ऋषभ पंत का प्रदर्शन
लेकिन पंत के प्रदर्शन में ठहराव नहीं रहा है। मिले मौकों को वह भुनाने में अबतक उतने सफल नहीं हुए हैं जितनी प्रतिभा उनमें है। हालांकि पंत अभी तक केवल 11 टेस्ट मैच, 12 एकदिवसीय मैच और 23 टी-20 मैच ही खेले हैं। फिर भी अगर इन फॉर्मेट में उनके रनों का औसत देखें तो केवल टेस्ट मैच का औसत ही सही लगता है जो कि अभी 44.35 है। वहीं एकदिवसीय मैचों का औसत 22.9 तो टी-20 का 19.88 है। यह रनों का प्रभावी औसत तो नहीं ही है जब आज के प्रतियोगी क्रिकेट में खिलाड़ियों के बीच एक स्वस्थ्य लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इधर बांग्लादेश के साथ घरेलू सीरीज में भी पंत का प्रदर्शन लचर ही रहा। बल्ले के अलावा उनसे विकेटकीपिंग में भी कई गलतियां हुई। यह तो सच है कि पंत के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है। इसके बाद भी वे टीम मैनेजमेंट की पहली पसंद रहे हैं, और उनकी आलोचना वैसी नहीं हुई है जैसा भारतीय क्रिकेट में किसी खिलाड़ी के गिरते प्रदर्शन को लेकर होता आया है। पंत इस मामले में अबतक भाग्यशाली रहे हैं।
लेकिन इस सीरीज के बाद से पंत की आलोचनाएं शुरू हुई हैं, ये और बात है कि भारतीय कप्तान और खुद BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने पंत का बचाव किया है, लेकिन अब टीम मैनेजमेंट पर दबाव दिख रहा है। इसे समझने के लिए हमें कुछ बिंदुओं पर गौर करना होगा। आइये उन बिंदुओं पर नजर डालते हैं।
नंबर चार स्लॉट के लिए श्रेयस अय्यर की मजबूत दावेदारी
विश्वकप के पहले से ही नंबर चार स्लॉट के लिए एक उम्दा बल्लेबाज की खोज भारतीय टीम मैनेजमेंट के लिए सरदर्द था। कई खिलाड़ियों को आजमाया गया लेकिन यह खोज काफी समय तक अंतहीन यात्रा जैसा ही रहा था। अंत मे टीम मैनेजमेंट ने इस स्लॉट के लिए युवा ऋषभ पंत पर दांव लगाया और उसे उसके उतार-चढ़ाव वाले प्रदर्शन के वावजूद इस स्लॉट पर एक तरह से फिक्स हो जाने के कई मौके दिए। इसी समय श्रेयस अय्यर टीम संयोजन में आने के बाद से ही मिले मौकों को दोनों हाथों से लपक रहे थे। श्रेयस अपने उम्दा और समझ भरे प्रदर्शन की बदौलत बहुत ही कम समय मे नंबर पांच से नंबर चार पर आ गए। और उनका बेहतर प्रदर्शन अभी भी जारी है। श्रेयस अय्यर की मजबूत दावेदारी ने टीम मैनेजमेंट के उस नजरिये को सोचने पर मजबूर किया जिसमें पंत एक अच्छे विकल्प के अभाव में नंबर चार स्लॉट के लिए मैनेजमेंट की पहली पसंद बने हुए थे। यह पहला अवसर रहा जब पंत के ऊपर किसी नए खिलाड़ी को तरजीह दी गई थी।
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डे-नाईट सीरीज के बीच में ही पंत को रिलीज करना
बांग्लादेश के साथ हुए सीरीज में पंत रिद्धिमान साहा के साथ दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर टीम से जुड़े हुए थे, लेकिन पहले टेस्ट के बाद ही उन्हें टीम से रिलीज कर दिया गया, हालांकि पहले टेस्ट के 11 सदस्यी टीम में वो नहीं थे। पंत को रिलीज करने का कारण जो सामने आया वह था वेस्टइंडीज के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज से पहले घरेलू क्रिकेट में कुछ मैच खेलकर वो अपने प्रदर्शन में सुधार लाएं। ये बातें सामान्य लग सकती है, लेकिन अगर सोचें की टीम मैनेजमेंट के सामने ऐसी नौबत क्यों आई कि खासकर के पंत को घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए समय उपलब्ध कराया गया? जो बातें समझ में आती है वह कहीं न कहीं यह संकेत करता है कि टीम सेलेक्शन कमिटी और मैनेजमेंट का अब पंत पर भरोसा कहीं न कहीं कमजोर हुआ है। अगर पंत बहुत जल्द अपनी प्रतिभा को प्रदर्शन में नहीं बदलते हैं तो उनके लिए अब आगे की राह मुश्किल होने वाली है।
संजू सैमसन के बढ़िया प्रदर्शन से ऋषभ को मिल रही चुनौती
श्रेयस अय्यर और ऋषभ पंत के बीच नंबर चार स्लॉट को लेकर प्रतियोगिता थी जिसमें अभी तक अय्यर बीस साबित हुए हैं। अब फिलहाल पंत को जिस खिलाड़ी से चुनौती मिल रही है वे हैं संजू सैमसन। आईपीएल से लेकर घरेलू क्रिकेट में बढ़िया प्रदर्शन का ईनाम संजू को भारतीय टीम में शामिल करके दिया तो जरूर गया है लेकिन यहां प्रदर्शन करने का मौका उन्हें अबतक नहीं मिला है। संजू सैमसन को वेस्टइंडीज के साथ होने वाले सीरीज के लिए चोटिल शिखर धवन की जगह टी-20 टीम में शामिल किया गया है। इस बार उम्मीद है की संजू को खेलने का मौक़ा भी मिलेगा। संजू टीम में बने रहने के लिए टीम के जरूरत के अनुसार खुद को लचीला बनाने की बात भी कह चुके हैं। उनका इशारा कहीं न कहीं विकेट के पीछे की जिम्मेदारी संभालने का भी था। पंत का प्रदर्शन घरेलू क्रिकेट में भी निराशाजनक ही रहा है। टीम मैनेजमेंट की निगाहें इसपर भी होगी ही क्योंकि अब पंत की आलोचनाएं होनी शुरू हो गई है। अगर संजू मिले मौकों को श्रेयस अय्यर की तरह ही भूना पाने में सफल होते हैं और पंत अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं करते हैं तो उनकी मुश्किलें बढ़ेगी ही। और ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि टीम मैनेजमेंट अब संजू सैमसन को पर्याप्त मौके देगी। संजू सैमसन और ऋषभ पंत दोनों के लिए वेस्टइंडीज सीरीज अहम होने जा रहा है क्योंकि टीम मैनेजमेंट ने संजू को टीम में शामिल करके टीम में बने रहने के अवसर को अब दोनों खिलाड़ियों के लिए खोल दिया है। टीम मैनेजमेंट अब उस समय से आगे निकल गई दिखती है जिसमें यह कहा गया था की पंत उनके टीम के भविष्य के अभियान का हिस्सा हैं इसलिए उन्हें गलतियों से सिखने के पर्याप्त मौके दिए जाएंगे। अब प्रदर्शन से जो जीतेगा वही सिकंदर होगा।
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