कई बार टॉप ऑर्डर में खानी पड़ती है गोली
बीबीसी के एक पॉडकास्ट में बात करते हुए भारतीय टीम के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मिली जीत को याद किया और बताया कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिये क्या गेमप्लान तैयार किया था।
उन्होंने कहा,'कई बार ऐसा समय आता है जब आपको गोली का सामना करना पड़ता है। खासतौर से अगर आप भारतीय टीम के लिये टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी कर रहे हों, वो भी विदेश में, आपको बहुत सारी हिम्मत रखनी होती है। आपके पास बहुत सारा संयम और जुनून की भी दरकार होती है। भारत के लिये खेलते हुए कई बार ऐसे मौके आये हैं जब मुझे सीने पर गोली लेनी पड़ी है, यही वजह है कि वो मुझ रॉक कहकर बुलाते हैं।'
उछाल को पहचान पाने में हो रही थी दिक्कत
33 वर्षीय बल्लेबाज ने आगे बात करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी के खिलाफ गेंद की उछाल को पहचान पाना काफी मुश्किल हो गया था इसी वजह से उन्होंने एक खास गेम प्लान के तहत बल्लेबाजी की और गाबा के किले को फतह कर सके।
उन्होंने कहा,'गेंद की उछाल को पढ़ पाना काफी मुश्किल हो गया था और वहां पर कुछ ऐसी भी बॉल थी जो मेरे शरीर पर आकर लग रही थी। मैंने खुद को बस एक ही चीज समझाई कि भले ही गेंद मेरे शरीर पर आकर लग जाये लेकिन मैं अपने हाथ नीचे ही रखूंगा। मैं नहीं चाहता था कि गेंद मेरे बैट या ग्ल्वस से छूकर खिलाड़ी के पास जाये। उस मैच में किसी भी गेंदबाजी के खिलाफ जो शॉर्ट या बैक ऑफ लेंथ फेंक रहा था मेरा यही प्लान था।'
भारत की सबसे यादगार जीतों में है शामिल
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 4 मैचों की इस टेस्ट सीरीज में सौराष्ट्र के बल्लेबाज का नाम उन कुछ खिलाड़ियों में शुमार रहा जिन्होंने लगातार चोटिल हो रहे प्लेयर्स के बीच चारों मैच में शिरकत की। पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की 8 पारियों में 29.20 की स्ट्राइक रेट से 271 रन बनाये। उनका यह प्रदर्शन बताता है कि वो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में काफी समय तक मैदान पर खड़े होकर गेंदबाजों का सामना कर रहे थे।
इसमें सबसे यादगार जीत ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रही जिसमें भारतीय टीम को सीरीज के पहले ही मैच में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा लेकिन फिर टीम ने वापसी करते हुए 2-1 से सीरीज अपने नाम कर ली। भारतीय टीम के लिये इस सीरीज में जहां युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया तो टीम के अनुभवी बल्लेबाजों ने भी दमखम दिखाया और सिडनी में जब टीम को ड्रॉ की दरकार थी तो वहां पर चेतेश्वर पुजारा, रविचंद्रन अश्विन और हनुमा विहारी जैसे खिलाड़ियों ने गेंद को शरीर पर लगने दिया लेकिन अपना विकेट आसानी से नहीं खोने दिया।