गांगुली और द्रविड़ का दिन-
राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली ने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबलों में पहली बार दुनिया को दिखाया था कि 300 रनों की साझेदारी कैसे की जाती है। उन्होंने 44.5 ओवरों में 318 रन ठोक दिए थे। गांगुली ने वनडे क्रिकेट में अपना उच्चतम स्कोर 183 रन बनाया था जो कि 158 गेंदों पर आया जिसमें 7 छक्के और 17 चौके लगे और राहुल द्रविड़ ने 120 गेंदों पर 145 रनों की पारी खेली जिसमें उन्होंने एक छक्का वह 17 चौके लगाए। इसके चलते भारतीय टीम ने 373 रनों का स्कोर खड़ा किया और श्रीलंका के खिलाफ 157 रनों की बड़ी जीत दर्ज की क्योंकि यह टीम 216 रन बनाकर ही आउट हो गई। यह सब तब शुरू हुआ जब श्रीलंका के तत्कालीन कप्तान अर्जुना रणतुंगा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया क्योंकि उनको लगा टॉन्टन की सुबह में वे नमी का फायदा उठाकर भारतीय बल्लेबाजों को तितर-बितर कर सकते हैं। इस टीम के पास तब चमिंडा वास नाम का एक बहुत ही शानदार बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हुआ करता था और वास ने अपने कप्तान की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए गांगुली के ओपनिंग पार्टनर सदगोपन रमेश को शानदार आउटस्विंगर पर पहले ही ओवर में चलता कर दिया।
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धीमे द्रविड़ आक्रमक थे, गांगुली ने शतक बाद दिखाया प्रलंयकारी अंदाज-
हालांकि उसके बाद राहुल द्रविड़ आए और जो हुआ वह देखने लायक था। सच तो यह है कि राहुल द्रविड़ ने आक्रामक बल्लेबाजी शुरू से अपनाई और चौके लगाना जारी रखा। तब राहुल द्रविड़ की धीमा क्रिकेट खेलने के चलते बहुत आलोचना होती थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बल्लेबाज बताना चाहता है कि समय के हिसाब से आक्रामक रुख भी अख्तियार कर सकता है। राहुल द्रविड़ ने नंबर तीन पर आते हुए लगभग उतनी ही गेंदों पर अपना शतक पूरा किया। यह 1999 विश्व कप में उनका लगातार दूसरा शतक था इससे पहले केन्या के खिलाफ ब्रिस्टल मुकाबले में भी उन्होंने शतक जमाया था। दूसरी ओर गांगुली ने 119 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया। लेकिन गांगुली ने अपनी तीसरी 50 यानी कि 150 रन बहुत तेजी से पूरे किए। इस तीसरी फिफ्टी में उन्होंने केवल 24 गेंद ली और 100 रनों से 183 रनों तक जाने में उन्होंने मात्र 39 गेंद ली।
मुथैया मुरलीधरन पर हावी हो गए दादा-
तब मुथैया मुरलीधरन की तूती पूरे दुनिया में बोलती थी और आज भी वह क्रिकेट खेलने वाले महानतम स्पिनरों में से एक माने जाते हैं लेकिन गांगुली ने इस दाएं हाथ के गेंदबाज की बखिया उधेड़ कर रख दी थी और सनत जयसूर्या को भी उन्होंने नहीं छोड़ा था। खासकर अपने शतक के बाद उन्होंने इन दोनों स्पिनरों पर बखूबी हाथ आजमाया। हाल ही में इंग्लैंड के बहुत बड़े हिटर जॉस बटलर ने गांगुली और द्रविड़ की इन पारियों के बारे में बात की थी। बटलर ने कहा था कि यह देखना बहुत ही अद्भुद था कि दो खिलाड़ी एक्शन में इस तरीके से खेलते हैं और वह स्टेडियम अधिकतर भारतीय फैंस से खचाखच भरा हुआ था। बटलर ने कहा है कि यह भारतीय भीड़ को देखने का उनका पहला अनुभव भी था तब उन्होंने देखा कि यह लोग क्रिकेट के प्रति कितनी जुनूनी है और विश्व कप में खेलना कितनी शानदार बात होती है। भारत इस विश्व कप में काफी अच्छा खेला था, जब हम ग्रुप स्टेज की बात करते हैं तो टीम इंडिया ने 5 में से 5 मैच जीते थे लेकिन वह सुपर आठ मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी टीमों से हार गए और विश्व कप से बाहर हो गए थे।