कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें तब तक नहीं छेड़ना चाहिए जब तक आप उन पर लंबी बहस के लिए तैयार न हों.
फ़ुटबॉल पर चर्चा भी उनमें से एक है.
मौजूदा टीमों की दुनिया भर की पुरानी टीमों से सटीक तुलना करना, यह ऐसा विषय है जिस पर लंबी बहस की जा सकती है.
रूस में फ़ीफा फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप का आगाज़ हो चुका है. यहाँ हम आठ फ़ुटबॉल टीमों के महत्वपूर्ण तथ्य शेयर कर रहे हैं, जिसके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि सर्वश्रेष्ठ टीमें किन्हें कहा जाये.
परिणाम सारी कहानी बयां कर देते हैं. साल 1974 में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप का मेज़बान पश्चिमी जर्मनी था. इससे पहले जर्मनी 1966 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में एक्स्ट्रा टाइम में इंग्लैंड से हारकर खिताब से दूर रह गया था.
साल 1974 में नीदरलैंड पर पश्चिमी जर्मनी की जीत से बहुत से तटस्थ राज्य हताश हो गए थे.
विश्व कप के इतिहास में सबसे ज़्यादा गोल दागने वालों में से एक गेर्ड मुलर, पॉल ब्रेटनर और फ्रांज़ बेकनबर जैसे खिलाड़ियों से सजी पश्चिमी जर्मनी की टीम ने 1972 में यूरोपियन चैंपियनशिप भी अपने नाम की थी. इस टीम को 'वेल ऑयल्ड मशीन' कहा जाता था.
सुपर कंप्यूटर सैम (स्पोर्ट्स एनालिटिक्स मशीन) ने बीबीसी के लिए एक मूल्यांकन किया है जिससे पता चलता है कि बेकनबर और उनके साथियों ने 1973 से 1975 के बीच 30 मैच खेले. इनमें से 63 फीसदी मैचों में उन्हें जीत मिली और 17 फीसदी में हार.
फ़्रांस ने अपना पहला और एकमात्र फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप साल 1998 में जीता था.
इस प्रतियोगिता में नॉक आउट राउंड तक फ्रांस की टीम पराग्वे जैसी टीमों के ख़िलाफ़ भी संघर्ष कर रही थी.
सेमीफ़ाइनल में भी उन्हें काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी. सेमीफ़ाइनल में उन्हें क्रोएशिया से चुनौती मिली थी लेकिन फ़्रांस ने एक गोल के अंतर से ये मैच जीत लिया था.
लेकिन फाइनल में फ़्रांस ने ब्राज़ील को 3-0 से हराकर विश्व कप अपने नाम कर लिया. इस मैच में ज़िनेदिन ज़िदान का प्रदर्शन जादुई था.
दो साल बाद, साल 2000 में फ़्रांस ने यूरो कप भी अपने नाम किया.
इसे शायद विश्व कप के इतिहास की सबसे पिछड़ी टीम कह सकते हैं.
लेकिन उरुग्वे का ज़िक्र इसलिए भी ज़रूरी हो जाता है क्योंकि वो इस टूर्नामेंट को जीतने वाला अब तक का सबसे छोटा देश है. इस देश की आबादी ही महज़ 40 लाख है और उसमें से दूसरी टीमों को टक्कर देने लायक खिलाड़ियों को तैयार करना, उरुग्वे के लिए बड़ी चुनौती रही होगी.
साल 1930 में उरुग्वे ही वर्ल्ड कप का मेज़बान था और उसने इसी साल जीत भी दर्ज की थी. दो बार का ओलंपिक चैंपियन रह चुका उरुग्वे जब दूसरी बार वर्ल्ड कप का विजेता बना तो कई लोगों के लिए यह अविश्वसनीय था. साल 1950 में विपक्ष में ब्राजील की टीम थी और रियो डे जिनेरियो में मैच देखने आए दो लाख दर्शक. आश्चर्यजनक रूप से उरुग्वे ने 2-1 से यह मैच जीत लिया.
साल 1950 से 1954 के बीच माग्यार्स (हंगरी के लोग) ने फ़ुटबॉल की दुनिया में तूफ़ान ला दिया. 50 में से 43 मैच जीतकर टीम सुर्खियों में आ गई. घरेलू मैदान पर इंग्लैंड को 6-3 से हराकर और बुडापेस्ट में 7-1 से मात देकर टीम ने दबदबा क़ायम कर लिया.
1952 में ओलंपिक जीतने वाली इस टीम ने उस टूर्नामेंट में सिर्फ़ एक हार देखी. लेकिन 1954 के इस टूर्नामेंट में वो पहली हार फ़ाइनल में थी.
1956 के बाद जब टीम के ज़्यादातर सदस्य दूसरे देश चले गए तो हंगरी की टीम को आम प्रशंसकों का बहुत साथ मिला.
पस्कस, सन्डर कोकसिस और ज़ोल्टन सिज़िबोर स्पेन चले गए और वहां वह रियल मैड्रिड और बार्सिलोना की ओर से खेले.
फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप की सबसे सफल टीमों की बात करें तो ब्राज़ील पांच बार की विजेता रह चुकी है.
साल 1958 में स्वीडन में टीम पेले और गेरिंचा जैसे खिलाड़ियों के साथ उतरी. टूर्नामेंट में टीम छह में से पांच मैच जीती. सिर्फ़ एक मैच जो वो हारी, वो इंग्लैंड के ख़िलाफ़ था.
चार साल बाद चिली में उन्होंने वही कारनामा दोहराया लेकिन चोट के चलते पेले इस जीत का हिस्सा नहीं थे.
इस बार टीम ने हर मैच में जीत दर्ज की. इस बार टीम ने इंग्लैंड को भी 3-1 से शिकस्त दी.
अगर कोई खेल क्रांति की बात करता है तो आप इसे 1974 के वर्ल्ड कप में नीदरलैंड के प्रदर्शन से जोड़ सकते हैं.
अपने पहले टूर्नामेंट में क्लॉकवर्क ऑरेंज ने अपने अनोखे स्टाइल- टोटल फ़ुटबॉल से पूरी दुनिया को चौंका दिया. जिसमें आउटफ़ील्ड के खिलाड़ी अपनी जगह बदलते रहते थे और इससे विपक्षी टीम परेशानी में आ जाती थी.
1974 के वर्ल्ड कप फ़ाइनल में पहला गोल करने के बावजूद टीम पश्चिमी जर्मनी से 2-1 से हार गई. ये पहला गोल टीम ने मैच शुरू होने के दूसरे मिनट में ही दाग दिया था.
2010 में टीम दोबारा फ़ाइनल में पहुंची लेकिन हार गई.
स्पेन साल 2010 में विश्व कप विजेताओं की सूची में शामिल हुआ.
शुरुआती मैच में स्विज़रट्लैंड के प्रदर्शन ने उन्हें अचंभे में डाल दिया और वे पहला मैच 1-0 से हार गए. उसके बाद पराग्वे और जर्मनी के साथ हुए मुकाबले भी चुनौती भरे रहे.
नीदरलैंड के साथ हुए मुक़ाबले में उन्हें 12 पीले कार्ड मिले.
टीम ने इससे पहले 2008 में यूरो कप जीता था. इस मैच में पेप गार्डियोला के टिका-टाका स्टाइल ने भी खूब धूम मचाई.
जानकारों के लिए, वर्ल्ड कप जीतने वाली अब तक बेस्ट टीम वो टीम रही जिसमें अलग-अलग प्रतिभाओं का संगम देखने को मिला.
ग्रुप मैचों में इंग्लैंड के खिलाफ़ एक कड़े मुक़ाबले के बाद और सेमी फ़ाइनल में उरुग्वे के साथ रोंगटे खड़े कर देने वाले मैच के बाद ब्राजील ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
फ़ाइनल में इटली के ख़िलाफ ब्राज़ील की टीम के प्रदर्शन को अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में रखा जाता है.
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