ऋषभ पंत बने मैन ऑफ द मैच-
इस मैच में एकमात्र शतक लगाने वाले खिलाड़ी ऋषभ पंत थे जिन्होंने 118 गेंदों पर 101 रनों की बेहतरीन पारी खेली। ऋषभ पंत को उनकी इस निर्णायक पारी के चलते मैन ऑफ द मैच दिया गया है। ऋषभ पंत एक बार फिर से इस प्रतियोगिता में छाए रहे और उन्होंने 84 के स्ट्राइक रेट से बैटिंग करते हुए चार मैचों की 6 पारियों में 54 की औसत से 270 रन बनाए। इसके अलावा उनकी विकेटकीपिंग भी पहले की तुलना में काफी सुधरी रही।
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32 विकेट लेने वाले रविचंद्रन अश्विन बने प्लेयर ऑफ द सीरीज-
रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल ने शानदार गेंदबाजी करते हुए पांच-पांच विकेट दूसरी पारी में बांटे हैं। अक्षर पटेल ने इस मैच में 9 विकेट चटकाए हैं जबकि रविचंद्रन अश्विन के हिस्से में 8 विकेट आए हैं अश्विन ने इस सीरीज के दौरान कमाल का प्रदर्शन किया जिसके चलते उनको प्लेयर ऑफ द सीरीज अवार्ड दिया गया है।
रविचंद्रन अश्विन ने चार मैचों के दौरान 32 विकेट लिए और उनका स्ट्राइक रेट केवल 35.2 रहा जबकि एवरेज केवल 14.71 का रहा। अश्विन के बाद सीरीज में दूसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज अक्षर पटेल थे जिन्होंने 3 मैचों में 27 विकेट लिए और उनका एवरेज बेस्ट रहा जो कि 10.59 था जबकि स्ट्राइक रेट भी 28.3 था। इंग्लैंड की ओर से जैक लीच सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे जिन्होंने 4 मैचों में 28.72 की औसत से 18 विकेट लिए।
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जो रूट सर्वाधिक स्कोरर, कोहली रहे फ्लॉप-
वहीं अगर बैटिंग की बात करें तो अंग्रेज कप्तान जो रूट चेन्नई टेस्ट में 218 रन बनाने के कारण पूरी सीरीज में सर्वाधिक रन स्कोरर के तौर पर समाप्त हुए हैं। जो रूट ने चार मैचों की 8 पारियों में 46 की औसत के साथ 368 रन बनाए हैं। जबकि भारतीय बल्लेबाज रोहित शर्मा ने टॉप बल्लेबाजों में सबसे बेहतरीन एवरेज (57.50) के साथ बैटिंग की है और उन्होंने चार मैचों में सात पारी खेलकर 345 रन बनाए हैं।
टॉप ऑर्डर में केवल रोहित ही रहे सफल-
वहीं अगर ओवरऑल बेस्ट बैटिंग एवरेज की बात करें तो इस सीरीज में वाशिंगटन सुंदर बेस्ट रहे जिन्होंने 3 मैचों की चार पारियों में 2 बार नाबाद रहकर 181 रन बनाए और उनका एवरेज 90.50 रहा। । भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए बल्लेबाज के तौर पर यह सीरीज भी भूलने के लायक साबित हुई क्योंकि उन्होंने चार मैचों की 6 पारियों में केवल 28.66 से 172 ही रन बनाए। इसके अलावा अजिंक्य रहने का हाल और भी बुरा था जिन्होंने 18.66 के औसत से केवल 112 रन पूरी सीरीज में बनाए। हालांकि चेतेश्वर पुजारा भी कुछ खास नहीं कर सके और उन्होंने चार मैचों में 22 के एवरेज से 133 रन बनाए।
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पहला मैच हारने के बाद भारत की सबसे बड़ी सीरीज जीत-
यह भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहला टेस्ट हारने के बाद भारत की सबसे बड़ी सीरीज जीत है। आइए देखते हैं अभी तक भारत ने श्रृंखला के पहले मैच में हार के बाद किस तरह से अपने टेस्ट इतिहास में वापसी की है-
ऐसा केवल 6 बार हुआ है कि भारत सीरीज का पहला मैच हारा है और उसने बाद में पूरी सीरीज पर कब्जा जमाया। सबसे पहले इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में ऐसा हुआ था जब भारत ने 2-1 से वह श्रृंखला जीती थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000 और 2001 में भारत ने तीन मैचों की सीरीज 2-1 से जीती थी।
श्रीलंका के खिलाफ 2015 में भी भारत ने तीन मैचों की सीरीज 2-1 से जीती थी। इससे अगले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की सीरीज में भारत ने पहला मैच गंवाया था लेकिन श्रंखला का नतीजा टीम इंडिया के पक्ष में 2-1 रहा था।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज में भी भारत ने पहला मुकाबला एडिलेड में हारा था और बहुचर्चित 36 रनों पर ऑल-आउट हो गई थी। लेकिन उसके बाद युवा टीम ने कमाल की वापसी करते हुए इस श्रंखला को 2-1 से जीता था। और अब लेटेस्ट सीरीज में भारत में अपनी घरेलू जमीन पर इंग्लैंड को 3-1 से हराया है।