कैसे नंबर चार कि जगह महत्वपूर्ण हो गई
यहाँ यह गौर करने की बात है कि भारतीय टीम की यह कमी शिखर धवन के चोटिल होने से कुछ ज्यादा ही उभर कर सामने आ गया। क्योंकि जिस के.एल राहुल को शिखर धवन की जगह ओपनिंग की जिम्मेदारी मिली थी वह राहुल नंबर चार के स्लॉट के लिए अधिक चुने गए थे। भारतीय टीम नें सलामी बल्लेबाजी का बेहतर विकल्प टीम सेलेक्शन के वक़्त तैयार नहीं किया था, यह इस टीम की बड़ी भूल साबित हुई, संभवतः नम्बर चार स्लॉट के खोज से भी ज्यादा। लेकिन इस बात पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई जबकि इसपर चर्चा होनी चाहिए थी। खैर, अब जब शिखर धवन वापस आ गए हैं तो नंबर चार स्लॉट की चर्चा अधिक मौजूं है। और ऐसी चर्चाएं हो भी रही हैं।
कितना हुआ एक्सपेरिमेंट
नंबर चार के स्थान पर अबतक काफी एक्सपेरिमेंट किया जा चुका है। अंबाती रायडू से लेकर मनीष पांडे/शुबमन गिल तक और अब यह श्रृंखला पांडे से होते हुए ऋषभ पंत तक आ पहुंचा है। लेकिन रिषभ पंत का आंकड़ा यह बताता है उन्होंने मिले मौकों में वैसा प्रदर्शन नहीं किया है जैसी उम्मीद नंबर चार के बल्लेबाज से की जाती है। हाँ इस बीच शुबमन गिल नें अपने कौशल से आकर्षित तो जरूर किया है लेकिन टीम मैनेजमेंट ने अभी उनमें विश्वास नहीं दिखाया है। अब अपेक्षाकृत एक नए खिलाड़ी श्रेयस अय्यर के उभार नें इस स्लॉट के लिए चल रही जंग को और मजेदार बना दिया है।
चूंकि भारतीय टीम का थिंक टैंक इस स्लॉट के लिए एक युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी को तरजीह देना चाहती है ताकि वह टीम को काफी दिनों तक स्थायित्व दे सके, खासकर के अगले विश्कप तक। इसलिए टीम मैनेजमेंट के इस सोच में अंजिक्या रहाणे जैसे खिलाडी अभी फिट नहीं बैठ रहे हैं वरना, क्लास, परफेक्शन और टेम्परामेंट में रहाणे कहीं से भी कमतर नहीं दिखते हैं। वह एक पूर्ण बल्लेबाज भी हैं।
क्या है दिग्गजों की राय
दरअसल भारतीय टीम मैनेजमेंट और खासकर के कप्तान कोहली इस स्लॉट के लिए एक हरफ़नमौला को तरजीह देते दिख रहे हैं। कहीं न कहीं उनके दिमाग में इसके लिए महेंद्र सिंह धोनी का विकल्प तलाशना लग रहा है। जबकि यह ध्यान देने की बात है कि महेंद्र सिंह धोनी के 'धोनी' बनने के पीछे उनका अथक परिश्रम और खेल के प्रति शानदार समझ है। कोहली ने हाल में ही कहा है कि वह नंबर चार और नम्बर पांच को लचीला रखना चाहते हैं ताकि जरूरत के अनुसार इस क्रम को बदला जा सके। लेकिन उनकी इस समझ से कपिलदेव, सुनील गावस्कर और गौतम गंभीर जैसे पूर्व महान खिलाड़ी ज्यादा सहमत होते नहीं दिखते हैं। इसी बीच श्रेयस अय्यर का प्रदर्शन उनकी इस बात को बल भी देने लगा है।
वैसे भी जब टीम में कोई स्लॉट निर्माण प्रक्रिया में हो तो यह बेहतर होता है कि उसमें पहले स्थायित्व दिया जाय फिर जरूरत के वक़्त विशेष परिस्थिति में क्रम में फेरबदल कर लिया जाए। और ऐसा हम हाल के दिनों में देख भी रहे हैं। हार्दिक पांड्या इसी भूमिका को निभा भी रहे हैं। ऐसे में जब टीम में एक महत्वपूर्ण स्लॉट को लेकर इतना माथापच्ची हो रहा हो तब फिर से हरफनमौला को तरजीह देने से बेहतर है एक संपूर्ण बल्लेबाज को निखरने का मौका देना। इसी कसौटी पर आगे हम श्रेयस अय्यर और रिषभ पंत की तुलना करते हैं।
ऋषभ पंत
सुनील गावस्कर ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उनके विचार में ऋषभ पंत एक फिनिशर के रूप में नंबर 5 या 6 पर एमएस धोनी की तरह बेहतर होंगे क्योंकि यही उसका प्राकृतिक स्वभाव और स्वाभाविक खेल है। यह बात सच भी है। पंत के खेलने का तरीका भी यही बताता है। विश्वकप के मैचों में भी जब-जब टीम मुश्किल में थी तब भी पंत ने अपने स्वभाव के अनुरूप ही खेल खेला। उनके शार्ट का चयन बेफिक्री वाला रहा है। जबकि नंबर चार की जगह जिम्मेदारी भरी होती है। उनका ऐसा ही हाल अभी चल रहे वेस्टइंडीज दौरे में भी है। दूसरे एक-दिवसीय मैच में रोहित शर्मा और शिखर धवन के जल्द आउट के बाद पंत चाैथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे, लेकिन उनके शाॅट का चयन यहाँ भी ख़राब रहा। वो महज 20 रन बनाकर चलते बने। विकटों के गिरने के बाद पारी को सजाने की कला में धैर्य और विवेक दोनों मिश्रण होना चाहिए। पंत प्रतिभाशाली तो हैं लेकिन इन गुणों को उन्हें आगे सीखना होगा। हाँ अगर टीम की शुरूआती साझेदारी अच्छी रहती है और बाद के आठ-दस ओवर बचते हैं तो फिर पंत को नंबर चार पर भेजना ज्यादा उपयुक्त रहेगा।
श्रेयस अय्यर
वहीं श्रेयस अय्यर की बात करें तो अय्यर नंबर चार के स्थान पर तकनीकी तौर पर पंत से ज्यादा सक्षम दिखते हैं। वेस्टइंडीज के साथ दूसरे एकदिवसीय मैच में अय्यर ने विराट कोहली के साथ चाैथे विकेट के लिए 125 रनों की साझेदारी करते हुए 71 रनों की जिम्मेदारी भरी पारी खेली थी। अय्यर ने अबतक मिले मौकों को भुनाया भी है। कोहली के साथ बैटिंग करते हुए उन्होंने संयम और धैर्य भरी पारी खेलकर ऋषभ पंत और टीम मैनेजमेंट की परेशानी को निश्चित ही बढ़ा दिया है, क्योंकि वह भी युवा हैं और तकनीकी तौर पर सक्षम भी। उनमें कौशल विवेक और धैर्य का मिश्रण भी दिखा है। लेकिन अय्यर को इसे आगे भी बरकरार रखना होगा, तभी उनकी भी बात बनेगी और भारतीय टीम के लिए नंबर चार की खोज का अंतहीन सिलसिला भी थमेगा।
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