तब हमारी टीम ऑलराउंडरों से भरी हुई थी
गावस्कर ने मिड-डे के लिए अपने कॉलम में लिखते हुए भारत की 1983 विश्व कप विजेता टीम के बारे में कहा, "उस समय 14 खिलाड़ियों और एक प्रबंधक का एक स्क्वाड था और हमने क्रिकेट की दुनिया को जीत लिया। तब कोई बाउंड्री की सीमा तय नहीं थी, बाउंसरों की संख्या पर भी कोई सीमा नहीं थी और अंग्रेजी परिस्थितियों में लाल गेंद जो चमक के चले जाने के बाद भी स्विंग लेना बंद नहीं करती थी। लेकिन तब हमारी टीम ऑलराउंडरों से भरी हुई थी और यह विशेष रूप से सीमित ओवरों के क्रिकेट में महत्वपूर्ण है। यहां तक कि 2007 और 2011 की टीमों में ऐसे बल्लेबाज थे जो गेंदबाजी कर सकते थे और बल्लेबाजी भी कर सकते थे। अगर भारत को दो ऑलराउंडर मिल सकते हैं, तब हमारे पास 2022 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप और 2023 में भारत में होने वाले 50 ओवर के कप में बेहतर मौका होगा।"
ऑलराउंडर विभाग में गहराई जोड़ने की जरूरत
जब ऑलराउंडरों की बात आती है, तो मौजूदा भारतीय टीम के पास देखने के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं हैं। उनके प्रमुख ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या एनसीए में ट्रेनिंग ले रहे हैं, जबकि शार्दुल ठाकुर धीरे-धीरे लय में पहुंच रहे हैं। युवा वेंकटेश अय्यर ने आईपीएल में अपनी क्षमता दिखाई, लेकिन अभी उच्चतम स्तर पर उनकी परीक्षा नहीं हुई है। निश्चित रूप से, भारत को आईसीसी के कई आयोजनों के साथ ऑलराउंडर विभाग में और अधिक गहराई जोड़ने की जरूरत है।
कपिल जैसा नहीं मिला ऑलराउंडर
गाैर हो कि भारत के लिए अगर अभी तक कोई सबसे महान ऑलराउंडर रहा है तो वो पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ही थे, जिन्होंने ना सिर्फ गेंदबाजी में विरोधियों को धाराशाही किया बल्कि कई बार बल्ले से रन बनाकर भी चित किया। कपिल देव ने अपने पूरे करियर में भारत के लिए 131 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें 5348 रन और 434 विकेट चटकाए हैं। वहीं वनडे में उन्होंने 225 मैचों में कुल 3783 रन बनाए और 253 विकेट हासिल किए। कपिल देव दुनिया के इकलाैते ऐसे ऑलराउंडर हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 4 हजार से ज्यादा रन और 400 से ज्यादा विकेट दर्ज हैं। कपिल देव के संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम में कई ऐसे ऑलराउंडर हैं. जिन्होंने समय-समय पर आस जगाई लेकिन कोई भी उनकी कमी पूरी नहीं कर सका।