टीम इंडिया के 292वें खिलाड़ी का स्वागत
टेस्ट क्रिकेट में किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी के स्वागत के लिए यह कहावत काफी फेमस है। इस कहावत का किकेट से जुड़ने का किस्सा बहुत निराला है। टोनी कोजियर ने साल1990 में सबसे पहले इन शब्दों का प्रयोग किया था। मैदान किंग्सटन का था, क्रीज पर मौजूद थे नासिर हुसैन और गेंदबाजी कर रहे थे पैट्रिक पीटरसन। जिन्होंने इस युवा बल्लेबाज का 'स्वागत' दो बाउंसर गेंदों से किया था तब कमेंट्री बॉक्स में मौजूद टोनी कोजियर ने कहा था. "Welcome to Test cricket." 28 साल बाद 'द ओवल' पर भी हनुमा विहारी के लिए नजारा कुछ ऐसा ही था।
ब्रॉड और जेम्स एंडरसन के आगे दिखाया दम
स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन की धाकड़ गेंदबाजी के आगे विहारी दो बार आउट होते-होते बचे। 35वें ओवर की पांचवीं गेंद ब्रॉड ने 140 किलोमीटर रफ्तार से फेंकी, यह इनस्विंग करती गेंद परखने में विहारी चूक गए। गेंद सीधी पैड पर जाकर लगी, जोरदार अपील के बाद फील्ड अंपायर ने कुछ वक्त लिया और फिर कहा 'Not Out'. विश्वसनीय अपील के बावजूद न जाने क्यों इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने रिव्यू नहीं लिया जबकि टीवी रिप्ले में देखने पर विहारी साफ आउट नजर आ रहे थे। उन्होंने अपनी पारी के दौरान पहली बॉउंड्री की शुरुआत छक्के से की।
मुश्किल हालात में बने 'संकट मोचन'
विराट के आउट होने के बाद उन्होंने न सिर्फ पहले दिन पारी संभाली बल्कि दूसरे दिन के मुकाबले में भी अपने cool, calm और कम्पोजर का शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 124 गेंदों में 56 रनों की पारी खेली और जब आउट होकर पवेलियन लौट रहे थे तो कप्तान और सारा स्टेडियम खड़े होकर तालियां बजा रहा था। भारतीय टीम के इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी का टेस्ट क्रिकेट में स्वागत हो चुका था।इस क्रिकेट खिलाड़ी के बनने की कहानी दिलचस्प और प्रेरणादायक है। पिछले दो तीन सालों में इन्होंने आईपीएल मैच नहीं खेला है और घरेलू क्रिकेट में 59.79 की औसत से रन बनाने वाला यह खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ से भी आगे है। स्मिथ का औसत 57.27 है जो सेकेंड बेस्ट है। इस क्रिकेटर के क्रिकेट खिलाड़ी बनने के पीछे इनके मां का त्याग है।
हनुमा विहारी के लिए माँ का त्याग
क्रिकेट समर्थक और क्रिकेट विश्लेषकों ने उनके इस पारी की जमकर तारीफ की। क्रिकेट कमेंटटर हर्षा भोगले ने इस क्रिकेटर की सफलता के पीछे की एक शानदार कहानी भी सुनाई। हनुमा विहारी की देखभाल उनकी मां विजयलक्ष्मी ने अधिक किया क्योंकि उनके पिता एक सरकारी नौकरी करते हैं और अपने काम में काफी व्यस्त रहते थे। क्रिकेट अकादमी ले जाने से लेकर उनके देखभाल और क्रिकेट में उनके सभी खर्च का वहन उनकी मां उठाया करती थी। हनुमा ने एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए खुद को आईपीएल में खेलने से दूर रखा। मौजूदा भारतीय टीम के इंग्लैंड की स्विंग और सिम को मदद करने वाली पिच पर उनके इस प्रदर्शन के बाद चयनकर्ताओं का सिरदर्द बढ़ना तय है।
कौन हैं ओवल टेस्ट में डेब्यू करने वाले हनुमा विहारी
मां के तीन शब्द से हनुमा ने किया कमाल
हनुमा ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिय साक्षात्कार में कहा है कि 'सिर्फ मैं जानता हूँ कि मेरी अम्मा ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कितना त्याग किया है', हनुमा ने टीम इंडिया में चयन के बाद फोन कर अपनी मां को यह खुशखबरी दी थी और उन्होंने अपने बेटे को फोन पर महज तीन शब्द कहे थे 'All The Best" . इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी को वैसे तो अभी मीलों का सफर तय करना है लेकिन इन्होंने एक सफल टेस्ट क्रिकेटर बनने की बुनियाद ओवल टेस्ट में मजबूती से रख दी है।