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जब Racism के चलते इंग्लिश खिलाड़ी को मिली थी धमकी, कहा- अगर खेले तो मार दी जाएगी गोली

Former England Player Phillip Defreitas reveals he faced racism during playing days |वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। दुनिया भर में इन दिनों कोरोना वायरस के चलते जहां क्रिकेट जगत पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है, वहीं अमेरिका में रेसिज्म के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के बाद खिलाड़ियों के बीच क्रिकेट से नस्लवाद खत्म करने का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। क्रिकेट में नस्लवाद को लेकर अब तक कई खिलाड़ी अपने अनुभव शेयर कर चुके हैं, इसमें वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी, विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल और भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा का नाम भी शामिल है। इस फेहरिस्त में अब एक और इंग्लिश क्रिकेटर का नाम जुड़ गया है।

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उल्लेखनीय है कि अमेरिका में श्वेत पुलिसकर्मी की बेरहमी से अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से दुनियाभर में नस्लवाद का मुद्दा गर्म है जिसके बाद से क्रिकेट समेत कई खेलों में नस्लवाद का मुद्दा जोरों पर है।

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मिलती थी गोली मारे जाने की धमकी

मिलती थी गोली मारे जाने की धमकी

इंग्लैंड के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी फिलिप डेफ्रिटास ने नस्लवाद के बारे में बात करते हुए उस किस्से के बारे में जानकारी दी जब उन्हें नस्लवाद के चलते ही गोली मारने की धमकी मिली थी।

उन्होंने कहा,' अपने करियर के दौरान जब मैं क्रिकेट में सक्रिय था तो उस दौरान मुझे नैशनल फ्रंट का धमकी भरा पत्र मिला था जिसमें लिखा था कि अगर मैं इंग्लैंड के लिए खेलूंगा तो गोली मार दी जाएगी। ऐसी घटना मेरे साथ एक बार नहीं बल्कि दो या तीन हुई। मुझे इसको लेकर पुलिस की मदद लेनी पड़ी।'

डर के चलते प्रभावित हुआ अंतर्राष्ट्रीय करियर

डर के चलते प्रभावित हुआ अंतर्राष्ट्रीय करियर

इंग्लैंड के लिए 44 टेस्ट में 140 और 103 एकदिवसीय में 115 विकेट लेने वाले फिलिप ने बताया कि उन्हें करियर में कई बार जान से मारने की धमकी मिली जिसके चलते उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर भी प्रभावित हुआ।

स्काई क्रिकेट के पोडकास्ट में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'पुलिस मेरे घर की देखभाल कर रही थी। उस समय मेरे पास मेरे नाम के साथ एक प्रायोजित कार थी और मुझे अपने नाम को उस पर से हटाना पड़ा। मैं लॉर्ड्स में टेस्ट मैच से दो दिन पहले होटल में सोच रहा था कि खेलूं या नहीं? क्या वहां कोई बंदूक के साथ होगा। ऐसे में मैं पूरी प्रतिबद्धता के साथ इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेलने पर कैसे ध्यान दे सकता था, मैं उन लागों को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहता था।'

किसी ने नहीं की मेरी मदद

किसी ने नहीं की मेरी मदद

इंग्लैंड के लिए 1986 से 1997 तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले फिलिप ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्हें किसी भी तरह का समर्थन नहीं मिला। अंत में उन्हें खुद ही अपना बचाव करना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘मुझे कही से मदद नहीं मिली, कोई समर्थन नहीं मिला। मुझे खुद ही इसका सामना करना था, इससे काफी दुख होता है। मुझे याद है जब मैं अपनी मां के पास जाता था तब कहता था कि ऐसा नहीं लगता कि मैं वहां का हूं। लेकिन मुझे अपनी उपलब्धियों पर गर्व है।'

Story first published: Monday, June 29, 2020, 13:02 [IST]
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