नई दिल्ली। बच्चे को जन्म देना किसी मां के लिए खुद का नया जन्म होने के समान होता है। कुछ ऐसा ही हुआ दिग्गज टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स के साथ। सेरेना के जीवन में पिछले साल अपने पहले बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ऐसा भी दौर आया जब 'ब्लड क्लॉट' यानी खून के थक्के जमने के कारण एक समय वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थीं। सीएनएन में छपे आर्टिकल में सेरेना ने कहा पिछले साल सिंतबर में बेटी ओलंपिया को जन्म देने के तुरंत बाद ऐसा भी दौर आया जब 'ब्लड क्लाट' यानि खून के थक्के जमने के कारण एक समय वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी। सेरेना ने कहा, 'मैं अपनी बेटी को जन्म देने के बाद लगभग मर गयी थी।'
सेरेना पहले ही ये बता चुकी हैं कि बच्ची के जन्म के समय उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। पिछले साल सिजेरियन के बाद उन्हें छह महीने तक आराम करना पड़ा था। अपने इस अनुभव के बारे में उन्होंने अब विस्तार से लिखा है। सेरेना विलियम्स ने लिखा, "मैं काफी खुशकिस्मत हूं कि आज जिंदा हूं। मेरी बच्ची की धकड़न काफी कम हो गई थी, लिहाजा उसका जन्म इमरजेंसी ऑपरेशन (सिजेरियन) के जरिए हुआ था। सर्जरी तो आराम से हो गई। लेकिन 24 घंटे बाद अगले 6 दिनों तक किसी को कुछ भी पता नहीं चल रहा था।''
23 बार की ग्रैंड स्लैम चैंपियन ने कहा कि बेटी के जन्म के दौरान उनके दिल की धड़कन कम होने लगी थी और आपात स्थिति में उनकी सीजेरियन सेक्सन सर्जरी की गई। ऑपरेशन सफल रहा और वह यह समझ पातीं, इससे पहले उनकी गोद में एक खूबसूरत बच्ची थी। बता दें कि इससे पहले 2011 में म्यूनिख के एक रेस्टोरेंट में गिलास टूटने से उनके पांव में चोट लग गयी थी और इसके बाद उन्हें लगभग एक साल तक फेफडे़ की धमनियों में रुकावट की समस्या से जूझना पड़ा था।
सेरेना ने आगे बताया कि अस्पताल में उपचार के दौरान सीजेरियन सर्जरी के बाद एक दिन उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। चिकित्सकों उनका सीटी स्कैन कराया और उन्हें जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया। लेकिन उनकी समस्या यहीं पर समाप्त नहीं हुई। इसके बाद वह लगातार खांसी करने लग गयी जिससे सीजेरियन के उनके घाव पर गलत असर पड़ा। अस्पताल के नाम का खुलासा किए बिना सेरेना ने अस्पताल के चिकित्सकों की भी खूब तारीफ की। यहां तक उन्होंने अपने जीवन का श्रेय अस्पताल के चिकित्सकों को देते हुए कहा कि अगर वे इतनी ज्यादा देखरेख नहीं करते तो आज मैं यहां नहीं होती।