लक्ष्मीपति बालाजी (Laxmipati Balaji)
भारतीय क्रिकेट में नस्लीय टिप्पणी का शिकार होने वाले खिलाड़ियों में तीसरा नाम तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी का है, जिन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान इसका जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने कैसे इस चीज को नजरअंदाज कर खेल पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा,' खेल के दौरान जब मैं छक्का लगाकर या विकेट लेकर मैं हंसता हूं तो लोग मेरे रंग और हंसी का मजाक उड़ाते हैं, उन्हें लगता है कि यह हास्यप्रद है, हालांकि यह सामने वाले के मन पर गहरा असर छोड़ सकता है, बिना इस बात की चिंता किये लोग मजाक उड़ाते हैं, कई बार यह कमेंट आपका साथी खिलाड़ी ही कर देता है। ऐसे में मैने हमेशा अपना सारा ध्यान लोगों को नजरअंदाज करके गेंद को सही जगह पर फेंकने में लगाया।'
— Abhinav mukund (@mukundabhinav) August 9, 2017 |
अभिनव मुकुंद (Abhinav Mukund)
भारतीय बल्लेबाज अभिनव मुकुंद ने 9 अगस्त 2017 को ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर कर अपने साथ होने वाले रंगभेद के बारे में बताया था कि कैसे खिलाड़ियों को इस बीमारू मानसिकता से जूझना पड़ता है।
उन्होंने लिखा,'मैं अपनी त्वचा के रंग को लेकर बरसों से अपमान झेलता हुआ आया हूं। गोरा रंग ही लवली या हैंडसम नहीं होता। जो भी आपका रंग है, उससे अपनायें और उसी में रहकर काम करें। बचपन से ही त्वचा के रंग को लेकर लोगों का रवैया हैरानी का सबब रहा। जो क्रिकेट देखता है, वह समझता होगा कि चिलचिलाती धूप में खेलने का कोई मलाल नहीं है कि रंग कम हो गया है। मैं वो कर रहा हूं,जिससे मुझे प्यार है।'
डोडा गणेश (Doda Ganesh)
भारतीय बल्लेबाज अभिनव मुकुंद की ही तरह भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज डोडा गणेश ने भी रंगभेद को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी और मुकंद की ही उस पुरानी पोस्ट को शेयर करते हुए उन दिनों को याद किया जब उन्हें क्रिकेट के मैदान पर नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा,' अभिनव मुकुंद की कहानी ने मुझे उन नस्लीय टिप्पणियों की याद दिला दी, जिनका मैंने मेरे खेल के दिनों में सामना किया था। सिर्फ एक भारतीय दिग्गज इसका गवाह था, जिसने मुझे मजबूत बनाया और भारत और कर्नाटक की तरफ से 100 मैच खेलने से नहीं रोक पाया।'