1. शीर्ष क्रम से लय का गायब होना
शीर्ष क्रम पर मुरली विजय की उपस्थिति चेन्नई के लिए गर्व की बात नहीं रही है और यह बल्लेबाज तेज रन बनाना तो दूर, धीमी गति से रन बनाने के लिए भी जूझ रहा है।
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यहां तक कि जब सुरेश रैना इस सीजन के लिए उपलब्ध नहीं हैं, तब शेन वॉटसन और फाफ डु प्लेसिस के ऊपर ज्यादा दबाव आ गया है। चौथे क्रम पर ऋतुराज गायकवाड़ आते हैं जो कोरोना से उभरने के बाद टीम में खेल रहे हैं लेकिन उनकी फॉर्म का अभी कोई अता-पता नहीं है। फाफ डु प्लेसिस अकेले बल्लेबाज हैं जो टॉप ऑर्डर पर निरंतर रहे हैं लेकिन कुल मिलाकर शीर्ष क्रम में वो तेज शुरुआत देने की कमी रही जिसकी बुनियाद पर निचले बल्लेबाज स्कोर कर सकें।
2. एमएस धोनी का ऊपर ना आना समझ से परे
एमएस धोनी लीडर हैं और यकीनन सीएसके के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। उन्हें सबसे अच्छे फिनिशर में से एक के रूप में जाना जाता है और उनके रिकॉर्ड असाधारण हैं। पिछले मैच में हार का सामना करने के बाद भी रांची के स्टालवार्ट ने अपनी गलती से नहीं सीखा और दोबारा निचले क्रम पर बैटिंग के लिए आए।
लेकिन जब धोनी अंदर आए, तो सीएसके के लिए मैच लगभग खत्म हो गया था। अगर वह अपनी पिछले मैच की गलती से सीख लेते और बल्लेबाजी नंबर 4 पर करते, तो वह अपने ट्रेडमार्क शैली में आखिरी ओवर में मारने के लिए जाने से पहले कुछ समय बिता सकते थे। लेकिन सीएसके के कप्तान खुद को ही भरोसा नहीं दे रहे हैं और यह येलो आर्मी के लिए एक बड़ी चिंता है।
3. संसाधनों का सही इस्तेमाल ना करना-
एमएस धोनी को खेल के सबसे अच्छे कप्तानों में से एक माना जाता है, लेकिन उन्होंने आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे रुतुराज गायकवाड़ को तब नंबर 4 पर भेजा जब टीम को रन रेट बहुत तेज चाहिए था और गायकवाड़ में तुरंत तेज पारी खेलने का दमखम नहीं था। धोनी और जडेजा दोनों ही सीएसके के लिए बहुत अनुभवी हैं और दोनों ही आखिरी ओवरों में या तो नाबाद लौटते हैं या शॉट मारने के प्रयास में आउट होते हैं लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में टीम को जीत नहीं मिलती ऐसे में धोनी को टीम के संसाधनों का उचित उपयोग करना होगा जिससे अनुभवी और विस्फोटक बल्लेबाजों को ज्यादा से ज्यादा ओवर खेलने के लिए मिल सकें।
4. स्ट्राइक गेंदबाजों का सही इस्तेमाल न करना
बीच के ओवरों में अपने स्ट्राइक गेंदबाजों का इस्तेमाल न करना भी एमएस धोनी की एक गलती थी। यदि CSK को बीच के ओवरों में एक या दो विकेट मिल सकते थे, तो DC कुल कम स्कोर के साथ समाप्त हो सकता था, जिसका पीछा करना आसान हो सकता था। इसके अलावा, डीसी के पास अमित मिश्रा और अक्षर पटेल उनके विशेषज्ञ स्पिनर के रूप में थे, अगर सीएसके ने रवींद्र जडेजा या सैम करन जैसे बाएं हाथ के बल्लेबाज को प्रमोट करके मध्यओवरों में भेजा होता तो इनका कैमियो भी जरूरी रन रेट को बैलेंस कर सकता था।