क्या अब धोनी नहीं रहे फिनिशर
इंटरव्यू के दौरान जब सैयद किर्मान से सवाल किया गया कि क्या अब धोनी अपनी मैच विनर और फिनिशर की भूमिका खो चुके हैं तो उन्होंने अपनी राय देते हुए कहा कि जो भी लोग धोनी से लगातार एक जैसा प्रदर्शन की उम्मीद लगा रहे हैं उनकी सोच गलत है। अब आपको धोेनी से इस तरह की उम्मीद लगाना बंद करना चाहिये जो आप उनसे 10-15 साल पहले लगाया करते थे।
उन्होंने कहा, 'आप प्रकृति के नियम को नहीं बदल सकते। यह सभी पर लागू होता है, फिर वो चाहे धोनी ही क्यों न हों। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि धोनी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर रहे हैं और लगभग डेढ़ साल के बाद मैदान पर वापसी कर रहे हैं जिसके चलते वह वो प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसके लिये वह जाने जाते रहे हैं।'
आप 15 साल पहले वाले धोनी को अभी नहीं देख सकते
पूर्व विकेटकीपर का मानना है कि जैसे-जैसे आदमी की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उसके प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ता है। यह नियम हर वर्ग और क्षेत्र को लोगों पर लागू होता है। इस उम्र में आप उस चुस्ती की अपेक्षा नहीं कर सकते जो 10-15 साल पहले होती थी। इसके अलावा धोनी के पास सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बतौर कप्तान भी कई जिम्मेदारियां होती है, जिसका असर देखने को मिलता है।
उन्होंने कहा, 'धोनी सिर्फ एक बल्लेबाज ही नहीं हैं, बल्कि टीम में उनके कंधे पर कई और जिम्मेदारियां भी हैं। इतना ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह अब अपने भविष्य के बारे में भी सोच रहे होंगे। आदमी के ऊपर जैसे-जैसे बाकी जिम्मेदारियां आती जाती हैं उसके प्रदर्शन पर उसका असर साफ देखने को मिलता है।'
सभी टीमों में है कुछ खामियां
किरमानी ने सीएसके के खराब प्रदर्शन के पीछे संयुक्त अरब अमीरात की गर्मी और परिस्थितियों को भी एक कारण बताते हुए कहा कि मैनेजमेंट ने टीम का संयोजन भारतीय पिचों के हिसाब से किया था, लेकिन कोरोना काल में यह एक मुश्किल जगह पर खेला जा रहा है, जहां पर खिलाड़ी इतनी गर्मी में खेलने के आदी नहीं हैं।
उन्होंने कहा, 'क्रिकेटर अनिश्चितताओं का खेल है। यही कारण है कि 12 सालों में लगातार अच्छी टीम होने के बावजूद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली एक भी खिताब जीत पाने में नाकाम रहे हैं। वहीं यूएई की परिस्थितियों में इतना बड़ा टूर्नामेंट खेलने के लिये सीएसके के प्लेयर तैयार नहीं थे। ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि किसी टीम में कोई कमी या खामी है।'