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कभी सुशांत की तरह फांसी लगाना चाहता था यह भारतीय क्रिकेटर, कहा- लाइट बंद करने से भी लगता था डर

Sreesanth reveals how battled depression after Spot-Fixing Saga in 2013 | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी फिल्म में उनका किरदार निभाने वाले बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर सामने आने के बाद एक बार फिर से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर बात होने लगी है। रिपोर्ट के अनुसार सुशांत काफी समय से डिप्रेशन का शिकार थे। वहीं इस घटना के बाद से कई खिलाड़ियों और एक्टर्स ने अपने करियर के दौरान उस मुश्किल वक्त को याद करते नजर आये जब उनके मन में भी ऐसा ख्याल आता था।

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इसी मुद्दे को लेकर मैच फिक्सिंग में 7 साल के बैन के बाद वापसी करने वाले तेज गेंदबाज एस श्रीशंत ने भी अपना अनुभव शेयर किया है। डिप्रेशन के मुद्दे पर अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बात करते हुए श्रीसंत ने बताया कि उनकी जिंदगी में भी एक पल ऐसा आया था, जब उनके मन में भी फांसी लगाकर आत्‍महत्‍या करने का विचार आने लगा था।

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लाइट बंद करने में भी लगता था डर

लाइट बंद करने में भी लगता था डर

श्रीसंत ने अपने आत्यहत्या के ख्याल के बारे में बात करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें घर में लाइट बंद करने से भी डर लगता था।

उन्होंने कहा,'मुझे यह कहने में बिल्‍कुल भी शर्म नहीं है कि मेरी जिंदगी में भी एक समय ऐसा आया था, जब आत्‍महत्‍या का विचार आया, मगर मैंने मेरी जिंदगी की सकारात्‍मक चीजों की तरफ देखा। मैं इसे डार्क फेस नहीं कहूंगा, मगर यह तिहार जेल में रहने से भी बदतर था। एक ऐसा भी समय आया था जब मुझे लाइट बंद करने में भी डर लगता था. यहां तक कि अपने भांजे या भतीजे को कॉलेज के लिए बाहर जाने से भी डरता था और उन्‍हें सिर्फ एक चीज ने इस सब चीजों से बाहर निकाला।'

भाग्यशाली था जो मेरी मानसिकता रही केंद्रित

भाग्यशाली था जो मेरी मानसिकता रही केंद्रित

श्रीसंत ने डिप्रेशन के बारे में बात करते हुए बताया कि परिवार की मदद और खुद को साबित करने की जिद ने उन्हें आत्महत्या करने के विचार से बाहर निकाला।

उन्होंने कहा,'मैं बहुत भाग्‍यशाली हूं कि मेरी मानसिकता एक प्वाइंट पर केन्द्रित थी। मुझे खुद को साबित करना था और सिर्फ मैं सच्‍चाई जानता था। मुझे अन्‍य लोगों को सच्‍चाई समझाने की जरूरत थी। इसे एक बार फिर साबित करने में मुझे सात साल का लंबा समय लगा।'

खुद को साबित करने की जिद ने निकाला बाहर

खुद को साबित करने की जिद ने निकाला बाहर

श्रीसंत ने बताया कि उनकी खुद को साबित करने की जिद ने उन्हें ऐसा कदम उठाने से रोक लिया। वह हमेशा सुनिश्चित करना चाहते थे कि जब मेरी बेटी या बेटा गूगल पर मेरा नाम सर्च करें तो मेरे बारे में अच्‍छी चीजें लिखी हुई आनी चाहिए।

उन्होंने कहा, 'जब आप खुद से खुश होते हैं तो खुद पर विश्‍वास सबसे ज्‍यादा अहम होता है। यह सही है कि साथ में कोई होना चाहिए, मगर आपका जो सबसे बड़ा दोस्‍त होता है, वो है अकेलापन। जब आप अकेले होते हैं, तो आप कई सारी चीजों की हकीक‍त में योजना बना सकते हैं। मगर बहुत लोग डिप्रेशन के साथ अकेलेपन को गलत बताते हैं। यह सिर्फ मानसिकता है। इस लॉकडाउन के दौरान यह साबित हुआ है कि कोई एक जगह पर 24 घंटे तक रह सकता है।'

Story first published: Monday, June 22, 2020, 12:33 [IST]
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