मेहनत के अलावा नहीं था दूसरा विकल्प
मुंबई के लिये विजय हजारे ट्रॉफी जीतने के बाद जब उनसे ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद मजबूत वापसी करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास गलतियों से सीख लेकर वापसी करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बाकी था।
उन्होंने कहा, 'मेरे लिये यह थोड़ा मुश्किल था लेकिन मेरे पास इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। ऑस्ट्रेलिया में जो गलतियां हुई थी उन्हें ठीक करने और मजबूत वापसी करने के लिये कड़ी मेहनत ही एकमात्र विकल्प था।'
कप्तानी करने में आता है मजा
गौरतलब है कि विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान पृथ्वी शॉ ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए पुड्डचेरी के खिलाफ रिकॉर्ड दोहरा शतक लगाया और किसी भी तरह की परेशानी में नहीं दिखे। इसको लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या कप्तानी से उनकी बल्लेबाजी को मदद मिली तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें मजा आता है और निश्चित ही इससे वो बेहतर बल्लेबाज भी बनते हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं काफी छोटी उम्र से ही कप्तानी करता रहा हूं। मैंने भारत ए के अलावा अंडर-14, अंडर-16 और अंडर-19 में कप्तानी संभाली है। मुझे कप्तानी करते हुए टीम की जिम्मेदारी संभालने में मजा आता है और इस दौरान मैं हर एक गेंद पर ध्यान लगाये रखता हूं। इससे मेरी बल्लेबाजी भी और ज्यादा फोकस हो जाती है और उसमें भी फायदा होता है।'
आदित्य तरे ने खेली बेहद अहम पारी
पृथ्वी शॉ ने फाइनल मैच में शतक लगाकर टीम को जीत दिलाने वाले आदित्य तारे की भी जमकर तारीफ की जिनकी नाबाद 118 रन पारी के दम पर मुंबई ने 7 ओवर पहले ही 313 रनों के विशाल लक्ष्य को हासिल कर लिया।
उन्होंने कहा, 'तारे ने भी आज काफी अच्छी बल्लेबाजी की और मैच की परिस्थिती को देखते हुए खुद को उसी के हिसाब से ढालकर कभी भी हमें पिछड़ने नहीं दिया। खिताब जीतने के लिये हमें इसकी काफी जरूरत थी वर्ना मैच किसी भी दिशा में जा सकता था। उन्होंने न सिर्फ शतक लगाया बल्कि मैच को खत्म किया। वह शानदार खेले।'