मैं मानसिक रूप से कैसे डूब रहा था
हरभजन ने एनडीटीवी पर बात करते हुए कहा, "इस पूरी घटना में किसी ने भी सच्चाई की परवाह नहीं की। उन कुछ हफ्तों में मैं क्या कर रहा था और मैं मानसिक रूप से कैसे डूब रहा था, इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। मैंने कभी भी इस घटना के बारे में किसी को विस्तार से नहीं बताया लेकिन लोगों को इसके बारे में मेरी आने वाली आत्मकथा में पता चलेगा। मैं जिस चीज से गुजरा वह किसी के साथ नहीं होना चाहिए था।"
भारत हार गया था वो मैच
उस मैच को स्टीव बकनर के खराब अंपायरिंग के लिए भी याद किया जाता है। सायमंड्स, जिन्हें उस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला था, वे जल्दी आउट हो सकते थे, लेकिन अंपायर ने फैसला सही नहीं सुनाया था। भारत के रन चेज के दौरान बल्लेबाजी की शुरुआत करने वाले राहुल द्रविड़ को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। टीम इंडिया के लिए ये फैसले महंगे साबित हुए क्योंकि वह मैच 122 रन से हार गई थी। हालांकि मेहमान टीम ने वापसी करते हुए पर्थ टेस्ट को शानदार अंतर से जीत लिया था।
नहीं मिल सका विदाई मैच
हरभजन जब 31 साल के थे तभी 400 विकेट ले चुके थे। उस समय कहा जाता था कि वे आसानी से 500 विकेट के पार जा सकते थे, लेकिन जब 2011 में उन्होंने चोटों का सामना किया तो फिर वह टीम से अंदर-बाहर होने लगे। हरभजन शानदार तरीके से करियर का अंत करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 23 साल लंबे करियर को हरभनज ने आखिरकार शुक्रवार को अलविदा कह दिया। उन्होंने भारत की तरफ से 103 टेस्ट मैच खेलते हुए 417 विकेट चटकाए हैं। वहीं वनडे की बात करें तो उन्होंने भारत की तरफ से 236 वनडे मैचों में 269 विकेट लिए। वहीं टी20 इंटरनेशनल की बात करें तो 28 मैचों में 25 विकेट लिए।