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कैंसर से लड़कर जीता ओलंपिक मेडल 8 महीने के बच्चे को नई जिंदगी देने के बेहद करीब पहुंचा

नई दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक में जिन एथलीटों ने मेडल जीता है वे ही जानते हैं कि यह पल उनके जीवन में हमेशा यादगार रहने वाला है। एक मेडल खिलाड़ी की जान होता है और पोलैंड की बेहतरीन भाला फेंक खिलाड़ी मारिया आन्द्रेज्ज़िक ने दूसरी जान को बचाने के लिए अपनी यह जान नीलाम कर दी। यह वही भाला फेंक प्रतियोगिता है जिसमें भारत के नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया था। इसी टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं में सिल्वर मेडल पोलैंड की मारिया आन्द्रेज्ज़िक को मिला था।

मारिया ने जब 8 महीने के मिलोस्जेक मालिसा का चेहरा देखा तो तुरंत इस मेडल को नीलाम करने का फैसला कर लिया। यह कहानी बड़ी भावुक है क्योंकि मारिया आन्द्रेज्ज़िक खुद कैंसर से लड़कर अपनी जिंदगी में वापस लौट पाईं हैं और अब एक दूसरी जिंदगी बचाने के लिए उन्होंने पहला ओलंपिक मेडल नीलाम कर दिया।

8 महीने की बच्चे की जान बचाने के लिए मेडल नीलाम-

8 महीने की बच्चे की जान बचाने के लिए मेडल नीलाम-

यहां जिस मिलोस्ज़ेक मालिसा की बात हो रही है वह पोलेंड 8 महीने का बच्चा है और वह दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित है जिसके लिए तुरंत सर्जरी की जरूरत है। लेकिन समस्या इतनी जटिल है कि पोलैंड में इसकी सर्जरी संभव नहीं हो पा रही है। यहां तक कि कई यूरोपीय देशों ने भी इस सर्जरी को करने से इनकार कर दिया है। वैसे तो यूरोप में चिकित्सा काफी विकसित है लेकिन वहां पर भी अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में इस परिवार की आखिरी उम्मीद दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका ही बचा था जहां पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में यह सर्जरी की जा सकती थी।

अब अमेरिका में सर्जरी तो की जा सकती है और बच्चे की जान भी बच सकती है लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। ऐसे में मिलोस्ज़ेक मालिसा के माता-पिता ने यह फैसला किया कि वह ऑनलाइन फंड जुटाने की मुहिम में लग जाएंगे क्योंकि उनको अपने बच्चे को बचाने के लिए करीब 385000 अमेरिकी डॉलर की जरूरत है।

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दुनिया में केवल अमेरिका में होगी ये महंगी सर्जरी-

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ये रकम बहुत बड़ी है और समय काफी कम है ऐसे में उन्होंने केवल आधी राशि ही जुटाई और उसके बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा जिसमें कहा, "मिलोस्जेक मालिसा की हालत बहुत तेजी से खराब हो रही है उसको तुरंत सर्जरी की जरूरत है।"

यही वह मौका था जब मारिया मदद करने के लिए कूद पड़ीं। 25 साल की मारिया ने कैंसर से लड़कर ओलंपिक मेडल हासिल किया है और उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, "मिलोस्ज़ेक मालिसा को गंभीर दिल की समस्या है और उसको तुरंत ऑपरेशन की जरूरत है। उसके माता-पिता ने फंड जुटाने का फैसला किया। मैं भी मदद करना चाहती हूं और उस बच्चे के लिए मैं अपने ओलंपिक मेडल की नीलामी कर रही हूं।"

सवा लाख डॉलर में बिका ये सिल्वर मेडल-

सवा लाख डॉलर में बिका ये सिल्वर मेडल-

मारिया आगे लिखती हैं, "मुझे यह फैसला करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। मैं अपनी जिंदगी में पहली बार फंड जुटा रही हूं और मुझे पता है यह मैं अच्छे काम के लिए कर रही हूं।"

जैसे ही मारिया इस मुहिम में कूद पड़ी वैसे ही पोलैंड की सुपरमार्केट चैन ज़बका पोल्स्का भी जागरूक हो गई और उन्होंने सवा लाख डॉलर में यह सिल्वर मेडल खरीद लिया। हालांकि ज़बका पोल्स्का ने बड़ी उदारता दिखाई और मारिया को उनका मेडल वापस कर दिया, साथ ही एक बड़ी नीलामी राशि भी दे दी ताकि मिलोस्ज़ेक मालिसा की जिंदगी को एक और मौका मिल सके।

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खरीददार ने मारिया को उनका पदक वापस किया-

खरीददार ने मारिया को उनका पदक वापस किया-

ज़बका पोल्स्का ने पोस्ट किया है, "हमने मारिया आन्द्रेज्ज़िक के बहुत अच्छे काम के लिए यह कदम उठाया है। हमने यह भी फैसला किया है कि सिल्वर मेडल उनके पास ही रहेगा। हमें खुशी है कि हम भी योगदान कर पाए।"

यह समाज की एक खूबसूरत तस्वीर है जहां पर पोलैंड के लोगों ने अपने देश के 8 महीने के बच्चे के लिए फंड जुटाया और इसके लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाली खिलाड़ी खुद आगे आई और फिर उसका समर्थन करने के लिए वहां का बाजार भी योगदान में कूद पड़ा। देखते ही देखते 90% तक फंड जमा हो चुका है और अब मिलोस्ज़ेक मालिसा के माता-पिता अमेरिका जाने के लिए उड़ान भर सकते हैं।

खुद कैंसर से जंग जीतकर पहला ओलंपिक मेडल जीता था-

खुद कैंसर से जंग जीतकर पहला ओलंपिक मेडल जीता था-

जहां तक मारिया आन्द्रेज्ज़िक की बात है तो वह 2016 के रियो ओलंपिक में केवल 2 सेंटीमीटर से मेडल हासिल करने से चूक गई थीं। फिर केवल 2 साल बाद ही उनको हड्डियों के कैंसर होने का पता लगा था और धीरे-धीरे टोक्यो ओलंपिक में पदक हासिल करने का उनका सपना भी दूर जाने लगा। हालांकि उनको कीमो थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ी लेकिन एक सर्जरी हुई थी जिसके बाद धीरे-धीरे उनकी रिकवरी हुई।

टोक्यो ओलंपिक गेम्स कोरोनावायरस के 1 साल बाद हुए जहां पर उन्होंने महिलाओं की भाला फेंक प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में 64.61 मीटर की दूरी तय करते हुए सिल्वर मेडल जीता। मारिया मानती है कि एक मेडल असल में केवल एक वस्तु ही होती है क्योंकि मेडल जीतने की असली वैल्यू तो उसकी भावना में छिपी है जो खिलाड़ियों के दिल में जिंदगी भर के लिए बसी रहती है। मारिया के मुताबिक यह मेडल उनकी अलमारी में धूल ही फांकता रहता और आज यह किसी की जिंदगी बचाने के काम आएगा तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है।

Story first published: Thursday, August 19, 2021, 13:59 [IST]
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