BBC Hindi

फ़ुटबॉल विश्व कप 2018 का आग़ाज़, जानिए ख़ास बातें

By Bbc Hindi

फ़ुटबॉल विश्व कप 2018 का जुनून महीने भर तक खेल प्रेमियों के सिर चढ़कर बोलने वाला है. इस बार के विश्व कप की मेजबानी रूस कर रहा है.

फुटबॉल विश्व कप से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं जो अक्सर हमारे दिलो-दिमाग़ में उठते रहते हैं. कुछ सवाल विश्व कप के रिकॉर्ड से जुड़े होते हैं तो कुछ खिलाड़ियों के प्रदर्शन से.

क्या जर्मनी पेनल्टी को गोल में तब्दील करने वाली सबसे बेहतरीन टीम है? घर में मैच खेलना कितना फ़ायदेमंद साबित होता है? और मेक्सिको के किस खिलाड़ी के नाम क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बराबर गोल करने का रिकॉर्ड है?

फ़ुटबॉल विश्वकप से जुड़े ऐसे ही कई सवालों के जवाब

किसने जीते सबसे ज़्यादा विश्वकप ?

फ़ुटबॉल विश्व कप जीतने की बात करें तो इसमें सबसे ऊपर नाम आता है ब्राज़ील. ब्राज़ील ने कुल पांच विश्व कप अपने नाम किए हैं.

आख़िरी बार ब्राजील ने साल 2002 में फ़ुटबॉल विश्व कप जीता था, लेकिन साल 2014 में जब वो ख़ुद फ़ुटबॉल महाकुंभ का मेजबान बना तो सेमीफ़ाइनल में ही 7-1 की क़रारी हार के साथ बाहर होना पड़ा था.

अभी तक यूरोप और दक्षिणी अमरीकी देशों के अलावा कहीं और के देशों ने फ़ुटबॉल विश्व कप नहीं जीता है.

पिछले तीन बार के फ़ाइनल में जर्मनी, स्पेन और इटली की जीत के बाद यूरोपीय देशों ने कुल 11 बार विश्व कप अपने नाम किए हैं जबकि दक्षिण अमरीकी देशों ने 9 बार जीते.

किसने किए सबसे अधिक गोल?

जर्मनी की गोल मशीन कहे जाने वाले मिरोस्लाव क्लोज का नाम इस मामले में सबसे ऊपर है.

उन्होंने कुल चार विश्व कप खेले हैं जिनमें 16 गोल दागे हैं. उन्होंने साल 2016 में इस खेल से संन्यास ले लिया था, लेकिन वो इस विश्व कप में अपनी टीम के साथ एक बैकरूम स्टाफ़ के तौर पर जा रहे हैं.

इसके बाद नाम आता है ब्राज़ील के खिलाड़ी रोनाल्डो का, जिनके नाम कुल 15 गोल हैं. इसमें से आठ गोल साल 2002 के विश्व कप में ही किए गए थे.

वहीं अगर एक ही टूर्नामेंट में सबसे अधिक गोल करने का रिकॉर्ड फ़्रांस के खिलाड़ी जस्ट फोन्टेन के नाम है. उन्होंने 1958 के विश्व कप में खेले गए 6 मुक़ाबलों में 13 गोल किए थे.

मौजूदा खिलाड़ियों में कौन सबसे आगे?

विश्व कप में 10 या उससे अधिक गोल मारने वाले खिलाड़ियों के नामों को देखें तो जर्मनी के मिडफील्डर थॉमस म्यूलर ही अकेले हैं जो खिलाड़ी के तौर पर रूस पहुंचे हैं.

म्यूलर अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ना चाहेंगे, उन्होंने एक टूर्नामेंट में कुल पांच गोल किए थे.

वहीं कोलंबिया के फॉरवर्ड खिलाड़ी जेम्स रोड्रिगेज़ ने पिछली बार गोल्डन बूट अपने नाम किया था, वे इस बार रूस के मैदान पर वैसा ही प्रदर्शन दोहराना चाहेंगे.

मेक्सिको के 39 वर्षीय डिफेंडर रफेल मार्कीज इस बार अपना पांचवा विश्व कप खेलेंगे.

गोल पर कम होते शॉट

हर खेल में गोल की तरफ़ कितने शॉट लगाए गए, इस मामले में पिछला विश्व कप सबसे नीरस रहा था. फ़ुटबॉल विशेषज्ञों ने साल 1966 से इन आंकड़ों को जुटाना शुरू किया था.

हालांकि गोल के मामले में साल 2014 में हर खेल में औसतन 2.7 गोल हुए थे. यह स्पेन में साल 1982 में हुए विश्व कप के बाद सबसे अधिक था.

साल 1966 के फ़ाइनल मैच में बॉक्स के बाहर से लगाए गए शॉट की संख्या बॉक्स के भीतर से लगाए गए शॉट की तुलना मे दोगुनी थी.

वहीं साल 2014 के फ़ाइनल मैच में कुल 20 शॉट लगाए गए थे, जिसमें से अधिकतर शॉट पेनल्टी एरिया के पास से लगाए गए थे.

इंग्लैंड भले संघर्ष करे, लेकिन प्रीमियर लीग के खिलाड़ी चमकते हैं

इंग्लैंड ने साल 1966 का फ़ुटबॉल विश्व कप जीता था, लेकिन उसके बाद वह सिर्फ़ एक बार ही वह क्वॉर्टर फ़ाइनल से आगे बढ़ सका.

इसके बावजूद दुनिया भर के खिलाड़ी इंग्लिश लीग का हिस्सा बनते रहे हैं और अपने-अपने देश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन भी करते हैं.

अभी तक इंग्लैंड की टॉप लीग से जुड़े कुल 130 खिलाड़ी विश्व कप में शिरकत कर चुके हैं जबकि इसकी तुलना में स्पेन से 81 और जर्मनी से 67 खिलाड़ी ही विश्व कप में शामिल हुए.

उरुग्वे, पनामा, सऊदी अरब और रूस भी ऐसे ही देश हैं जिन्होंने इंग्लैंड में खेलने वाले खिलाड़ियों को विश्व कप के अपने दल में जगह नहीं दी है.

इंग्लैंड अकेला ऐसा देश है जिसके सभी 23 खिलाड़ी लीग का हिस्सा रहे हैं.

मेजबान देश को कितना फ़ायदा ?

सबसे ज़्यादा बार विश्व कप जीतने वाले ब्राज़ील ने दो बार विश्व कप की मेजबानी की है, लेकिन दोनों ही बार उन्हें निराशा हाथ लगी.

1950 में उसे अपने छोटे से पड़ोसी देश उरुग्वे के हाथों हार झेलनी पड़ी तो वहीं पिछले विश्व कप में जर्मनी ने 7-1 से मात दी.

इसके उलट अन्य देशों ने मेजबानी का पूरा फ़ायदा उठाते हुए अपने प्रदर्शन में शानदार निखार दिखाया.

रूस चाहेगा कि वह भी अन्य देशों की तरह अपने घरेलू मैदान में अच्छा प्रदर्शन करे और अपने ग्रुप में मौजूद उरुग्वे, मिस्र और सऊदी अरब के ख़िलाफ़ बेहतरीन प्रदर्शन कर सके.

अगर रूस अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहा तो दक्षिण अफ़्रीका अकेला ऐसा देश रहेगा जो मेजबान होते हुए भी विश्व कप के पहले ही चरण में बाहर हो गया था.

पेनल्टी में प्रदर्शन

पेनल्टी का ज़िक्र किए बिना कोई भी विश्व कप की रिपोर्ट पूरी नहीं हो सकती.

जर्मनी ने अभी तक चार बार पेनल्टी शूटआउट खेला है और सभी में वे जीते हैं. वहीं दूसरी तरफ़ पेनल्टी शूटआउट में सबसे ख़राब प्रदर्शन इंग्लैंड का रहा है.

उसने विश्व कप में तीन बार पेनल्टी शूटआउट खेला और हर बार हार का सामना किया.

वहीं इटली की बात करें तो साल 1994 के फ़ाइनल में हुए पेनल्टी शूटआउट में उनके स्टार खिलाड़ी रोबर्टो बैगियो ने अपना शूट गोलपोस्ट के ऊपर मार दिया था और वे ख़िताब से चूक गए थे.

ऐसा इटली के साथ तीन बार हुआ है, लेकिन साल 2006 के विश्व कप फ़ाइनल में उन्होंने फ्रांस के ख़िलाफ़ पेनल्टी शूटआउट में ही जीत दर्ज कर अपने इन ज़ख्मों पर कुछ मरहम तो ज़रूर लगाया.

ग्राफिक्स डिज़ाइनः जॉय रॉक्सेस और सैंड्रा रॉड्रिगेज़ चिलिडा

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi

Story first published: Thursday, June 14, 2018, 22:24 [IST]
Other articles published on Jun 14, 2018
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X