लाइट बंद करने में भी लगता था डर
श्रीसंत ने अपने आत्यहत्या के ख्याल के बारे में बात करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें घर में लाइट बंद करने से भी डर लगता था।
उन्होंने कहा,'मुझे यह कहने में बिल्कुल भी शर्म नहीं है कि मेरी जिंदगी में भी एक समय ऐसा आया था, जब आत्महत्या का विचार आया, मगर मैंने मेरी जिंदगी की सकारात्मक चीजों की तरफ देखा। मैं इसे डार्क फेस नहीं कहूंगा, मगर यह तिहार जेल में रहने से भी बदतर था। एक ऐसा भी समय आया था जब मुझे लाइट बंद करने में भी डर लगता था. यहां तक कि अपने भांजे या भतीजे को कॉलेज के लिए बाहर जाने से भी डरता था और उन्हें सिर्फ एक चीज ने इस सब चीजों से बाहर निकाला।'
भाग्यशाली था जो मेरी मानसिकता रही केंद्रित
श्रीसंत ने डिप्रेशन के बारे में बात करते हुए बताया कि परिवार की मदद और खुद को साबित करने की जिद ने उन्हें आत्महत्या करने के विचार से बाहर निकाला।
उन्होंने कहा,'मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरी मानसिकता एक प्वाइंट पर केन्द्रित थी। मुझे खुद को साबित करना था और सिर्फ मैं सच्चाई जानता था। मुझे अन्य लोगों को सच्चाई समझाने की जरूरत थी। इसे एक बार फिर साबित करने में मुझे सात साल का लंबा समय लगा।'
खुद को साबित करने की जिद ने निकाला बाहर
श्रीसंत ने बताया कि उनकी खुद को साबित करने की जिद ने उन्हें ऐसा कदम उठाने से रोक लिया। वह हमेशा सुनिश्चित करना चाहते थे कि जब मेरी बेटी या बेटा गूगल पर मेरा नाम सर्च करें तो मेरे बारे में अच्छी चीजें लिखी हुई आनी चाहिए।
उन्होंने कहा, 'जब आप खुद से खुश होते हैं तो खुद पर विश्वास सबसे ज्यादा अहम होता है। यह सही है कि साथ में कोई होना चाहिए, मगर आपका जो सबसे बड़ा दोस्त होता है, वो है अकेलापन। जब आप अकेले होते हैं, तो आप कई सारी चीजों की हकीकत में योजना बना सकते हैं। मगर बहुत लोग डिप्रेशन के साथ अकेलेपन को गलत बताते हैं। यह सिर्फ मानसिकता है। इस लॉकडाउन के दौरान यह साबित हुआ है कि कोई एक जगह पर 24 घंटे तक रह सकता है।'