भारत में कार रेसिंग के दीवाने बहुत मिलते हैं पर रोंगटे खड़े कर देने वाले इस खेल में हिस्सा कम ही भारतीय लेते हैं. नरेन कार्तिकेयन के बाद कार रेसिंग में एक और भारतीय सितारे का नाम उभर रहा है.
ये हैं 18 साल के जेहान दारूवाला. फरवरी की शुरुआत में जेहान ने 'न्यूज़ीलैंड ग्रां प्री' जीता है. ये मुकाम हासिल करने वाले वो पहले भारतीय हैं.
बीबीसी से ख़ास बातचीत करते हुए मुंबई के जेहान ने कहा, "जब मुझे पता चला कि मैं जीत गया हूँ तो मुझे लगा कि मेरी मेहनत सफ़ल हुई. मैंने पाँच हफ़्ते खूब मेहनत की और ये उसका फल है. ये ऐसा मुकाम है जिसे कुछ ही दिग्गज रेसर जैसे कीक रॉसबर्ग, सर जैकी स्टूअर्ट, सर स्टर्लिंग मॉस ने हासिल किया है."
जेहान दारूवाला की ये पहली उपलब्धि नहीं है. वो 2014 में 'एफआईआईसीआई के वर्ल्ड कार्टिंग चैंपियनशिप' में तीसरे स्थान पर रहे और 2012 में 'ब्रिटिश के. एफ़ 3 चैंपियनशिप' जीतने वाले पहले भारतीय हैं.
दस साल की उम्र में उन्होंने कार रेसिंग में करियर बनाने का फैसला कर लिया.
जेहान बताते हैं, "जब मैं 13 साल का था तो मैं इंग्लेंड गया क्योंकि वहीं मेरे रेसिंग के सपने के पूरे होने की गुंजाइश थी. मुझे पहले से ही रेसिंग में दिलचस्पी थी. पहले ही दिन से मेरे परिवार ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मेरे पापा और मम्मी को ये दुख था कि मैं उनसे दूर रहूँगा, लेकिन उन्होंने मुझे सपोर्ट किया और वो मेरी हर रेस देखने आए."
कार पर कंट्रोल
कार रेसिंग मे फ़ॉर्मूला वन के अलावा भी रेस होती है. जेहान ने बताया, "अगर आम इंसान को रेसिंग समझानी हो तो बता दूं कि फ़ॉर्मूला वन एक ग्रां प्री है और फ़ॉर्मूला वन के बाहर सिर्फ़ तीन ग्रां प्री होती हैं और उनमें से एक है न्यूज़ीलैंड ग्रां प्री जो मैंने जीती."
इस खेल में कार बहुत स्पीड से भागती है और आपका कार पर नियंत्रण होना चाहिए.
जेहान ने बताया, "आपको कार के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए. आपको समझना होगा कि हर कार अलग होती है. आपको ट्रेनिंग और खूब तैयारी करनी होती है. आपके शरीर पर ज़ोर लगता है और दिमाग़ पर भी."
अपने सपने को साकार करने उन्हें इंग्लेंड जाना पड़ा. जेहान ने कहा, "हाँ ऐसा है कि फ़ॉर्मूला वन को भारत में सपोर्ट नहीं मिलता, लेकिन अब बदलाव आ रहा है. अब हमारे पास भी टीम है और आने वाले वक़्त में और युवा खिलाड़ी इस खेल से जुड़ेंगे."
18 साल के जेहान का सपना है कि वो एक कामयाब फ़ॉर्मूला वन ड्राइवर बनें. "मुझे फर्नॅंडो अलॉन्सो बहुत पसंद हैं. किसी भी खेल की तरह इसमें भी उतार-चढ़ाव आते हैं. मुझे भी संघर्ष करना पड़ा. लेकिन मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया और मेरे काम में सुधार हो रहा है."
जेहान को और भी शौक हैं. जेहान ने कहा, "या तो मैं जिम में होता हूँ या तो क्रिकेट, टेबल टेनिस या फुटबॉल खेल रहा होता हूं. जब-जब मैं घर आता हूँ तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. लोनावला भी मुझे पसंद है."