वर्ल्ड कप नहीं होगा केक वॉक
वर्ल्ड कप के पहले मैच में हाशिम अमला के हेलमेट पर लगी जोफ्रा आर्चर की बाउंसर हो या फिर मिचेल स्टार्क की घातक यॉर्कर पर अफगानिस्तान के धुंआधार बल्लेबाज मोहम्मद शहजाद का बोल्ड होना। अब तक खेले गए मैचों से यह बात साफ हो गई है कि न ही इंग्लैंड में पाटा विकेट मिलने वाला है और न ही यह मेगा इवेंट बल्लेबाजों के अनुकूल होने वाला है। कंडीशन,सिचुएशन और पिच के मिजाज को भांप कर खेलने वाली टीम ही इस टूर्नामेंट में सफल हो पाएगी और अगले दौर में जगह बना पाएगी। अब तक खेले गए मैचों से बाकी टीमों को इंग्लैंड के पिच क्यूरेटर ने एक संदेश दे दिया है यह इवेंट बल्लेबाजों के लिए केक वॉक (Cake walk) नहीं होने वाला है।
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एशियाई टीम का 'सरेंडर गेम'
विश्व कप 2019 के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका की टीम महज 39.5 ओवर खेल पाई। इंग्लैंड के गेंदबाजों ने शॉर्ट पिच और बाउंसर गेंदबाजी को अपना हथियार बनाया और पहले ओवर से अफ्रीकी बल्लेबाज बेबस दिखे। वर्ल्ड कप के दूसरे मैच में विंडीज के गेंदबाजों ने जमकर शॉर्ट पिच गेंदबाजी की और पाकिस्तान के बल्लेबाज ने महज 21.4 ओवर में 105 रन बनाकर सरेंडर कर दिया। वर्ल्ड कप में पाकिस्तान का यह दूसरा सबसे कम खेला गया ओवर और स्कोर था। न्यूजीलैंड और श्रीलंका के बीच (वर्ल्ड कप का तीसरा मैच) हुए मुकाबले में श्रीलंकाई टीम महज 29.2 ओवर में 136 रन बनाकर आउट हो गई। ट्रेंट बोल्ट की स्विंग होती गेंद और लॉकी फर्गुसन की रफ्तार के आगे एशियाई बल्लेबाज बेबस दिखे। अफगानिस्तान का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा 38.2 ओवर में यह टीम 207 रनों पर सिमट गई।
इंटेंट और प्लान होगा बड़ा फैक्टर
वर्ल्ड कप के पांचवें मैच में बांग्लादेश पहली ऐसी एशियाई टीम है जिसने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पूरे 50 ओवर खेले। वजह थी दक्षिण अफ्रीका की लचर फील्डिंग और सुनियोजित तरीके से न की गई गेंदबाजी। वर्ल्ड कप में जिन गेंदबाजों ने लाइन-लेंथ, शॉर्ट पिच और बाउंसर गेंदबाजी को अपना हथियार बनाया है उनकी टीम सफल रही है। दक्षिण अफ्रीका में कगिसो रबाडा और लुंगी गिडी जैसे गेंदबाज होने के बावजूद वो विफल रहे और बांग्लादेश ने अपने ODI इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया। इंग्लैंड में खेले जाने वाले हर एक मुकाबले में टॉस की भूमिका अहम होने वाली है क्योंकि सुबह के दो घंटे यहां गेंदें अधिक स्विंग और सीम होती हैं। इस मूवमेंट और मोमेंटम को गेंदबाज अपने पक्ष में करना चाहेंगे। अब तक हुए मुकबलों में 5 गेंदबाजों ने रफ्तार का कहर दिखाया वहीं डेविड वार्नर जैसे तूफानी बल्लेबाज भी संभलकर खेलते दिखे। इस टूर्नामेंट में टीमों का इंटेंट,अडैप्ट करना और प्लानिंग को इम्प्लीमेंट करना जीत-हार के बीच का बड़ा फैक्टर साबित होगा।
रफ्तार के आगे बेबस दिखे बल्लेबाज
इंग्लैंड की पिचों पर हरी घास छोड़ी जा रही है जो गेंदबाजों को पहले सेशन में इससे अधिक मदद मिल सकती है। टॉस जीतने वाली टीमें इंग्लैंड में पहले गेंदबाजी करना चाहती हैं और इंग्लैंड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जिन पांच गेंदबाजों ने अब तक खेले गए पांच मुकाबलों में सबसे तेज गेंदें फेंकी हैं, उनमें ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क टॉप पर शामिल हैं। उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ मुकाबले में 152 किमी/घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी वहीं इंग्लैंड के जोफ्रा आर्चर ने भी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इसी रफ्तार से गेंद फेंकी है। कगिसो रबादा ने 150 किमी/घंटे तो पैट कमिंस और लॉकी फर्गुसन ने 147 किमी/घंटे की रफ्तार से गेंदें की है और बल्लेबाज इनके सामने रन बनाने में बेबस दिखे।
बल्लेबाजों की होगी 'अग्नि परीक्षा'
विराट कोहली ने 10 टीमों के कैप्टन मीट के दौरान इस बात की संभावना जताई थी कि 'इंग्लैंड पहली ऐसी टीम होगी जो ODI क्रिकेट में 500 रनों का स्कोर भी खड़ा कर सकती है'। तब से इस बात की चर्चा तेज हो गई कि क्या यह इस वर्ल्ड कप में ही संभव हो पाएगा। मॉडर्न डे क्रिकेट में नियम भले ही बल्लेबाजों को फेवर करने वाले हों लेकिन इस बात के लिए गेंदबाजों की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने फ्री हिट का भी तोड़ निकाल लिया है और अब गेंदबाज ऐसी गेंदों पर भी एक या दो रन ही लुटाते हैं। विंडीज के उसेन थॉमस ने महज 34 गेंदों में 27 रन देकर 4 विकेट लिए और यह संदेश दे दिया कि यह विश्व कप बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं होने वाला है। अभी सैंपल साइज भले ही बहुत छोटा हो लेकिन क्या ऐसा कहा जा सकता है कि यह वर्ल्ड कप तेज गेंदबाजों का वर्ल्ड कप होगा? क्या हमें फिर से तेज बाउंसर और स्विंग होती गेंदें देखने को मिलेंगी ? क्या इस टूर्नामेंट में पाटा विकेट पर 100 और 200 बनाने वाले बल्लेबाजों का असली स्किल देखने को मिलेगा। इन सवालों के जवाब गेंदबाज देने को तैयार हैं।
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