बता दें कि नेहरा और युवी आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए एकसाथ खेले हैं। हालांकि अब नेहरा आईपीएल में भी दिखाई नहीं देंगे। युवराज ने आगे लिखा "नेहरा की कोहनी, कूल्हे, एड़ी, घुटने, उंगलियां, टखने समेत कुल 12 सर्जरी हुई है, लेकिन उनके अंदर कभी न हार मानने वाला जज्बा है। नेहरा के अंदर कड़ी मेहनत और अच्छा प्रदर्शन करने का जोश था। मुझे याद है साल 2003 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के मैच से पहले उनका टखना मुड़ गया था, लेकिन वो फिर भी इंग्लैंड के खिलाफ खेले। उन्होंने 30-40 बार अपने टखने पर बर्फ से सिकाई की और पेन किलर खाए, जिसके बाद वो इंग्लैंड के खिलाफ मैच में खेले और उन्होंने 6 विकेट लेकर भारत को जीत दिलाई।'
झे एक सीनियर खिलाड़ी को ऐसा करते देख बहुत ही ज्यादा दुख हो रहा था
2011 वर्ल्ड कप का अनुभव शेयर करते हुए युवराज ने लिखा- "नेहरा 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में नहीं खेल सके थे क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में वो चोटिल हो गए थे। नेहरा ने इस टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाजी की थी। जब वो फाइनल में नहीं खेल सके तो उन्होंने इसका मलाल नहीं किया जो आमतौर पर एक खिलाड़ी को होता है। बजाय इसके वो मुस्कुराते हुए अन्य खिलाड़ियों की मदद करते रहे। नेहरा मुंबई में हमारे साथ थे। वो खिलाड़ियों को ड्रिंक्स और तौलिए देने के साथ-साथ गेंदबाजों को जरूरी सलाह भी देते रहे। मुझे एक सीनियर खिलाड़ी को ऐसा करते देख बहुत ही ज्यादा दुख हो रहा था।"
मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाता जब वो बेशर्मी से अपनी बैटिंग को लिजेंड्री कहता है
युवराज ने नेहरा के परिवार की तारीफ करते हुए लिखा कि उनके पास अच्छा परिवार है। उनके दो बच्चे हैं। बेटा आरुष और बेटी अराएना। आरुष भी बॉलिंग करता है लेकिन उसका एक्शन अपने पिता से बेहतर है (भगवान का शुक्र है)। आशू अपनी बैटिंग के बारे में कभी विन्रम नहीं था। मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाता जब वो बेशर्मी से अपनी बैटिंग को लिजेंड्री कहता है। सिर्फ यही नहीं वो ये भी कहता है कि अगर वो एक बल्लेबाज़ होता तो 45 की उम्र तक खेलता। लेकिन कौन जानता है, ये उसका आखिरी मैच है, उसके होमग्राउंड पर, सारी दुनिया देख रही है, क्या पता वो मैच जिताऊ पारी खेले। मुझे इस बात का यकीन है कि मैं अकेला नहीं हूं जो आशू के करियर की पर्फेक्ट एंडिंग चाहता है। ये वक्त मेरे लिए बेहद भावुक है और मुझे यकीन है कि आशू और उसके परिवार के लिए भी उतना ही भावुक है। मैं क्रिकेट का आभारी हूं जिसने मुझे एक सच्चे दोस्त दिया, जिसे मैं हमेशा प्यार करूंगा।