बीबीसी संवाददाता, दक्षिण अफ़्रीका से
एक स्थानीय समाचार पत्र के सर्वेक्षण के मुताबिक़ विश्व कप के दौरान बाहर से आने वाले लोगों के रुख़ से यौनकर्मी काफ़ी निराश हैं. दरअसल यौनकर्मियों को उम्मीद थी कि विश्व कप के दौरान उनकी आमदनी बढ़ेगी. लेकिन उनकी उम्मीद के मुताबिक़ नहीं हो पा रहा है. यौनकर्मियों का कहना है कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस के कारण भी उनका धंधा मंदा चल रहा है, जबकि बाहर से आए लोगों का कहना है कि उनका ध्यान फ़िलहाल फुटबॉल पर है सेक्स पर नहीं.
सर्वेक्षण के मुताबिक़ गलियों, चौराहों या ख़ास इलाक़ों की सड़कों पर अपने ग्राहकों की तलाश करने वाली यौनकर्मियों का काम सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है. लेकिन कई बड़े स्ट्रिप क्लबों का धंधा ठीक चल रहा है. कुछ लोग ये भी मानते हैं कि देश में एड्स की मौजूदा स्थिति के कारण भी लोग यौनकर्मियों से दूर रह रहे हैं.
शहर के टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि यौनकर्मियों ने विश्व कप को देखते हुए क़ीमत बढ़ा दी है, इस कारण कई ग्राहक लौट जाते हैं. फ़्रांसीसी टीम की तरह इंग्लैंड की टीम में विद्रोह का बिगुल बजाने की कोशिश करने वाले पूर्व कप्तान जॉन टेरी की योजना धरी की धरी रह गई.
वजह उन्हें टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों का समर्थन नहीं मिला और इन खिलाड़ियों ने उल्टे उन्हें चुप रहने की सलाह दे डाली. दरअसल इंग्लैंड की टीम भी विश्व कप में ख़राब दौर से गुज़र रही है और उसका दूसरे दौर में जाना भी काफ़ी मुश्किल लग रहा है. इस बीच जॉन टेरी ने यह कहते हुए विद्रोह की शुरुआत की कि उनकी टीम में सब कुछ अच्छा नहीं है और खिलाड़ी कोच फ़ेबियो कपेलो के साथ बैठक करना चाहते हैं.
बैठक तो हुई, लेकिन टेरी की खिलाड़ियों के समर्थन की आस पूरी नहीं हो पाई. जब कई सीनियर खिलाड़ियों ने उन्हें चुप रहने की सलाह दे डाली, तो टेरी क्या करते. मामला फ़ुस्स होते देख, अब उन्होंने ख़ुद माफ़ी मांग ली है और अब टीम के अच्छे प्रदर्शन की बात कर रहे हैं. उधर टेरी से नाराज़ कपेलो ने कहा है कि इंग्लैंड की टीम में फ्रांस जैसी कोई बात नहीं, ये तो अकेले टेरी की बात थी.
इतना सब होने के बाद ये तो तय लगता है कि अगर इंग्लैंड की टीम दूसरे दौर में क्वालीफ़ाई हो गई, तो टेरी पर गाज गिर सकती है, अन्यथा कपेलो का डब्बा गोल हो सकता है. वैसे आपको याद दिला दें कि पहले टेरी ही टीम के कप्तान थे, लेकिन पूर्व साथी खिलाड़ी वेन ब्रिज की पूर्व प्रेमिका से संबंध की ख़बर सामने आने के बाद उनकी कप्तानी छीन ली गई थी.
लगता है कि ज़्यादातर यूरोपीय टीमें ही संकट से जूझ रही हैं, वो चाहे मैदान में अच्छे प्रदर्शन की बात हो या मैदान से बाहर एकजुटता दिखाने का मामला हो. ताज़ा मामला विश्व चैम्पियन इटली का है. इटली के कोच मार्शेलो लिप्पी अपने खिलाड़ियों से काफ़ी क्षुब्ध हैं. मौजूदा चैम्पियन इटली के सितारे भी आजकल गर्दिश में चल रहे हैं.
इटली को इस विश्व कप में अपने ख़िताब की रक्षा करनी है. लेकिन टीम ने अपने अभियान की शुरुआत काफ़ी निराशाजनक अंदाज़ में की है. टीम अपने दोनों मैच सिर्फ़ ड्रॉ करा पाई है. पराग्वे के अलावा न्यूज़ीलैंड जैसी टीम से भी चैम्पियन टीम सिर्फ़ ड्रॉ करा पाई. अब टीम में सब कुछ अच्छा कैसे रहता. टीम के कोच लिप्पी का कहना है कि मैच के दौरान खिलाड़ी उनके आदेश का पालन नहीं करते.
अब लिप्पी साहब के इस आरोप में कितना दम है, ये तो वही जानें. लेकिन इतना तो तय है कि अगर इटली की टीम अगले दौर के लिए क्वालीफ़ाई नहीं कर पाई तो लिप्पी साहब की बहुत ख़राब विदाई होगी.