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FIFA World Cup 2018 Final: कभी कोच ने बताया था कमजोर और शर्मीला, अब बने फीफा के बेस्ट प्लेयर

मॉस्को। क्रोएशिया के डिफेंस को चकनाचूर करते हुए फ्रांस ने 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर लिया। आपको बता दें कि फ्रांस तीसरी बार फाइनल में पहुंची थी। वह 1998 में पहली बार अपने घर में खेले गए वर्ल्ड कप में फाइनल खेली थी और जीतने में सफल रही थी। इसके बाद 2006 में उसने फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन इटली से हार गई थी। क्रोएशिया की बात की जाए तो वह पहली बार फाइनल खेल रही थी। बड़े ही शान से पहली बार फाइनल तक का सफर तय करने वाली क्रोएशियाई टीम के खिलाड़ियों ने आखिर तक अपनी हिम्मत नहीं हारी।

फीफा ने क्रोएशियाई कप्तान लुका मोड्रिच को गोल्डन बॉल से सम्मानित किया। जब क्रोएशियाई कप्तान लूका मोड्रिच को गोल्डन बॉल दी गई तो शायद ही उन्हें वो पल याद आ रहे होंगे जिसमें कभी उन्हें लोगों ने फुटबॉल खेलने लायक नहीं समझा। फिलहाल मोड्रिच को फीफा 2018 का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चना गया। दूसरे नंबर पर बेल्जियम के ऐडन हेजार्ड रहे और तीसरे नंबर पर फ्रांस के ग्रीजमैन रहे।

गोल्डन बॉल पाने वाले मोड्रिच की कहानी बेहद मार्मिक है। 40 लाख की आबादी वाले क्रोएशिया ने इंग्लैंड को सेमीफाइनल में हराकर फाइनल तक का सफर तय किया था। क्रोएशिया की टीम को एक ऐसा शख्स ने लीड किया जिसको लेकर खुद टीम के कोच ने कहा था कि ये कुछ नहीं कर पाएगा।

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर्स में शुमार क्रोएशिया के कप्तान लुका मोड्रिच को आज दुनिया जानती है। यूरोप के देश क्रोएशिया की आबादी करीब 40 लाख है। यानी दिल्ली का करीब पांचवां हिस्सा है। लेकिन इस टीम ने बुधवार को इतिहास रच दिया। क्रोएशियाई टीम के फाइनल तक के इस सफर में उनके कप्तान और मिडफील्डर लूका मोड्रिच की अहम भूमिका रही।

32 वर्षीय इस खिलाड़ी ने यहां तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है। यूगोस्लोवाकिया के टूटने के बाद क्रोएशिया 1991 में दुनिया के नक्शे पर आया था। इस दौरान काफी हिंसा हुई। कई लोगों ने अपनी जानें गंवाईं। लाखों घर जले। लोग बेघर हुए। गैर-सर्बियाई लोगों को इसका काफी नुकसान झेलना पड़ा। लूका मोड्रिच के दादा लूका मोड्रिच सीनियर भी इनमें से एक थे।

जब क्रोएशिया यूगोस्लोवाकिया का ही हिस्सा था तब 9 सितंबर 1985 को लुका मोड्रिच का जन्म हुआ। मोड्रिच सिर्फ छह साल के थे तब उनके दादा को आतंकवादियों ने गोली मार दी। जिसके बाद उन्हें युद्ध-प्रभावित इलाके में रिफ्यूजी का जीवन बिताना पड़ा। 8 दिसंबर 1991 को आक्रामक सर्बियाई लड़ाकों ने एक छोटे से गांव मोड्रिची पर हमला कर दिया।

उन्होंने वहां रहने वाले क्रोएशियाई परिवारों को अपना शिकार बनाया। दादा को गोली मारे जाने से पहले लुका उन्हीं के पास रहते थे। लुका मोड्रिच के मां-बाप फैक्ट्री में काम करते थे। लेकिन एक दिन सर्बियाई विद्रोहियों ने उनके घर को आग लगा दी और उनके दादा को गोली मार दी। मोड्रिच ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें बिना बिजली और पानी के रहना पड़ा। गोलियों और ग्रेनेड की आवाजें रोजमर्रा की बात हो चुकी थी। इसके अलावा आसपास बिछीं लैंडमाइंस का खतरा तो था ही।

यहां से मोड्रिच ने खुद को फुटबॉल की तरफ आगे बढ़ाया। वह क्रोएशियाई टीम के इतिहास के सबसे शानदार प्लेयर्स में से एक हैं। उन्होंने चार साल इंग्लैंड में क्लब फुटबॉल खेला और आखिर में 2012 में वह स्पैनिश क्लब रियाल मैड्रिड से जुड़े। जब मोड्रिच ने रियाल मैड्रिड ज्वाइन किया तो लोगों ने उसे क्लब के इतिहास की सबसे घटिया साइनिंग कहा। लेकिन इसी मोड्रिच ने वो कमाल किया है जो आज तक रोनाल्डो जैसा खिलाड़ी नहीं कर पाया है।

Story first published: Sunday, July 15, 2018, 23:30 [IST]
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