तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts
 

7 मौके जब सेलेक्शन को लेकर चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट के बीच हुई तनातनी

नई दिल्ली। भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली 5 मैचों की टेस्ट सीरीज से पहले विराट सेना को सलामी बल्लेबाज शुबमन गिल की चोट ने टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं के बीच विवाद खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय टीम मैनेजमेंट शुबमन गिल के चोटिल होने के बाद रिप्लेसमेंट के तौर पर श्रीलंका दौरे पर गये पृथ्वी शॉ और देवदत्त पाड्डिकल को इंग्लैंड दौरे पर भेजे जाने की मांग की है, हालांकि चयनकर्ताओं की समिति के चेयरमैन चेतन शर्मा ने मैनेजमेंट की इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि टीम मैनेजमेंट को चयनकर्ताओं के सेलेक्शन पर भरोसा जताना चाहिये और दौरे पर शामिल अभिमन्यु ईश्वर, मयंक अग्रवाल को मौका देना चाहिये। चयनकर्ताओं का मानना है कि टीम मैनेजमेंट के ऐसा करने से युवा खिलाड़ियों में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी और गलत संदेश जायेगा, जबकि इंग्लैंड दौरे पर पहुंची भारतीय टीम को गिल के रिप्लेसमेंट की जरूरत नहीं है।

और पढ़ें: IND vs SL: मुश्किल में पड़ी भारत-श्रीलंका सीरीज, बल्लेबाजी कोच ग्रांट फ्लॉवर को हुआ कोरोना

वहीं पर अगर टीम मैनेजमेंट को पृथ्वी शॉ अपने स्क्वॉड में चाहिये थे तो वो श्रीलंका दौरे पर क्या कर रहे हैं। इस बीच यह भी रिपोर्ट आई है कि पृथ्वी शॉ और पाड्डिकल इंग्लैंड दौरे पर नहीं जायेंगे और टीम मैनेजमेंट रोहित शर्मा के साथ मयंक अग्रवाल को ओपनिंग करायेगा। उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है जब टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ता खिलाड़ियों के सेलेक्शन को लेकर एक-दूसरे के सामने आये हों, हम आपको उन 7 मौकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जब चयनकर्ताओं और मैनेजमेंट के बीच सेलेक्शन को लेकर विवाद हुआ है।

और पढ़ें: बायोबबल तोड़ने वाले श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर गिरी गाज, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने बनाई 5 सदस्यीय समिति की जांच

जब वेस्टइंडीज दौरे पर आखिरी समय में बदल गया विकेटकीपर

जब वेस्टइंडीज दौरे पर आखिरी समय में बदल गया विकेटकीपर

1971 में भारत को वेस्टइंडीज दौरे पर जाना था जिसको लेकर टीम में तीसरे विकेटकीपर बल्लेबाज की जगह खाली थी। इसको लेकर चयनकर्ताओं की नजरें दलीप ट्रॉफी के फाइनल पर थी। इस मैच ईस्टर्न टीम की कप्तानी रमेश सक्सेना के हाथों में थी और दलजीत सिंह को इस मैच में विकेटकीपिंग करनी थी। हालांकि मैच से ठीक पहले तत्कालीन चयन समिति के अध्यक्ष विजय मर्चेंट ने टॉस से ठीक पहले कप्तान रमेश सक्सेना को बुलाया और बंगाल की तरफ से खेलने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज रूसी जीजीभाई को टीम में बतौर विकेटकीपर शामिल करने की मांग की। जाजीभाई पारसी समुदाय से आते थे और विजय मर्चेंट भी इसी समुदाय का हिस्सा थे।

विजय मर्चेंट ने रमेश भाई से दलजीत को बतौर बल्लेबाज और रूसी जीजीभाई को विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में खिलाने को कहा, जिसे रमेश भाई टाल नहीं सके। इसके चलते जीजीभाई को वेस्टइंडीज दौरे के लिये चुना गया। टीम के नये कप्तान अजीत वाडेकर सेलेक्शन को लेकर बहस नहीं करना चाहते थे लेकिन जीजीभाई के लिये यह दौरा उनका पहला और आखिरी दौरा साबित हुए। जीजीभाई ने 46 प्रथमश्रेणी मैचों में 10.46 की औसत से रन बनाये जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 39 रन रहा।

जब आखिरी मौके पर इंग्लैंड दौरे से हटा नाम

जब आखिरी मौके पर इंग्लैंड दौरे से हटा नाम

ऐसा ही कुछ 1979 में भी देखने को मिला, जहां पर एस वेंकराघवन की कप्तानी वाली भारतीय टीम के साथ बंगाल के पूर्व कप्तान संबरन बनर्जी का इंग्लैंड दौरे पर जाना तय था। सुरिंदर खन्ना को इस दौरे के लिये चुना गया लेकिन कप्तान एस वेंकटराघवन के दखल के बाद चयनकर्ताओं ने संबरन बनर्जी का नाम दौरे से हटा दिया और उनकी जगह तमिलनाडु के भरत रेड्डी को चुन लिया गया।

जब कपिल देव ने काटा मनोज प्रभाकर का पत्ता

जब कपिल देव ने काटा मनोज प्रभाकर का पत्ता

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव भी इस चीज से अछूते नहीं रहे थे। 1986 में ऐसा मामला सामने आया था जब इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम में मनोज प्रभाकर को जगह मिलनी तय थी। हालांकि कप्तान कपिल देव मनोज प्रभाकर की जगह मदन लाल को टीम में शामिल करना चाहते थे। मदन लाल उस समय इंग्लैंड में ही क्लब क्रिकेट खेल रहे थे। अंत में मदन लाल को ही दौरे के लिये चुना गया।

जब गांगुली को लेकर कप्तान और कोच से भिड़े संबरन बनर्जी

जब गांगुली को लेकर कप्तान और कोच से भिड़े संबरन बनर्जी

इस चीज का शिकार भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी होने वाले थे लेकिन पूर्व चयनकर्ता संबरन बनर्जी के दखल ने ऐसा होने नहीं दिया। 1996 में इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम के लिये चयनकर्ता संबरन बनर्जी ने सौरव गांगुली को चुना लेकिन टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और कोच संदीप पाटिल उन्हें दौरे पर ले जाने के खिलाफ थे। हालांकि संबरन बनर्जी ने कप्तान और कोच की बात को मानने से इंकार करते हउए चीफ सेलेक्टर गुंडप्पा विश्वनाथ और किशन रूंगटा को अपनी बात से सहमत कराया और फिर जो हुआ वो इतिहास हुआ।

जब सचिन और चयनसमिति के बीच हुआ मतभेद

जब सचिन और चयनसमिति के बीच हुआ मतभेद

1997 के सहारा कप के लिये तत्कालीन भारतीय टीम के कप्तान सचिन तेंदुलकर और टीम मैनेजमेंट अपनी टीम में मध्यप्रदेश के हरफनमौला खिलाड़ी जेपी यादव (जय प्रकाश यादव) को शामिल करना चाहते थे, इसको लेकर उन्होंने चयनसमिति के सामने औपचारिक रूप से मांग भी की, हालांकि चयन समिति के संयोजक ज्योति वाजपेई ने चालाकी से अपने राज्य उत्तर प्रदेश से खेलने वाले जेपी यादव (ज्योति प्रकाश यादव) को भेज दिया। चयन समिति के इस फैसले को लेकर सचिन तेंदुलकर ने कोई विरोध नहीं किया और ज्योति प्रकाश को एक भी मैच में मौका नहीं मिला। इसी तरह से सचिन तेंदुलकर को इसी साल वेस्टइंडीज दौरे पर भी अपनी पसंद का स्पिनर गेंदबाज नहीं मिला था। चयनकर्ताओं ने हैदराबाद के नोएल डेविड के सेलेक्शन पर जोर दिया जिनका करियर 4 वनडे मैच के बाद समाप्त हुआ।

जब हरभजन को खिलाने के लिये नहीं मान रहे थे चयनकर्ता

जब हरभजन को खिलाने के लिये नहीं मान रहे थे चयनकर्ता

साल 2001 में जब भारत दौरे पर आने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिये टीम का ऐलान करना था तो भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली हरभजन सिंह को खिलाना चाहते थे लेकिन तत्कालीन चयनकर्ता शरणदीप सिंह को टीम में शामिल करना चाहते थे, हालांकि कप्तान गांगुली नहीं माने। गांगुली ने हरभजन सिंह को टीम में शामिल करने पर जोर दिया और उसके बाद जो हुआ वो इतिहास है। हरभजन ने न सिर्फ टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक ली और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक जीत हासिल की।

जब दोस्ती के लिये धोनी ने आरपी सिंह को टेस्ट टीम में किया शामिल

जब दोस्ती के लिये धोनी ने आरपी सिंह को टेस्ट टीम में किया शामिल

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी टीम सेलेक्शन के मामले में काफी सेलेक्टिव माना जाता रहा है। उन्होंने जहां कई युवा खिलाड़ियों को बैक कर देश के लिये चमकने में मदद की है तो कुछ मौकों पर उन्हें दोस्ती निभाने के आरोप भी लगे हैं। ऐसा ही मामला साल 2011 में हुआ था जहां पर मियामी में छुट्टियां मना रहे अपने दोस्त आरपी सिंह को उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट टीम में शामिल कराया लेकिन इस सीरीज में वो कुछ खास नहीं कर सके और दोबारा कभी टेस्ट मैच नहीं खेले।

Story first published: Thursday, July 8, 2021, 23:10 [IST]
Other articles published on Jul 8, 2021
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X