नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग के 15वें सीजन के लिये बीसीसीआई ने दो नई टीमों के शामिल होने का ऐलान पहले ही कर दिया था जिसके बाद पिछले महीने बोर्ड ने नीलामी का आयोजन किया था, जिसके बाद आईपीएल में अहमदाबाद और लखनऊ की दो नई फ्रैंचाइजियां मिलना तय हो गया है। हालांकि बीसीसीआई अभी भी अहमदाबाद की नई टीम के मालिकाना हक रखने वाली फर्म सीवीसी कैपिटल के बिजनेस लिंक्स की जांच में लगा हुआ है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार सीवीसी स्पोर्टस को बीसीसीआई की तरफ से अब तक लेटर ऑफ इंटेंट नहीं दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि बोर्ड ने लखनऊ और अहमदाबाद की टीमों के लिये नीलामी का ऐलान किया था जिसमें आरपीएसजी ग्रुप ने 7090 करोड़ की बोली लगाकर लखनऊ की टीम को खरीदा तो वहीं पर सीवीसी स्पोर्टस ने अहमदाबाद की टीम 5625 करोड़ में अपने नाम किया। हालांकि नीलामी के एक दिन बाद ही सीवीसी कैपिटल पार्टरनर्स के बेटिंग कंपनियों के साथ निवेश की बात सामने आयी जिसके बाद यह देरी हो रही है।
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सीवीसी स्पोर्टस के प्रतिनिधि बीसीसीआई के अधिकारियों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यूके की बेटिंग फर्म में किया गया उनका निवेश पूरी तरह से कानूनी है। रिपोर्ट के अनुसार सीवीसी अधिकारियों ने इस मामले को लेकर भारत और दुबई में बोर्ड के अधिकारियों से बात की है। इस बीच यह भी खबर सामने आ रही है कि इस मुद्दे पर अगले दौर की चर्चा बस एक या दो दिन में देखने को मिल सकती है।
गौरतलब है कि बेटिंग कंपनियों में निवेश की खबर सामने आने के बाद बीसीसीआई की कानूनी टीम ने इस मामले को अपने हाथों में ले लिया है और समिति हर तरफ से संभावनाओं की जांच कर रही जो कि इसे फिक्सिंग यह बेटिंग से जोड़ सकती है। बीसीसीआई के आंतरिक सूत्रों के अनुसार नीलामी में हिस्सा लेने वाले पक्ष को पहले ही बता दिया गया था कि अगर नीलामी के दौरान तक उनके व्यापारिक जड़ों की जांच नहीं हो पाती है तो बोर्ड बाद में भी इसे कर सकता है।
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उल्लेखनीय है कि सीवीसी फर्म ने अभी तक इस मसले पर कोई बात नहीं कि है लेकिन ऐसी चर्चायें हैं कि निर्णय उनके पक्ष में ही आने वाला है। सूत्रों के अनुसार अमेरिक निवेशकों ने दावा किया है कि बीसीसीआई के एक बड़े स्टेक होल्डर समेत कई बड़ी विदेशी कंपनियों ने बेटिंग कंपनियों में अपना निवेश किया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह किसी भी तरह से गलत नहीं जितना कि उसे दिखाया जा रहा है।
आपको बता दें कि सीवीसी कैपिटल्स फर्म के बेटिंग कंपनियों में निवेश की खबर सामने आने के बाद बीसीसीआई पर सवाल खड़े किये जाने लगे कि क्या आईपीएल पर फिक्सिंग और सट्टेबाजी का खतरा मंडरा रहा है। ललित मोदी ने भी इस मामले पर बोर्ड पर निशाना साधते हुए निर्णय पर सवाल पूछे थे।