इस बार टी20 वर्ल्ड कप में 16 टीमें खेली-
फुटबॉल विश्व में 200 से भी ज्यादा देशों में खेला जाता है तो वहीं अच्छी क्वालिटी का क्रिकेट मुश्किल से 12-15 देशों तक ही सीमित है। इसमें टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देश तो और भी कम है। इस बार आईसीसी ने जो 16 टीमें खिलाई उसमें टॉप-10 टीमों को रैंकिंग के आधार पर चुना गया और बाकी 6 टीमों को टी20 वर्ल्ड कप क्वालिफायर के जरिए चुना गया।
फिर इन क्वालिफायर के बीच भी 8 टीमें बांट दी गई। ग्रुप मैच कराए गए और आधी टीमों को मुख्य दौर की टीमों से मुकाबला करने का मौका दिया गया। इस दौर को सुपर 12 कहा जाता है जहां पर भी पूरा रोमांच देखने को नहीं मिलता। क्योंकि यहां भारत के ग्रुप से नामिबिया और स्कॉटलैंड ने बिल्कुल एकतरफा तरीके से मैच हारे। यही क्रिकेट और फुटबॉल का फर्क है क्योंकि गेंद और बल्ले के खेल में ज्यादा टीमें जहां रोमांच को खत्म करती हैं तो वहीं फुटबॉल में टॉप की 32 टीमों में जगह बनाने के लिए भी जबरदस्त कंपटीशन चलता है।
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भविष्य में 20 टीमें करने की तैयारी-
सवाल यह है कि क्रिकेट में हम ऐसी स्थिति कब देख पाएंगे जब यहां भी टी20 वर्ल्ड कप में कम से कम 24-30 टीमों के बीच भयंकर मुकाबले देखने को मिलेंगे।
आईसीसी भविष्य में मौजूदा 16 टीमों से यह संख्या बढ़ाकर 20 करने जा रही है। आईसीसी में क्रिकेट खेलने वाले देश आमतौर पर दो कैटगेरी में बंटे होते हैं। एक फुल मेंबर होते हैं जिनमें भारत समेत विश्व कप की टॉप 12 टीमें आती हैं जबकि 94 ऐसे देश हैं जो क्रिकेट तो खेलते हैं लेकिन वे एसोसिएट मेंबर ही हैं। आयरलैंड और अफगानिस्तान को ताजा फुल मेंबरशिप मिली है लेकिन इन दोनों को अभी भी बहुत लंबा सफर तय करना है। आप फुल मेंबर टीमों को मुख्य टीमें मान सकते हैं और देख सकते हैं इनमें भी वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसी टीमें कितना संघर्ष कर रही हैं। ऐस में निकट भविष्य में क्रिकेट से फुटबॉल की तरह बड़ी संख्या में टीमों के बीच क्वालिटी क्रिकेट देखना टेढ़ी राह मालूम पड़ता है।
बड़े देशों में क्रिकेट का विकास जरूरी है-
अगर क्रिकेट को फुटबॉल की तरह ज्यादा टीमों का और रोमांचक वर्ल्ड चाहिए तो हमको एसोसिएट मेंबर की ओर देखना होगा, उनका विकास करना होगा। इन देशों में क्रिकेट का केवल बेसिक ढांचा ही खड़ा है। ये देश टी20 वर्ल्ड कप क्वालिफायर्स इवेंट खेलते हैं जो आईसीसी के टी20 वर्ल्ड कप फॉर्मेट में क्वालिफिकेशन प्रक्रिया का काम करता है। खास बात ये है कि अब आईसीसी के सभी मेंबर को टी20 इंटरनेशनल खेलने का दर्जा प्राप्त है।
क्रिकट में टीमों के विकास की स्पीड धीमी है। ये मुख्य तौर पर एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूके में ही लोकप्रिय है। अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका जैसे महाद्वीपों में इस खेल की हालत पतली है। उपमहाद्वीप की बड़ी आबादी के चलते क्रिकेट को बड़ी संख्या में दर्शक मिल जाते हैं जो फुटबॉल के बाद नंबर दो पर आते हैं। जब तक बड़े अमीर देशों में क्रिकेट को बढ़ावा नहीं मिलेगा तब तक बाकी छोटे देशों को भी क्रिकेट अपनाने में उतनी प्रेरणा नहीं मिलेगी। दिक्कत यह है कि तमाम बड़े देश पहले ही अपने पसंदीदा खेलों को स्थापित कर चुके हैं। अमेरिका में बेसबॉल, बॉस्केटबॉल, फुटबॉल, आईस हॉकी का बोलबाला है। जापान में बेसबॉल और सूमो रेसलिग लोकप्रिय है। यूरोप में भी फुटबॉल का क्रेज है।
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क्रिकेट में टीमों की संख्या बढ़ाने में परेशानी क्या है-
ऐसे में आईसीसी जबरदस्ती टीमों की संख्या बढ़ाने पर विचार करता है तो वर्ल्ड कप की क्वालिटी बुरी तरह प्रभावित होगी। इसी वजह से 2019 के वर्ल्ड कप में केवल दुनिया की टॉप 10 टीमों को खिलाने का फैसला लिया गया था। लेकिन क्रिकेट आगे भी तभी बढ़ सकता है जब एसोसिएशट देशों को वर्ल्ड कप जैसे मंच पर जितना हो सके उतना फुल मेंबर टीमों के खिलाफ खेलने का मौका दिया जाए। इसी वजह से आईसीसी ने 2027 का पचास ओवरों का वर्ल्ड कप 14 टीमों में कराने का फैसला लिया और 2024 से टी20 वर्ल्ड कप में 20 टीमों का लाने का फैसला किया।
बड़े बदलाव के चांस फिलहाल नहीं-
लेकिन फुटबॉल की बराबरी करने के लिए यह प्रक्रिया फिर भी धीमी है और हमको आने वाले कई सालों तक भी क्रिकेट के टी20 वर्ल्ड कप में 30-32 बेहतरीन टीमें खेलती नहीं दिखाई देने जा रही हैं। इसके बावजूद अगर फुटबॉल की तरह अधिक टीमों को वर्ल्ड कप में कंपीट करते देखना है तो टी20 क्रिकेट ही बेस्ट फॉर्मेट है। यहां कहीं ज्यादा अनिश्चितता है और अपने दिन पर छोटी टीमें कमाल दिखा सकती हैं। फिलहाल 2021 वर्ल्ड कप में गुमनाम क्रिकेट देशों को बुरा हाल हुआ है। अगले विश्व कप में भी आपको 16 ही टीमें देखने को मिलेंगी और उसके बाद एक बड़ा बदलाव दिखेगा जहां 20 टीमों का वर्ल्ड कप दिलचस्प लगता है लेकिन क्रिकेट की क्वालिटी में गिरावट आई तो नीरसता का भी उतना ही खतरा है और रुचि का खत्म होना किसी भी खेल के लिए घातक है। यह बात आईसीसी को बहुत ज्यादा टीमें शामिल करने से रोकेगी। कम से कम अगले एक दशक तक भी टी20 वर्ल्ड कप में बहुत बड़ा टीमों का बदलाव देखने को मिलने के चांस नही है।