1. रोहित शर्मा और शुभमन गिल
ऑस्ट्रेलिया में रोहित ना बुरे थे ना अच्छे। हां, वह पुराने रोहित नहीं थे जो विदेशी पिचों पर लाल गेंद से संघर्ष करते थे। लेकिन वह बहुत शानदार भी नहीं थे क्योंकि उन्होंने अधिकतर मौकों पर जमने के बाद विकेट गंवाया। हालांकि घर में रोहित का रिकॉर्ड ऐसा है कि वे लंबी पारियों के लिए चर्चित हैं। इस बार एक बढ़िया होम सीरीज की उम्मीद में वे टेस्ट में और अधिक पैठ बनाने के लिए उतरेंगे।
शुभमन गिल
पंजाब का ये युवा बल्लेबाज भारत के लिए बड़ी खोज साबित हुआ है। लाल गेंद क्रिकेट में गिल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मंजे हुए बल्लेबाज की तरह से प्रदर्शन करते हुए 45, नाबाद 35, 50, 31, 7 और 91 रनों की पारियां खेली।
गिल और रोहित दोनों ही तेजी से खेलने वाले बल्लेबाज हैं।
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2. चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली
पुजारा तो भारतीय टीम के लिए नई दीवार बन चुके हैं। उनके पास विपक्षी की गेंदबाजी को कुंद करने का हुनर और धैर्य है। वे नंबर तीन पर उतरेंगे और ऑस्ट्रेलिया में अंतिम दो टेस्टों में हासिल की गई अपनी फॉर्म को फिर से जारी रखना चाहेंगे।
विराट कोहली
बतौर कप्तान और खिलाड़ी विराट कोहली की वापसी इस सीरीज की एक मुख्य बात में से एक है। कोहली एक बेटी के पिता बनने के बाद पहली बार क्रिकेट के मैदान पर आएंगे। कोहली से उम्मीद है कि वे जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड, जोफ्रा आर्चर के सामने खुद का कद और विराट बनाएंगे।
3. अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत-
निचले मध्यक्रम तक भी भारत के पास पंत जैसा बल्लेबाज है और नंबर पांच पर अजिंक्य रहाणे जैसी क्लास है। रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया में पहले टेस्ट के बाद जिस तरह से कमान संभाली और मेलबर्न में सैंकड़ा बनाया, उसने उनका कद पहले की तुलना में कहीं अधिक विशाल बना दिया है। रहाणे घर पर अपने आंकड़े बेहतर करने के लिए खेलेंगे। उनका रिकॉर्ड अभी तक विदेशी पिचों पर घर की तुलना में उम्दा रहा है।
ऋषभ पंत
गाबा के कई हीरो थे लेकिन ये ऋषभ पंत थे जिन्होंने ताबूत में आखिरी कील ठोकी। पंत की सिडनी में खेली गई 97 रनों की चर्चित पारी ने जो हल्ला मचाया उसका असर ब्रिस्बेन में नाबाद 89 रनों में देखने को मिला। यह बुरी तरह से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी का कत्लेआम था।
साहा की मौजूदगी के बावजूद पंत को उनके प्रदर्शन के दम पर प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती दिख रही है।
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4. हार्दिक पांड्या और रविचंद्रन अश्विन
रविंद्र जडेजा के चोटिल होने के बाद हार्दिक पांड्या अगर ऑलराउंडर के तौर पर जगह लेते हैं तो यह भारत के लिए अच्छी बात होगी क्योंकि पांड्या एक मीडियम पेसर भी हैं जो विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मुकाबले को ध्यान में रखते हुए टेस्ट ऑलराउंडर के तौर पर और भी मंज सकते हैं। हालांकि देखना होगा कि क्या वे लंबे समय तक गेंदबाजी करने में सक्षम हैं या नहीं।
आर अश्विन
अश्विन भारत के लिए इस सीरीज के सबसे मुख्य खिलाड़ी होंगे क्योंकि पिचे घरेलू परिस्थितियों में स्पिन के लिए मददगार होने की उम्मीदें हैं। भले ही पिछले चार सालों में तेज गेंदबाजों ने जलवे दिखाएं हैं लेकिन चेन्नई में आप अश्विन को खारिज नहीं कर सकते। ऑस्ट्रेलिया में भी नाथन लियोन से बेहतर बॉलिंग करके अश्विन ने दिखा दिया है कि वे गैर-मददगार पिचों पर भी सक्षम हैं।
5. कुलदीप यादव और ईशांत शर्मा
अश्विन के साथ विविधता देने के लिए कुलदीप यादव का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि वाशिंगटन सुंदर भी ऑफ स्पिनर ही हैं। चेन्नई पिच पर धीमी गति से गेंद आती है और यादव हवा में गेंद स्पिन कराके अधिक लूप देने में यकीन रखते हैं। उनको एक जगह मिलनी चाहिए।
ईशांत शर्मा
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईशांत टेस्ट सीरीज का हिस्सा नहीं थे क्योंकि वे साइड स्ट्रेन का इलाज करा रहे थे लेकिन अब यह गेंदबाज दो बड़ी टेस्ट उपलब्धि हासिल करने के लिए तैयार है।
वे अपने 300 विकेटों से 3 विकेट दूर हैं और 100 टेस्ट मैच खेलने से भी 3 टेस्ट दूर हैं।
6. जसप्रीत बुमराह
बुमराह भारत के पहली पसंद के पेसर हैं। उनके पास अनुभव तो 20 टेस्ट से भी कम है लेकिन मानसिकता किसी 50 टेस्ट खेलने वाले बॉलर जैसी है। उन्होंने ईशांत और शमी की गैरमौजूदगी में ऑस्ट्रेलिया में अपनी टीम के पेस अटैक को लीड किया था।
बुमराह ने अभी तक घर पर कोई भी टेस्ट मैच नहीं खेला है। उनको 5 फरवरी से यह उपलब्धि भी हासिल हो जाएगी।