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खेली शानदार पारीः
एशिया कप के एक शानदार मुकाबले में जुनूनी बांग्लादेश के खिलाफ इन्होंने एक बेमिसाल पारी खेली। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी अफगानिस्तान का आगाज अच्छा नहीं रहा लेकिन राशिद ने इसका अंजाम जरूर अच्छा कर दिया। एक समय 160 रनों पर 7 विकेट गंवा चुके अफगानिस्तान का स्कोर ऐसा लग रहा था जैसे यह टीम शायद ही 200 का आंकड़ा भी पार कर पाए लेकिन राशिद खान ने गुलाम नायब के साथ मिलकर मैच के अंतिम 55 गेंदों में 95 रनों की आतिशी पारी खेली और टीम को 255 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया।
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जब साथी खिलाड़ी ने कहा जहांपनाह तुस्सी ग्रेट हो.
...अफगानिस्तान की टीम मुश्किल में हो और राशिद खान कमाल न करें ऐसा भला कैसे हो सकता है। अपने 20वें जन्मदिन के दिन अपनी टीम को जब राशिद ने मुश्किल में देखा तो उन्होंने हाथ में बल्ला थामकर टीम का मोर्चा संभाला। उन्होंने 92 गेंदों का सामना करते हुए 3 चौकों की मदद से 58 रन बनाए। यह उनके करियर का तीसरा अर्धशतक है। अर्धशतक जड़ते ही साथी खिलाड़ी गुलबदीन नाईब ने उन्हें आदाब किया और कहा, 'जहांपनाह! तुस्सी ग्रेट हो, तोहफा कबूल करो'।
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जब विकेट बचाने के लिए लड़ा दी जानः
इस युवा गेंदबाज ने अपनी गेंदबाजी का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया है। वहीं इस मुकाबले में ऐसा कुछ हुआ जिसने क्रिकेट जगत में राशिद का मान और बढ़ा दिया। दरअसल ये बात है 48वें ओवर की आखिरी गेंद पर जब राशिद ने एक शॉट खेला और दो रन दो दौड़े वहीं दौड़ते वक्त उनका बल्ला उनके हाथ से छूट गया ऐसे में उन्होंने अपने हाथ को क्रीज तक ले जाकर विकेट बचाया ।वहीं बाग्लादेश के विकेटकीपर ने उनका हाथ हटाकर आउट करने का मजाकिया अंदाज में प्रयास किया। यह दृश्य खेल भावना की दृष्टि से वास्तव में सराहनीय था।
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बनाई है अपनी अलग पहचानः
क्रिकेट में शायद ही ऐसी कोई चीज है जो राशिद खान नहीं कर सकते हैं। आतंक के साए में जीने को मजबूर अफगानिस्तान के खिलाड़ियों के जज्बे को पूरी दुनिया सलाम कर रही है और राशिद जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने अपने देश और क्रिकेट को अपने शानदार खेल से सुशोभित किया है। 20 साल का यह युवा खिलाड़ी जो भी करता है उसमें जान लगा देता है। यही कारण के अंतरराष्ट्रीय पटल पर इस खिलाड़ी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है और अफगान टीम ने शोहरत कमाई है।