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किसान आंदोलन को लेकर रिहाना के ट्वीट पर अब युवराज सिंह ने दिया जवाब, कहा- देश की जान हैं किसान

Farmers protest Yuvraj Singh joins India Together trends Says Farmers are lifeline of Nation: नई दिल्ली। भारत में नये कृषि कानूनों के खिलाफ करीब 70 दिनों से लगातार जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) ने पिछले कुछ दिनों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां बटोरने का काम किया है, खास तौर से अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना और जलवायु एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के इस मामले पर ट्वीट करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय ध्यान भी खिंचा है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर विदेशी हस्तियों के ट्वीट करने को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि आधे-अधूरे ज्ञान के चलते लोग बीच में कुछ भी बयान दे रहे हैं, ऐसा करने से पहले उन्हें मामले की पूरी जानकारी ले लेनी चाहिये। वहीं भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, प्रज्ञान ओझा ने भी इस मामले पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) के मुद्दे का हल निकालने की बात कहते हुए साफ किया कि बाहरी लोग दर्शक बन सकते हैं लेकिन इसमें भाग लेने का अधिकार उन्हें नहीं है।

वहीं बुधवार को भारतीय कलाकारों और खिलाड़ियों ने अपने इन ट्वीटस के साथ इंडिया स्टैंड टूगेदर हैशटैग भी क्रिएट किया जो कि कुछ देर में ट्रेंडिंग हो गया। वहीं भारतीय टीम के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने भी इस ट्रेंड को ज्वाइन किया और अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की।

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उन्होंने लिखा,'हम भारत के गर्वान्वित नागरिक हैं, हम जानते हैं कि कोई भी समस्या ऐसी नहीं होती जिसका समाधान बातचीत से नहीं हो सकता। किसान हमारे देश में खून की तरह हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि इस मामले का भी एक शांतिपूर्ण समाधान जल्द ही निकलकर सामने आयेगा। हमें इस संकट की घड़ी में साथ मिलकर रहना चाहिये और बता देना चाहिये कि हम एक हैं।'

युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने अपने इस ट्वीट में इंडिया स्टैंडस टुगेदर हैशटैग का इस्तेमाल किया। उन्होंने बड़ी चालाकी से किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर अपना समर्थन भी दिया और साथ ही यह भी समझा दिया कि यह मामला पूरी तरह से देश का आंतरिक है, इस पर किसी भी बाहरी शक्ति को दखल देने का अधिकार नहीं है।

गौरतलब है कि 26 नवंबर से शुरू हुए इस किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आकर बैठे हैं और सरकार से नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। सरकार और किसान पक्ष के बीच अब तक 11 बार से ज्यादा दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मामले का समाधान नहीं निकल सका है।

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आपको बता दें कि किसानों और सरकार के बीच मामला उस वक्त बिगड़ गया जब 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसात्मक झड़प देखने को मिली, इस दौरान कई उपद्रवियों ने तोड़ फोड़ की और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद से सरकार और किसानों के बीच कोई भी औपचारिक बातचीत नहीं हो सकी है, वहीं बॉर्डर पर डटे किसानों के आस-पास के इलाके में बिजली और पानी की भारी कटौती देखने को मिल रही है। सरकार ने वहां पर इंटरनेट सेवाओं में भी कटौती कर दी है, जिसके बाद मानवअधिकारों को लेकर सरकार की काफी आलोचना हो रही है।

Story first published: Thursday, February 4, 2021, 17:08 [IST]
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