भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सचिन तेंदुलकर की 10 नंबर जर्सी को अनाधिकारिक रूप से रिटायर करने का फ़ैसला किया है.
इसका मतलब यह है कि अब कोई भी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी किसी भी इंटरनेशनल मैच में 10 नंबर की जर्सी पहनकर मैदान में नहीं उतरेगा.
अंतिम बार सचिन अपनी 10 नंबर जर्सी के साथ 18 मार्च 2012 को मैदान में उतरे थे. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में खेला गया एशिया कप का यह मुक़ाबला सचिन के वनडे करियर का अंतिम मैच था.
इस मैच में सचिन ने 48 गेंदों में 52 रन बनाए थे. इसी मैच में भारतीय टीम के मौजूदा कप्तान विराट कोहली ने 183 रनों की पारी भी खेली थी. भारत ने यह मैच 6 विकेट से अपने नाम किया था.
सचिन के रिटायर होने के लगभग पांच साल बाद तक किसी भारतीय खिलाड़ी ने इस जर्सी को नहीं पहना.
इसी साल जब भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर थी, तब पांच वनडे मैचों की सिरीज़ के चौथे मुकाबले में युवा तेज़ गेंदबाज़ शार्दुल ठाकुर को अंतिम 11 में जगह दी गई.
26 साल के शार्दुल जब मैदान में उतरे तो उन्होंने 10 नंबर की जर्सी पहनी हुई थी. गेंदबाज़ी करते हुए उन्होंने भारत को पहली सफ़लता दिलाई, उन्होंने 7 ओवर की गेंदबाज़ी में 26 रन खर्च कर एक विकेट हासिल किया.
लेकिन शार्दुल की चर्चा उनकी परफॉर्मेंस से ज़्यादा उनकी जर्सी पर हुई. सोशल मीडिया में कई लोगों ने उन्हें ट्रोल किया. लोग इस बात से नाराज़ नज़र आए कि वो सचिन की ट्रेडमार्क जर्सी नंबर कैसे पहन सकते हैं.
लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि '10 सिर्फ़ एक नंबर नहीं है, यह तो 90 के दशक से जुड़ी हमारी कई यादें हैं.'
शार्दुल ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बताया कि उन्होंने 10 नंबर अपने जन्मदिन की तारीख़ के अनुसार चुना था.
उनका जन्मदिन है 16-10-1991. इन सभी अंकों को जोड़ने पर कुल संख्या बनती है 28. और इस तरह 2+8=10 नंबर शार्दुल ने चुना.
ख़ैर इसके बाद अक्टूबर में जब न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ वार्म-अप मैच में वे मैदान में उतरे तो उन्होंने 54 नंबर की जर्सी पहनी हुई थी.
ऑस्ट्रेलिया के युवा क्रिकेटर फ़िल ह्यूज की मौत क्रिकेट के मैदान पर हो गई थी. साल 2014 में साउथ ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से बल्लेबाज़ी करते हुए न्यू साउथ वेल्स के तेज़ गेंदबाज़ सीन एबॉट की एक बाउंसर उनकी गर्दन के पास लगी जिसके बाद ह्यूज़ की मौत हो गई.
इस आकस्मिक घटना ने पूरे क्रिकेट जगत को झकझोर कर रख दिया. उस समय ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और ह्यूज़ के दोस्त माइकल क्लार्क ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से ह्यूज़ का जर्सी नंबर 64 रिटायर करने की बात की.
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया इस बात पर सहमत हो गया. गमगीन क्लार्क ने उस समय कहा था, ''हमने ऑस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से जर्सी नंबर 64 को हटाने का फ़ैसला किया है, यह ह्यूज़ के लिए हमारी श्रद्धांजलि होगी. हमारा ड्रेसिंग रूम कभी भी पहला जैसा नहीं रहेगा.''
बाउंसर से घायल फ़िल ह्यूज़ की मौत
जिसका खेल देखने को रूक गई लड़ाई
माराडोना की जर्सी नंबर 10
अर्जेंटीना के मशहूर फ़ुटबॉलर डिएगो माराडोना 10 नंबर की जर्सी पहनकर मैदान में उतरते थे. यह माराडोना का ही जादू था कि खिलाड़ियों के बीच 10 नंबर जर्सी पाने के लिए अलग ही उत्साह रहता था.
माराडोना ने साल 1997 में प्रोफ़ेशनल फुटबॉल को अलविदा कहा. इसके चार साल बाद साल 2001 में अर्जेंटीना फुटबॉल असोसिएशन ने माराडोना के सम्मान में 10 नंबर जर्सी को रिटायर करने का फ़ैसला लिया.
अर्जेंटीना ने अंडर-21 और यूथ टीम से भी 10 नंबर जर्सी को रिटायर कर दिया गया था. माराडोना ने अर्जेंटीना के लिए 138 मैच खेले जिसमें उन्होंने 61 गोल दागे.
हालांकि बाद में खुद माराडोना ने अर्जेंटीना के ही एक और बड़े फुटबॉलर लियोनल मेसी को अपनी 10 नंबर जर्सी पहनने के लिए दी.
अमरीका के महान बास्केटबॉल प्लेयर माइकल जेफ्री जॉर्डन 23 नंबर की जर्सी पहनकर कोर्ट में उतरते थे. उनका जर्सी नंबर भी बास्केटबॉल खेल और उनकी पहचान बन गया था.
जॉर्डन ने साल 1984 में शिकागो बुल्स की तरफ़ से खेलना शुरू किया. उन्होंने अपने दमदार खेल के दम पर बुल्स को 1991, 1992 और 1993 में लगातार विश्व चैंपियन बनाया.
1993 में उन्होंने खेल को अलविदा कह दिया, लेकिन दो साल बाद ही वे दोबारा बुल्स की तरफ से ही खेलने के लिए लौट आए और 1999 तक खेलते रहे.
बचपन में जॉर्डन 45 नंबर की जर्सी पहना करते थे क्योंकि उनके भाई लैरी भी इसी नंबर की जर्सी पहनते थे. जब जॉर्डन स्कूल बास्केटबॉल स्तर पर पहुंचे तो दोनों भाइयों का जर्सी नंबर एक हो गया.
तब जॉर्डन ने 45 नंबर को आधा कर दिया और 23 नंबर की जर्सी को चुना. जॉर्डन के बुल्स से रिटायर होने के साथ ही सम्मान के रूप में जर्सी नंबर 23 को भी रिटायर कर दिया गया.