विश्व विजेता बनने के लिए क्या है बेहतर विकल्प
टीम इंडिया के लिए हाल के दिनों में एक बड़ी गंभीर समस्या सामने आई है। टॉप ऑर्डर और खासकर विराट पर अत्यधिक निर्भर रहने वाली इस टीम का हश्र क्या हो सकता है यह विंडीज के खिलाफ दूसरे और तीसरे मैच में सबके सामने दिख गया। विश्व कप की तैयारी के लिए विंडीज से ODI श्रृंखला इस बात का प्रमाण है कि क्या यह टीम वाकई वर्ल्ड कप जैसे इवेंट को जीतने का माद्दा रखती है। क्या सिर्फ टॉप ऑर्डर के भरोसे विश्व कप जीता जा सकता है। विराट को लगता है कि टीम को नंबर-4 मिल गया है लेकिन शास्त्री और उनके रोज बदलते टीम कॉम्बिनेशन से क्या भारतीय टीम को वो मोमेंटम मिल पाएगा जो इस टीम को विश्व विजेता बना सके। अगर रायडू का औसत प्रदर्शन कमजोर कही जाने वाली विंडीज के खिलाफ टीम को जीत नहीं दिला सकता तो इस नंबर पर कोई और क्यों नहीं। आखिर टीम इंडिया में नंबर-5,6 और 7 कब देंगे अपना बेस्ट और वो कौन होंगे।
टीम इंडिया को वर्ल्ड कप दिलाने के लिए कौन होगा तीसरा तेज गेंदबाज
मिडिल ऑर्डर में अब भी चिंता
टीम इंडिया टॉप ऑर्डर के कंधे पर बैठकर विश्व चैंपियन बनने का ख्वाब देख रही है. पिछले तीन सालों में भारतीय टीम के 67 फीसदी रन रोहित,धवन और विराट के बल्ले से निकले हैं। ऐसी स्थिति में नंबर-4,5 और 6 कभी बड़ी टीमों के खिलाफ एक्सपोज नहीं हुए, परिणाम यह हुआ कि मिडिल ऑर्डर की चर्चा कम होने लगी और इन तीनों बल्लेबाजों के शानदार प्रदर्शन में मध्यम क्रम के बल्लेबाज इक्के -दुक्के पारियों को छोड़कर इन दिग्गजों के प्रदर्शन से मिली जीत का जश्न मनाते रहे। अगर रिकॉर्ड की बात करें तो पिछले तीन सालों में जिस टीम के मिडिल ऑर्डर ने विश्व क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाए हैं वो है बांग्लादेश। टीम इंडिया का मध्यम क्रम इस सूची में 7वें पायदान पर है। विराट के साथ एक और समस्या है वो टॉप-ऑर्डर के साथ रन बनाने और जीत दिलाने में बेजोड़ हैं लेकिन मिडिल ऑर्डर और लोअर मिडिल ऑर्डर के साथ खुद पर दबाव लेकर या तो आउट हो जाते हैं या टीम को जीत की रेखा के पार ले जाने में असफल दिखे हैं। विंडीज के खिलाफ तीसरे ODI में उनके नाम शतक तो हुए लेकिन एक तरफ से गिरते विकेट का दबाव वो झेल नहीं पाए और मैच मंझधार में छोड़ आउट हो गए।
मिडिल ऑर्डर कितना सक्षम
टीम इंडिया के मध्यम क्रम की बल्लेबाजी 90 के दशक की एक ऐसी बीमारी हो गई है जब सचिन के आउट होने के बाद क्रिकेट प्रशंसकों को ऐसा लगता था कि जीत तो अब मुश्किल है। इन दिनों विराट के आउट होने के बाद ऐसी ही स्थिति लगती है। धोनी फॉर्म और आत्मविश्वास दोनों से जूझ रहे हैं। ऋषभ पंत टीम में शामिल तो हैं लेकिन फियरलेस क्रिकेट खेलने के चक्कर में वो बिना FEAR के चौथे GEAR में क्रिकेट तो खेलते हैं लेकिन उनके प्रदर्शन से टीम को जीत नहीं मिल रही है। चयनकर्ता धोनी के विशाल अनुभव को देखते हुए विश्व कप से पहले ODI में शायद ही कोई रिस्क लें। खिलाड़ियों को टीम से अंदर-बाहर करने के पीछे मुख्य चयनकर्ता का बहाना ऐसा लगता है जैसे उन्होंने अपने बच्चे को फुसलाने के लिए लॉलीपॉप दिया हो. वो जाधव के न चुने जाने के पीछे उनके "फिटनेस इतिहास' को कारण बताते हैं और रोहित के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए टेस्ट में वापसी की वजह बैकफुट का बढ़िया खिलाड़ी होना बताते हैं। अगर हाल के दिनों में जाधव ने एशिया कप में जीत दिलाई और वो वर्तमान समय में फिट हैं तो उन्हें टीम में जगह क्यों नहीं। हालांकि सोशल पर सवाल उठने पर वो टीम में तो हैं लेकिन खेल नहीं पा रहे। अब टीम इंडिया के टूथलेस मैनेजमेंट के सामने इस बड़ी बीमारी को जल्द सुधारने के लिए समय कम हैं।
जडेजा या पांड्या कौन होगा वर्ल्ड कप 2019 का मुख्य ऑलराउंडर
अपने कप्तान को इंटीग्रल पार्ट मानते हैं विराट
विराट और टीम इंडिया के मुताबिक भारतीय टीम को नंबर-4 मिल चुका है वो अंबाती रायडू होंगे तो आखिर कैसा होगा, नंबर-5,6 और 7 पर कौन है टीम का बेस्ट फिनिशर, आंकड़ों और विराट के इशारे से जानिए पूरी कहानी। कप्तान कोहली ने विंडीज के खिलाफ सीरीज जीत के बाद 'अपने कप्तान' धोनी को ODI टीम का इंटीग्रल पार्ट बताया। उनके इस बयान से यह साफ है कि ऋषभ पंत को वर्ल्ड कप के सभी मैच खेलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन बैक-अप विकेट कीपर के तौर पर ऋषभ ही इंग्लैंड जाएंगे यह तय माना जा रहा है क्योंकि दिनेश कार्तिक अपना मौका गंवा चुके हैं। माही का फॉर्म भले ही चिंता का विषय हो लेकिन वर्ल्ड कप जैसे बड़े इवेंट में विराट उनकी 'कप्तानी' और 332 ODI मैचों के अनुभव का इस्तेमाल करना चाहते हैं। 0.08 सेकेंड में अभी ऋषभ को स्टंप करने के लिए बहुत मैच खेलने की दरकार है वहीं जब विराट के हाथों से मैच आउट ऑफ कंट्रोल होते दिखती है तो माही आज भी मैदान पर फील्ड सेट करने से लेकर किसे गेंदबाजी देनी है यह तय करते दिख जाते हैं। क्रिकेट विश्लेषकों की मानें तो माही अपने फॉर्म के हिसाब से इन तीन में से किसी भी नंबर पर बल्लेबाजी कर सकते हैं और विकेट के पीछे से दुनिया को एक बार फिर अपना तजुर्बा दिखा सकते हैं।
क्या जडेजा होंगे नए ऑल राउंडर ?
विराट की मानें तो टीम इंडिया में ऑल राउंडर की जगह के लिए वर्ल्ड कप से पहले सिरदर्दी बढ़ सकती है। टीम इंडिया में लंबे समय बाद वापसी कर रहे जडेजा चोटिल हार्दिक की जगह एक नए विकल्प बनकर उभरे हैं। आंकड़े तो यही बता रहे हैं। फ्लैट ट्राजिकट्री की गेंदबाजी पर आश्रित रहने वाले जडेजा ने 23.50 की औसत से हर टेस्ट में लगभग 5 विकेट लिए हैं। एशिया कप के जरिए टीम में वापसी करने वाले जडेजा जिस शख्स का पत्ता काट सकते हैं वो हैं युजवेंद्र चहल। टीम में हाल के मैचों में जडेजा ने जबरदस्त वापसी की है और इनके आंकड़े इस बात का सबूत हैं।
जडेजा को मिली विराट की वाहवाही
जडेजा का गेंदबाजी औसत ODI में पिछले तीन सालों में बेहद खराब हुआ था, साल 2015 में उनका औसत 49.50, 2016 में 85.66 और 2017 में 60.12 था। इस दौरान इन्होंने 27 मैच में मात्र 21 विकेट लिए थे लेकिन टीम में वापसी के बाद इन्होंने कई मौकों पर बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किए हैं। जडेजा ने टीम में वापसी के लिए कड़ी मेहनत की है और उनके जुझारूपन में एक नयापन देखा जा सकता है। विकेट फेंक कर चले जाना पहले उनकी पहचान थी लेकिन अब उन्होंने पिछले कई मैचों में संयम और धैर्य का परिचय दिया और कप्तान कोहली का विश्वास जीता है। कोहली ने विंडीज के खिलाफ सीरीज जीत के बाद उनकी तारीफ़ भी की। उन्होंने कहा " जडेजा को देखने से ऐसा लगता है कि उन्होंने इस दौरान बहुत मेहनत की है और विशाखपट्नम मैच को छोड़कर उन्होंने बढ़िया प्रदर्शन किया है"। विराट के ये शब्द चोटिल हार्दिक की अनुपस्थिति में जडेजा की दावेदारी को मजबूती देते हैं। ऐसी स्थिति में जडेजा भी वर्ल्ड कप 2019 में ऑल राउंडर के एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
इतिहास नहीं प्रदर्शन को मिले तवज्जो
टीम इंडिया के चयनकर्ताओं के लिए एक और खिलाड़ी सिरदर्द बन सकता है जिनका नाम है केदार जाधव। एशिया कप में चोटिल होने के बावजूद टीम को जीत की दहलीज पार कराने में इस खिलाड़ी ने अहम भूमिका निभाई थी। 42 ODI खेल चुके इस बल्लेबाज का गेंदबाज होना टीम के लिए वरदान है। अपने स्लिंगिंग एक्शन की वजह से बल्लेबाज इनकी गेंदों को नहीं पढ़ पाते हैं और ये बड़े विकेट चटकाने में माहिर हैं। हाल के दिनों में आईपीएल में लगी चोट के बाद भले ही इन्हें टीम से अंदर-बाहर होना पड़ा हो लेकिन मौका मिलते ही ये टीम के लिए शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब हो रहे हैं। लोअर मिडिल ऑर्डर में ये तेज रन जुटाने में कारगर रहे हैं। एक नजर इनके आंकड़ों पर कि आखिर क्यों ये भी टीम इंडिया में एक स्लॉट के प्रबल दावेदार हैं।
छोटा पैकेट, बड़ा धमाका
छोटी और प्रभावशील पारी खेलने के माहिर जाधव ने 48 एकदिवसीय मुकालों की 31 पारियों में 42 की औसत से 884 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 22 विकेट भी चटकाए हैं। तेज खेलने वाले जाधव न सिर्फ बल्लेबाजी और गेंदबाजी में माहिर हैं बल्कि एक शानदार क्षेत्ररक्षक भी हैं जो अपने दम पर किसी भी विपक्षी टीम के खिलाफ 20 रन बचाने का माद्दा रखते हैं या किसी भी प्रेसर वाली स्थिति से टीम को जीत दिलाने की काबिलियत भी है। टीम इंडिया और मैनजेमेंट के लिए यह खिलाड़ी भी लोअर मिडिल ऑर्डर में अपनी प्रबल दावेदारी पेश कर रहा है।